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समन्वय और मुक्ति के सदस्यों से मुलाकात करते संत पापा फ्राँसिस समन्वय और मुक्ति के सदस्यों से मुलाकात करते संत पापा फ्राँसिस 

समन्वय एवं मुक्ति आंदोलन के सदस्यों से पोप ˸ शांति व एकता के नबी बनें

संत पापा फ्राँसिस ने समन्वय और मुक्ति के हजारों सदस्यों से वाटिकन के संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में मुलाकात की, जो अपने आंदोलन के संस्थापक मोनसिन्योर लुईजी जुस्सानी के जन्म की शतवर्षीय जयन्ती मनाने के लिए इटली एवं विश्व के विभिन्न देशों से रोम में एकत्रित हैं।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

समन्वय और मुक्ति आंदोलन के करीब 60 हजार सदस्यों से वाटिकन के संत पेत्रुस महागिरजाघर में मुलाकात करते हुए संत पापा ने उन्हें शुभकामनाएँ दी एवं आंदोलन की प्रेरिताई की सराहना की, खासकर, संस्थापक मोनसिन्योर लुईजी जुस्सानी के कार्यों की।

फादर जुस्सानी के जन्म की शतवर्षीय जयन्ती

उत्सव, संस्थापक फादर जुस्सानी के जन्म की 100वीं जयन्ती के उपलक्ष्य में मनाया गया जिसमें इटली एवं विश्व के विभिन्न देशों के सदस्यों ने भाग लिया।

उत्सव की शुरूआत प्रातः बेला प्रार्थनाओं, संगीत और फादर जुस्सानी के लेख एवं उपदेश पर आधारित वीडियो प्रस्तुति से हुई। विश्व के विभिन्न हिस्सों से सदस्यों ने अपने साक्ष्य भी प्रस्तुत किये।  

मिलान के पुरोहित फादर जुस्सानी ने अपना जीवन विद्यार्थियों के प्रशिक्षण, उन्हें मार्गदर्शन देने एवं आदर्श प्रस्तुत करने हेतु समर्पित किया था।

1960 के दशक में उन्होंने सुसमाचार प्रचार के क्रिया-कलापों को शुरू किया था जिसके द्वारा उन्होंने विश्वास को समकालीन एवं गतिशील शैली में खुले एवं जारी वार्ता के साथ बांटना शुरू किया, साथ ही साथ, कलीसिया की धर्मशिक्षा का लगातार संदर्भ लिया। उनकी नवीकृत मिशनरी पहुँच और जीवन के आदर्श उदाहरण द्वारा, उन्हीं वर्षों में समन्वय एवं मुक्ति आंदोलन की उत्पति हुई। 

प्रेरक विरासत

अपने संबोधन में संत पापा फ्राँसिस ने फादर जुस्सानी की प्रेरक भूमिका के लिए अपना आभार व्यक्त किया। जिन्होंने अपने पुरोहितीय जीवन में विश्वास को बांटने और दैनिक जीवन में गहरी जड़ों के साथ इसे विकसित करने में मदद करने के द्वारा, अपने जुनून के माध्यम से युवा पीढ़ियों को शिक्षित और प्रेरित किया।

संत पापा ने 1960 के अशांत युग को भी याद किया जब फादर जुस्सानी ने अपने मिशनरी पहुँच को पढ़ाया और आंदोलन की शुरूआत की, और आज हम जिस तरह की चुनौतियों और संकटों का सामना कर रहे हैं, उसके बावजूद आज भी वे हम सभी को विश्वास में बने रहने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।

"संकट के समय, कलीसिया की पृष्टभूमि में मिशनरी नवीनीकरण, साथ ही साथ, समकालीन मानवता की आवश्यकताओं, पीड़ाओं एवं आशाओं पर ध्यान देने का अवसर होता है।"  

संत पापा ने फादर जुस्सानी की विरासत, कारिज्म, शिक्षक के रूप में बुलाहट और कलीसिया के लिए उनके प्रेम पर विस्तार से चर्चा की। 

