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यहूदी लेखिका इडिथ ब्रूक के साथ उनके रोम निवास पर, तस्वीरः 21.02.2021 यहूदी लेखिका इडिथ ब्रूक के साथ उनके रोम निवास पर, तस्वीरः 21.02.2021  

शोआह के अंधेरे में प्रकाश के बिंदु

सन्त पापा फ्रांसिस ने आऊश्विट्स नज़रबन्दी शिविर से बची यहूदी लेखिका इडिथ ब्रूक की "मैं फ्रांसिस हूँ" शीर्षक से गुरुवार को प्रकाशित नवीन पुस्तक का प्राक्कथन लिखा है जिसमें लेखिका ने इस वर्ष यहूदी नरसंहार की वर्षगाँठ के दिन उनके घर सन्त पापा फ्राँसिस की भेंट को वर्णित किया है तथा उन क्षणों के अपने अनुभवों का साझा किया है।

जूलयट जेनेवीव क्रिस्टफर-वाटिकन सिटी

रोम, शुक्रवार, 21 अक्तूबर 2022 (रेई, वाटिकन रेडियो): सन्त पापा फ्रांसिस ने आऊश्विट्स नज़रबन्दी शिविर से बची यहूदी लेखिका इडिथ ब्रूक की "मैं फ्रांसिस हूँ" शीर्षक से गुरुवार को प्रकाशित नवीन पुस्तक का प्राक्कथन लिखा है जिसमें लेखिका ने इस वर्ष यहूदी नरसंहार की वर्षगाँठ के दिन उनके घर सन्त पापा फ्राँसिस की भेंट को वर्णित किया है तथा उन क्षणों के अपने अनुभवों का साझा किया है।

अनुपम अनुभव

अपनी पुस्तक "मैं फ्रांसिस हूँ" में लेखिका इडिथ ब्रूक ने सन्त पापा फ्राँसिस के प्रति उनकी उदारता के लिये कृतज्ञता ज्ञापित की है। प्राक्कथन में सन्त पापा फ्राँसिस लिखते हैं, "लिफ्ट के दरवाज़े पर पहुँचते ही श्रीमती ब्रूक ने मेरा  अभिवादन किया और बिलकुल मौन रही मानों दिल में भरी भावना ने उन्हें बोलने से लगभग रोक दिया था: शब्दों की जगह आँसुओं ने ले ली थी, उन्होंने मुझे यात्रा के लिए धन्यवाद दिया और मैंने बदले में उन्हें उस गवाही के लिए धन्यवाद दिया, जिसे उन्होंने इन सभी वर्षों के अन्तराल में दी है।"

वे लिखते हैं कि उस दिन इडिथ ब्रूक के व्यक्तित्व में उनकी आँखों के समक्ष एक जीता जागता साक्ष्य खड़ा था। उन्होंने लिखा, इस दुबली-पतली और सुरुचिपूर्ण नब्बे वर्षीय महिला में मैंने उस ताकत के  दर्शन किये जिसने उसे रोने, स्वागत करने और आँसुओं के उपहार भेंट स्वरूप देने की अनुमति दी, उनमें मैंने एक जीवित स्मृति पर विचार किया।  

अंधेरे में प्रकाश के बिंदु

सन्त पापा फ्राँसिस लिखते हैं कि श्रीमती ब्रूक ने अपने कुछेक निकट सम्बन्धियों के साथ उनका हार्दिक स्वागत किया तथा खुले मन से सहृदयता से उनके साथ बातचीत की। सन्त पापा ने लिखा, "मुझे याद है कि उस समय शोआ के उन "प्रकाश के बिंदुओं" के बारे में बात की गई जिन्हें वे अपनी किताबों में बताने में सक्षम रहीं थीं। इनके अतिरिक्त, अन्य चीजों के बारे में, बुजुर्गों की स्थिति के बारे में, अपने पति नेलो रिसी के साथ उनके गहन अनुभव के बारे में, जो कि लंबे समय से अल्जाइमर से पीड़ित रहे थे। फिर, सिनेमा के बारे में बात की गई, विशेष रूप से  अपने भतीजे मार्को के साथ "इल सोरपासो" फिल्म के बारे में जैसा कि एक सुखद घरेलू, पारिवारिक माहौल में बातचीत की जाती है।  

सन्त पापा फ्राँसिस ने विगत 27 जनवरी को यहूदी नरसंहार के स्मृति दिवस पर लेखिका के साथ वाटिकन में अपनी मुलाकात को याद किया जिसके दौरान यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के बारे में बातें की गई। उन्होंने याद किया कि कि लेखिका उस समय अपनी यूक्रेनी सेविका ऑल्गा के संग उनसे मिलने आई थीं। उन्होंने बताया कि वे अपने साथ घर में बनी रोटी लेकर आई थीं जिसे हमने मिलकर तोड़ा और खाया। उन्होंने कहा कि यह कृत्य बहुत ही साधारण सा लग सकता है किन्तु इसमें जो भाव छिपा है वह विश्वास और उदारता से प्रस्फुटित होता है जिसकी आज मानवता को नितान्त आवश्यकता है।  

सन्त पापा ने कहा कि इसलिये यह अति महत्वपूर्ण है कि नाज़ी शासन के दौरान यहूदियों के साथ जो क्रूरता हुई उसे भुलाया नहीं जाये बल्कि उससे शिक्षा ग्रहण की जाये ताकि भविष्य में फिर कभी ऐसा नहीं हो।  

पुस्तक के प्राकक्थन के अन्त में सन्त पापा लिखते हैं, आपके हाथ में जो किताब है वह इस मुलाकात के बारे में बताने का एक प्रयास है जिसने मुझमें इतनी ताकत एवं आशा का संचार किया और जिसने कृतज्ञता और विश्वास की भावना को मज़बूत किया। मेरी मंगल आशा और मेरा विश्वास है कि इसे पढ़नेवाले भी इस गहन अनुभव को साझा कर उससे लाभान्वित हो सकेंगे।

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21 October 2022, 12:40