देवदूत प्रार्थना में पोप : विनम्र बनें ताकि ईश्वर आपको ऊपर उठायें
उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी
वाटिकन सिटी, रविवार, 23 अक्टूबर 2022 (रेई)- वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में रविवार 23 अकटूबर को संत पापा फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया जिसके पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा, "प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात।"
उठना और प्रभु की खोज करना
आज की धर्मविधि का सुसमाचार पाठ दो पात्रों के साथ एक दृष्टांत प्रस्तुत करता है, एक फरीसी और एक नाकेदार (लूक.18,9-14) एक धर्मी व्यक्ति और दूसरा पापी। दोनों एक मंदिर में प्रार्थना करने जाते हैं, पर सिर्फ नाकेदार ही अच्छी तरह प्रार्थना कर सकता है क्योंकि वह दीनता से अपने आपको झुकाता और असली रूप में बिना मास्क लगाये, अपनी गरीबी के साथ खुद को प्रस्तुत करता है। हम कह सकते हैं कि दृष्टांत दो गतिविधियों के बीच है एवं दो क्रियाओं के द्वारा व्यक्त होता है : उठना और झुकना।
पहली क्रिया है उठना। पाठ की शुरूआत यह कहते हुए होती है : दो व्यक्ति मंदिर में प्रार्थना करने गये। (10) संत पापा ने कहा, "यह आयाम बाईबिल में कई घटनाओं की याद दिलाता है, जहाँ व्यक्ति ईश्वर से मिलने के लिए पर्वत में उनकी उपस्थिति में जाता है: अब्राहम बलिदान चढ़ाने जाता है; मूसा सिनाई पर्वत पर 10 आज्ञाओं को प्राप्त करने जाता है; येसु पर्वत पर चढ़ते हैं जहाँ उनका रूपांतरण हो जाता है।"
झुकना ताकि प्रभु की ओर उठ सकें
इस प्रकार, उठना, प्रभु की ओर जाने के लिए नीरस जीवन से खुद को अलग करने हेतु हृदय की आवश्यकता को व्यक्त करता है। अपने अहम के पठार से उठने और ईश्वर की ओर बढ़ने; घाटी में हम जिस तरह जीते हैं उसे एक साथ प्रभु के सामने लाना।
संत पापा ने गौर किया कि ईश्वर के साथ मुलाकात को जीने और प्रार्थना द्वारा मन-परिवर्तन करने एवं ईश्वर की ओर बढ़ने के लिए, दूरी क्रिया की जरूरत है : "उतरने की", उनकी ओर आगे बढ़ने के लिए, हमें अपने आपको झुकाना की। अपने हृदय में ईमानदारी और दीनता की भावना लाना है जो हमारी दुर्बलताओं और गरीबी को सच्चे रूप में प्रकट करते।
निश्चय ही, विनम्रता में दिखावा किये बिना, हम जैसे हैं वैसे ही अपने आपको ईश्वर के पास ला पाते हैं : हमारे घाव, पाप और दयनीय स्थिति को, जो हमारे दिल को भारी बनाते, तथा उनकी दया की याचना करना ताकि वे हमें चंगा कर सकें, हमें बचा सकें और ऊपर उठा सकें। हम विनम्रता से जितना अधिक झुकते हैं ईश्वर हमें उतना ही अधिक उठाते हैं।
दृष्टांत के नाकेदार ने कुछ दूरी पर खड़ा होकर (पद.13), क्षमा की याचना की और ईश्वर ने उसे उठाया। जबकि फरीसी ने अपनी प्रशंसा की, उसे खुद पर पक्का विश्वास था कि वह अच्छा व्यक्ति है : वह तन कर खड़ा हो गया, और प्रभु के सामने खुद की बड़ाई करने लगा, अपने अच्छे धार्मिक कार्यों की गिनती करने लगा एवं अपने को दूसरों से अलग बताने लगा।
अहंकार से सावधान
संत पापा ने कहा कि यही आध्यात्मिक अहंकार करता है : यह आपको धर्मी मानने एवं दूसरों का न्याय करने के लिए प्रेरित करता है। इस तरह, अनजाने में आप अपने अहम की पूजा करने लगते हैं एवं ईश्वर को दरकिनार कर देते हैं।
संत पापा ने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा, "प्यारे भाइयो एवं बहनो, फरीसी और नाकेदार का मामला हमारे करीब है : आइये, हम अपने आपकी जाँच करें कि क्या मुझमें फरीसी जैसा भाव है, क्या अपने आपकी धार्मिकता पर पक्का विश्वास है जो हमें दूसरों के अलग कर देता। यह तब होता है उदाहरण के लिए, जब हम प्रशंसा की खोज करते और अपने अच्छे कार्यों एवं गुणों की सूची बनाते, जब हम, कैसे हैं उसे देखने के बदले, अपने आपको दिखाने के बारे सोचते हैं, जब हम खुद को संकीर्णता और दिखावटीपन के जाल में फंसने देते हैं।"
संत पापा ने संकीर्णता और दिखावटीपन की चेतावनी देते हुए कहा, "हम संकीर्णता और दिखावटीपन से सावधान रहें, महत्वाकंक्षा पर आधारित ये भावनाएँ, हम ख्रीस्तियों, पुरोहितों और धर्माध्यक्षों को भी हमेशा "मैं" शब्द का उच्चारण करने के लिए प्रेरित करते हैं : मैंने इसे किया है, मैंने लिखा है, मैंने कहा हैं, मैंने इसे समझ लिया है, इत्यादि। जहाँ जितनी अधिक "मैं" है उतना ही कम ईश्वर के लिए स्थान है।
कुँवारी मरियम दीनता की आदर्श
तब कुँवारी मरियम से प्रार्थना करने का आह्वान करते हुए संत पापा ने कहा, "आइये, हम धन्य कुँवारी मरियम की मध्यस्थता द्वारा प्रार्थना करें जो प्रभु की दीन सेविका, वह जीवित तस्वीर जिसे ईश्वर पूरा करना चाहते थे, "उसने शक्तिशालियों को उनके आसनों से गिरा दिया और दीनों को महान बना दिया है।" (लूक.1,52)
इतना कहने के बाद संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।
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