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कोलोसेयुम में शांति प्रार्थना सभा में भाग लेते धर्मगुरू कोलोसेयुम में शांति प्रार्थना सभा में भाग लेते धर्मगुरू 

पोप एवं धार्मिक नेताओं ने अपील जारी की, 'युद्ध और नहीं'

युद्ध की विपत्ति जब दुनिया को घेर रही है संत पापा फ्राँसिस एवं धार्मिक नेताओं ने विश्वव्यापी युद्धविराम की जोरदार अपील की है।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

अपील संत इजिदियो समुदाय द्वारा रोम के कोलोसेयुम में असीसी के मनोभाव में शांति के लिए आयोजित 36वीं प्रार्थना सभा में की गई।

उन्होंने कहा, "हम दृढ़ विश्वास के साथ कहते हैं ˸ युद्ध बस! आइये, हम हर प्रकार के संघर्षों को रोकें।"

25 अक्टूबर को रोम के कोलोसेयुम में शांति के लिए विशेष प्रार्थना की गई जिसमें संत पापा फ्राँसिस एवं विश्व के विभिन्न धर्मों के नेताओं ने भाग लिया।

असीसी का मनोभाव

ख्रीस्तीय कलीसियाओं एवं विश्व के विभिन्न धर्मों के प्रतिनिधियों ने अपनी अपील विश्व के नेताओं से करते हुए कहा, "हम उन लोगों की आवाज बन रहे हैं जो युद्ध से पीड़ित हैं, जो शरणार्थी हैं एवं जो मर गये हैं और उनके परिवार।" 

"हम दृढ़ विश्वास के साथ कहते हैं ˸ युद्ध और नहीं ! आइये हम संघर्ष को रोकें। युद्ध से केवल मौत और विनाश होते हैं। यह जेखिम भरा कार्य है जहाँ से कोई वापस नहीं लौटता और जिसमें हम सभी खोते हैं। बंदुक शांत हो जाएँ। युद्धविराम की घोषणा शीघ्र की जाए।"

समझौता का निमंत्रण

नेताओं ने शांति वार्ता एवं समझौता का भी आह्वान किया। उन्होंने कहा, "समझौते द्वारा सही समाधान की ओर जाते हुए एक स्थायी और स्थिर शांति को बिना देर किये जल्द ही प्राप्त किया जा सकता है। परमाणु हथियारों के खतरे को खत्म करने के लिए बातचीत फिर से शुरू की जाए।"     

द्वितीय विश्व युद्ध के आतंक एवं पीड़ा को याद करते हुए यह अपील जारी की गई है, जब राष्ट्र, संघर्ष की गहरी दरारों को दूर करने और बहुपक्षीय वार्ता के माध्यम से, संयुक्त राष्ट्र संगठन बनाने में सक्षम हुए थे।

यह शांति की आकांक्षा का परिणाम था, जिसे वे आज पहले से कहीं अधिक आवश्यक मानते हैं।

अपील में जोर देते हुए कहा गया है कि "हम चौराहे पर खड़े हैं, हम ऐसी पीढ़ी बन सकते हैं जो ग्रह और मानवता को मरने देती, जो हथियार खरीदती और बेचती, जो दूसरों के खिलाफ होकर खुद को बचाने में सक्षम होने के भ्रम होती, या हम वैसी पीढ़ी हो सकते हैं जो एक साथ रहने के नए तरीके बनाती, जो हथियारों में निवेश नहीं करती, जो संघर्ष के समाधान के साधन के रूप में युद्ध को समाप्त करती और ग्रहों के संसाधनों के अत्यधिक शोषण को रोकती है।"

ईश्वर के नाम का दुरूपयोग

उन्होंने जोर देकर कहा कि विश्वासियों को हर संभव तरीके से शांति के लिए काम करना चाहिए, यह कहते हुए कि "हमारा कर्तव्य" "दिलों को निशस्त्र करने में मदद करना" और "लोगों के बीच मेल-मिलाप का आह्वान करना" है।

"दुर्भाग्य से, हम खुद भी ईश्वर के पवित्र नाम का दुरूपयोग करने के कारण आपस में कभी-कभी बंट जाते हैं˸ हम इसके लिए दीनता और शर्म से क्षमा मांगते हैं। धर्म शांति का महान स्रोत है और रहेगा। शांति पवित्र है ; युद्ध कभी पवित्र नहीं हो सकता।"   

मानव को युद्ध समाप्त करना और परमाणु हथियारों को नष्ट करना चाहिए। यदि वह युद्ध समाप्त नहीं करता तो युद्ध मानव को नष्ट करेगा। दुनिया सिर्फ हमारी सम्पति नहीं है बल्कि भावी पीढ़ी की भी है। 

अतः जोर देते हुए कहा गया है कि "आइए हम इसे परमाणु दुःस्वप्न से छुटकारा दिलायें।"

"आइए हम परमाणु अप्रसार और परमाणु हथियारों को खत्म करने पर शीघ्र एक गंभीर बातचीत फिर शुरू करें।"

“आइए, हम फिर से एक साथ बातचीत शुरू करें, जो लोगों के मेल-मिलाप की एक प्रभावी दवा है। आइए हम बातचीत के हर रास्ते में निवेश करें। शांति हमेशा संभव है! युद्ध फिर कभी नहीं! फिर कभी एक-दूसरे के खिलाफ नहीं!"

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26 October 2022, 16:55