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सब संतों का महापर्व सब संतों का महापर्व 

पोप ˸ संतगण बहुमूल्य मोती हैं जो हमेशा जीवित और सामयिक होते

संत पापा फ्राँसिस ने कहा है कि सुसमाचार को पूर्ण रूप से जीना और फलप्रद बनाना संभव है।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन के संत प्रकरण परिषद द्वारा आयोजित संगोष्ठि में "आज पवित्रता" विषय पर प्रकाश डाला गया तथा "आज पवित्रता को साकार करने के लिए मार्ग को गहरा करने" की रणनीति को प्रस्तुत किया गया।

तीन दिवसीय सम्मेलन का उद्देश्य था "किसको और कैसे" संत घोषित किया जाए जो ईश्वर की प्रजा के बीच पवित्रता के लिए सम्मानित है।

पवित्रता के आह्वान को फिर से प्रस्तावित करना

संत पापा फ्राँसिस ने सभा के प्रतिभागियों से मुलाकात के दौरान कहा, "संगोष्ठी के लिए चुना गया विषय, प्रेरितिक प्रबोधन गौदाते एत एसुलताते की इच्छा को दर्शाता है कि 'पवित्रता के आह्वान को अपने समय के लिए व्यावहारिक तरीके से फिर से प्रस्तावित करें।"

अपने संबोधन में, संत पापा ने याद किया कि "पवित्रता के लिए सार्वभौमिक आह्वान" द्वितीय वाटिकन महासभा की एक प्रमुख शिक्षा थी, और कहा कि "ईश्वर की पवित्र प्रजा" के दैनिक जीवन में "वर्तमान पवित्रता की सराहना" करना महत्वपूर्ण है।

संत पापा ने जोर दिया कि पवित्रता सबसे पहले एक चेतना है कि हम ईश्वर द्वारा प्रेम किये गये हैं एवं मुफ्त में ईश्वर के प्रेम एवं करुणा को ग्रहण किया है, एक ऐसी चेतना जो हमें आनन्दित करता, यही संतों एवं धन्यों के जीवन की विशेषता है उदाहरण के लिए जॉन पौल प्रथम, कार्लो अकुतिस और फ्राँसिस असीसी।  

पवित्रता की प्रतिष्ठा को पहचानना

संत पापा ने कहा, "पवित्रता ख्रीस्तीय समुदाय के वास्तविक जीवन में उत्पन्न होती है और ईश्वर की प्रजा द्वारा पहचानी जाती है। जिसे पवित्रता के इस मॉडल एवं सुसमाचार के साक्ष्य को पहचानने का ज्ञान मिला है। पवित्रता की यह प्रतिष्ठा भावी संतों की पवित्रता को पहचानने का एक महत्वपूर्ण तत्व है।

 हालांकि, संत पापा ने कहा कि "यह सत्यापित करना आवश्यक है कि पवित्रता के लिए यह प्रतिष्ठा सहज, स्थिर, स्थायी है और ख्रीस्तीय समुदाय के एक महत्वपूर्ण हिस्से में फैली हुई है।" आधुनिक दुनिया में अतिशयोक्ति या गलत बयानी का जोखिम "पवित्रता की प्रतिष्ठा की रूपरेखा की जांच करनेवाले सभी लोगों की ओर से विवेकपूर्ण समझ" की आवश्यकता है, एक ऐसा विवेक जिसमें चमत्कारों के प्रमाण शामिल हों।

संत हमेशा बहुमूल्य मोती

संत पापा ने जोर दिया कि संत बहुमूल्य मोती हैं, वे हमेशा जीवित एवं समयोचित हैं और अपना महत्व कभी नहीं खोते। संत पापा ने आशा व्यक्त की कि उनका उदाहरण हमारे समय की महिलाओं और पुरूषों के मन को आलोकित करेगा, विश्वास को पुनः जगायेगा, आशा बढ़ायेगा एवं परोपकार को पुनः प्रज्वलित करेगा। जिससे कि सभी सुसमाचार की सुन्दरता की ओर आकर्षित महसूस करेंगे एवं अर्थहीनता और निराशा के बादलों के बीच कोई न भटके।

अपने सम्बोधन का समापन संत पापा ने प्रार्थनामय आशा से की कि उनकी संगोष्ठी की अंतर्दृष्टि और प्रस्ताव कलीसिया एवं पूरे समाज को पवित्रता के संकेतों को समझने में मदद करेंगे, जिन्हें प्रभु कभी-कभी सबसे अकल्पनीय तरीकों से प्रदान करते हैं।"

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06 October 2022, 16:51