करिस्मा जो हृदयों तक पहुँचता

उनके महान प्रेरितिक कारिस्मा की याद करते हुए जिसमें वे हजारों युवाओं के मन और दिलों तक पहुँचते थे, संत पापा फ्राँसिस ने कहा कि यह उस विश्वास से उत्पन्न हुआ जिसे उसने एक युवा के रूप में खोजा था जब उसने ख्रीस्त के रहस्य और सभी के लिए ईश्वर के असीम प्रेम में विस्मय और आकर्षण की भावना का अनुभव किया था।

"ख्रीस्त सभी सच्चाइयों के केंद्रबिन्दु है, सभी मानवीय प्रश्नों के उत्तर, और मानव हृदय में मौजूद खुशी, अच्छाई, प्रेम और अनंत काल की हर इच्छा की पूर्ति।"

हमारे वर्तमान समय की बदली हुई दुनिया में आंदोलन के करिश्मे को कैसे व्यक्त किया जाए, इस बारे में बात करते हुए, संत पापा ने कहा कि यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि करिश्मा वही रहता है, लेकिन जिस तरह से इसे जीया जाता है, उसका आज की दुनिया में फल लाने के लिए नए सिरे से स्वागत करने की आवश्यकता है। और इसके लिए नम्रता के दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है।

"विनम्र व्यक्ति जीवन देता है, दूसरों को आमंत्रित करता है और अनजान की ओर धकेलता है। हालांकि, अभिमानी व्यक्ति, दूसरों की नकल करता है ... और नयेपन से डरते हुए, ज्ञात में सुरक्षित महसूस करता है क्योंकि यह अनियंत्रित है।"

जीवन के लिए शिक्षा

संत पापा ने फादर जुस्सानी की भूमिका को एक शिक्षक के रूप में देखा जिन्होंने अपने पुरोहिताई के प्रथम वर्ष में येसु के साथ व्यक्तिगत मुलाकात करने एवं सम्पर्क बनाने की आवश्यकता महसूस की थी। उन्होंने स्वयं, धार्मिक अज्ञानता या गलतफहमी के सामने अर्थ और सच्चाई की इच्छा जगाने की आवश्यकता महसूस किया था।

उसी समय उन्होंने हरेक व्यक्ति की स्वतंत्रता और व्यक्तिगत जिम्मेदारी के प्रति सम्मान महसूस किया था जिनके साथ उन्होंने प्रेरिताई किया, उन्हें अपने बुलाहट एवं क्षमता में बढ़ने का प्रोत्साहन दिया। 

कलीसिया के लिए प्रेम

तब संत पापा ने गौर किया कि फादर जुस्सानी किस तरह "कलीसिया के पुत्र" थे जिन्होंने कलीसिया को बड़े सम्मान एवं निष्ठा के साथ प्यार किया। दूसरों को भी वैसा ही आदर एवं पुत्र तुल्य प्रेम में बढ़ने का प्रोत्साहन दिया, क्योंकि कलीसिया इतिहास में लगातार ख्रीस्त को प्रकट करती है।  

"कलीसियाई आंदोलन ख्रीस्तीय धर्म के आकर्षण को प्रदर्शित करने में मदद करते हैं। कलीसिया के अधिकारियों की जिम्मेदारी है कि वे बुद्धिमानी से और विवेकपूर्ण तरीके से उस मार्ग को इंगित करें जिसपर आंदोलन को आगे बढ़ना है, उस मिशन के प्रति वफादार रहने के लिए जिसे ईश्वर ने उन्हें सौंपा है।”

शांति और एकता

अंत में, संत पापा फ्राँसिस ने सभी सदस्यों को शांति के नबी के रूप में एकजुट रहकर, एक साथ चलते हुए अपना साथ देने का आग्रह किया।

संत पापा ने कहा,"बढ़ती हिंसा और युद्धग्रस्त हमारी दुनिया मुझे चिंतित करती है। फिर भी, नबी के रूप में हमारे साक्ष्य द्वारा हम गरीबों, परित्यक्त, कमजोर, और दोषी लोगों में,  ईश्वर की उपस्थिति द्वारा मानव हृदय में प्रेम, सच्चाई, न्याय और खुशी की आकांक्षाओं को पूरा करने में मदद कर सकते हैं।"

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15 October 2022, 17:48