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एक विस्थापित सीरियाई अपने देश में संघर्ष से भागता हुआ एक विस्थापित सीरियाई अपने देश में संघर्ष से भागता हुआ 

"विश्व और मिशन" पत्रिका की 150 वीं वर्षगाँठ पर सन्त पापा

विदेशी मिशन हेतु परमधर्मपीठीय संस्था (पीमे) के पुरोहितों द्वारा संचालित "मोन्दो ए मिसियोनी" अर्थात् "विश्व और मिशन" नाम से प्रकाशित इताली काथलिक पत्रिका की 150 वीं वर्षगाँठ के उपलक्ष्य में (पीमे) के पुरोहितों ने शुक्रवार को वाटिकन में सन्त पापा फ्राँसिस का साक्षात्कार कर उनका सन्देश सुना।

जूलयट जेनेवीव क्रिस्टफर-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 13 अक्टूबर 2022 (रेई, वाटिकन रेडियो): विदेशी मिशन हेतु परमधर्मपीठीय संस्था (पीमे) के पुरोहितों द्वारा संचालित "मोन्दो ए मिसियोनी" अर्थात् "विश्व और मिशन" नाम से प्रकाशित इताली काथलिक पत्रिका की 150 वीं वर्षगाँठ के उपलक्ष्य में (पीमे) के पुरोहितों ने शुक्रवार को वाटिकन में सन्त पापा फ्राँसिस का साक्षात्कार कर उनका सन्देश सुना।

पत्रिका का लक्ष्य

 सन्त पापा फ्राँसिस ने स्मरण दिलाया कि पीमे पुरोहितों द्वारा "विश्व और मिशन" काथलिक पत्रिका की स्थापना ईशप्रजा की आवश्यकता का प्रत्युत्तर देने के लिए आरम्भ की गई थी: कई लोग मिशनरियों की कहानियों को पढ़ना चाहते थे, स्वतः को उनके कार्यों के करीब महसूस करना चाहते थे, उनके साथ प्रार्थना करना चाहते थे। साथ ही देशों और संस्कृतियों को अधिक नज़दीकी से जानना चाहते थे जो उस समय एक औपनिवेशिक मानसिकता से प्रभावित थे। इन लोगों को वे एक ख्रीस्तीय दृष्टि के साथ देखना चाहते थे जो सम्मानजनक रूप से सत्य और भलाई के "बीज"  विश्व में बिखेर रहे थे।

सन्त पापा ने "विश्व और मिशन" पत्रिका के प्रथम निर्देशक फादर ज्याकोमो स्कूराती तथा उनके सहयोगियों के  प्रति श्रद्धा अर्पित करते हुए कहा कि उन्होंने मिशन में संचार के मूल्य को समझा, सबसे पहले कलीसिया के लिये,  बहिर्मुखी होने के महत्व को समझा और सुसमाचार के सन्देश को जन-जन में प्रसारित करने हेतु मिशनरियों की भूमिका को वे भली प्रकार बुद्धिगम्य कर पाये।

सन्त पापा ने कहा कि 150 वर्ष पूर्व इन अग्रदूतों ने उन देशों के लोगों में सुसमाचार प्रचार के महत्व को समझा, जिनमें वे नियत थे और सुदूर देशों में उन्होंने सुसमाचार और स्थानीय समुदायों के बीच साक्षात्कार को साकार किया। सन्त पापा ने कहा कि शुरू से ही उक्त पत्रिका एक व्यापक नज़र रखने वाली थी, जो हर देश एवं जगह की स्थानीय कलीसियाओं के प्रति उदार रही।

लोगों के प्रति और लोगों के समीप

सन्त पापा फ्रांसिस ने पीमे के सदस्यों से कहा कि सन् 1969 की तरह ही आज भी "विश्व और मिशन" पत्रिका का खास मिशन और लक्ष्य यही है, "आद जेन्तेस" अर्थात् लोगों के प्रति और लोगों के क़रीब। उन्होंने कहा कि पत्रिका आज भी विभिन्न देशों की स्थितियों पर समाचारों का प्रसार कर रही है, किन्तु अतीत की समस्याओं की तुलना में आज प्रस्तुत चुनौतियाँ अति गम्भीर हैं।

उन्होंने कहा कि हालांकि संचार माध्यम तकनीकियों ने अपार प्रगति कर ली है तथा दूरियों को कम कर दिया है  तथा लोगों के बीच बनी खाइयों को वह भर नहीं पाई है। उन्होंने कहा कि यह चुनौती और भी गम्भीर हो उठी हैं, इसलिये कि विविधता के सौन्दर्य को समझने के बजाय समाजों में मतभेदों, विकृतियों एवं अन्यायों भारी असमानताओं को देखा जा रहा है। इन्हें दूर करना तथा जिनकी आवाज़ नहीं सुना जाती उनकी आवाज़ बनना आज उक्त पत्रिका तथा पीमे मिशनरियों की अन्य पहलें जैसे एशिया न्यूज़ आदि का प्राथमिक मिशन होना चाहिये।  

सन्त पापा ने कहा कि यह अनिवार्य है कि हम ख्रीस्तीय उन लोगों की आवाज़ बनें जिनकी आवाज़ सुनी नहीं जाती, कमज़ोर और हाशिये पर जीने वालों का हम साथ दें, युद्ध से पीड़ित लोगों तथा प्रताड़ित अल्पसंख्यकों की हम आवाज़ बनें ताकि एक न्यायसंगत विश्व के निर्माण में सक्षम बन सकें। एक ऐसे विश्व का निर्माण कर सकें जिसमें संकट और हिंसा के बीच पुनर्मिलन के कृत्यों तथा उदासीनता के बीच एकात्मता को प्राथमिकता दी जा सके।  

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13 अक्तूबर 2022, 11:52