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संत पापा और इटली संचार संघों के सदस्यगण संत पापा और इटली संचार संघों के सदस्यगण 

संत पापाः मिलें, सुनें और तब वार्ता करें

संत पापा फ्रांसिस ने संचार माध्यमों के संघों के सदस्यों से मुलाकात करते हुए उन्हें मिलने, सनने और वार्ता करने का संदेश दिया।

दिलीप संजय एक्का-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, रोमवार, 31 अक्टूबर 2022 (रेई) संत पापा फ्रांसिस ने कोपेरकोम, इटली के संचार माध्यमों के संघीय सदस्यों से मुलाकात करते हुए उन्हें अपने संदेश में सहयोगिता, परिवर्तन और सुनने के लिए आहृवान किया।

सहयोगिता

संत पापा ने संचार के संबंध में सहयोगिता के बारे में कहा कि यह हमारे दैनिक जीवन में एक अच्छा संचार माध्यम होने को मदद करता है। “सहयोगिता अपने में एक साधारण कार्य नहीं है, यह धैर्य, दिशा, एकात्मक उद्देश्य और उससे भी बढ़कर व्यक्तिगत पहचान में बढ़ोत्तरी को जनसेवा के हितों में आधारित करने की मांग करता है, जिससे कलीसिया की सेवा हो सके।”

परिवर्तन

संत पापा ने परिवर्तन के बारे में कहा कि हम परिवर्तन के युग में नहीं बल्कि युग के परिवर्तन में जीवनयापन कर रहे हैं। यह हमारे जीवन में अति शीघ्र परिवर्तन लाता है। अतः हम वर्तमान समय की चुनौतियों और अवसरों से भयभीत न हों। “परिवर्तन हमें से अच्छी शिक्षा और कुशल प्रशिक्षण की मांग करती है।” उन्होंने कहा कि आप विशेष रुप से नयी पीढ़ी की ओर निगाहें रखते हुए सुयोग्य माध्यमों के द्वारा उनसे अपना संबंध बनाये रखें।

संत पापा ने संघीय सदस्यों को सावधानी बरतने हेतु आगाह करते हुए कहा बदलने का मतलब वर्तमान फैशन का अनुसरण करना नहीं, बल्कि अपने करने और सोचने के तरीके को बदलना है, जो अभी तक नहीं बदलता है, यह अपने में विस्मय होने को सम्माहित करता है जिससे नयेपन की शुरूआत होती है। “विस्मय हमें आगे ले जाती है, हमें बदलती और दिशा प्रदान करती है।

सुनने हेतु शांति की जरुरत

संत पापा ने संचार हेतु सुनने के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि हमें सुनने हेतु शांत होने की जरुरत है जिसके द्वारा हम दूसरों को आदर देते हैं। “सुनना हमें एक सच्ची वार्ता हेतु अग्रसर करता है, क्योंकि केवल सुनने के बाद हम कहने के सुयोग्य होते हैं।” उन्होंने संत योहन के सुमाचार को उद्धत करते हुए कहा कि शब्द की घोषणा शांति में सुनने के द्वारा होती है। “हम मिलें, सुनें और तब वार्ता करें।” इस संदर्भ में संत पापा ने संज्ञाओं पर ध्यान देने हेतु आग्रह किया न कि विशेषणों पर जो हमें विचलित कर देते हैं।” उन्होंने कहा कि हम एक ऐसी संस्कृति में हैं जो विशेषण में गिर गई है, सब कुछ विशेषण है और जब यह विशेषण होता है, तो वस्तु की पर्याप्तता खो जाती है।

संत पापा अपने संदेश के अंत में कोपेरकोम का ध्यान सिनोडलिटी की ओर जिसकी शुरूआत विगत साठ सालों पहले द्वितीय वाटिकन धर्मसभा से हुई है, करते हुए कहा, “मैं आपसे कलीसिया की इस यात्रा में अपना विशिष्ट योगदान देने हेतु आग्रह करता हूं। आप अपनी दैनिक प्रतिबद्धता में साक्षी और एकता के शिल्पकार बनें।”

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31 October 2022, 16:09