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संत अर्तेमिदे जात्ती की तस्वीर के सामने खड़े संत पापा फ्राँसिस संत अर्तेमिदे जात्ती की तस्वीर के सामने खड़े संत पापा फ्राँसिस 

पोप ˸ धन्य अर्तेमिदे ने अपना पूरा जीवन रोगियों की सेवा में लगाया

धन्य अर्तेमिदे ज़ात्ती की संत घोषणा के पूर्व, उनकी संत घोषणा में भाग लेने आये सभी सलेशियन धर्मसमाज के सदस्यों को सम्बोधित करते हुए संत पापा ने धन्य अर्तेमिदे को एक आप्रवासी, गरीबों के मित्र, धर्मसमाजी भाई एवं बुलाहट के लिए मध्यस्थ के रूप में याद किया। धन्य अर्तेमिदे ज़ात्ती और धन्य जोवन्नी बत्तिस्ता स्कालाब्रिनी की संत घोषणा 9 अक्टूबर को सुबह 10.15 बजे वाटिकन के संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में सम्पन्न होगा।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, शनिवार, 8 अक्तूबर 2022 (रेई) ˸ संत पापा फ्राँसिस ने धन्य अर्तेमीदे ज़ात्ती की संत घोषणा समारोह में भाग लेने आये सलेशियन परिवार के तीर्थयात्रियों का स्वागत किया।

सलेशियन तीर्थयात्रियों को सम्बोधित करते हुए संत पापा फ्राँसिस ने धन्य अर्तेमीदे ज़ात्ती की चार विशेषताओं पर प्रकाश डाला ˸ आप्रवासी, गरीबों के मित्र, धर्मसमाजी भाई एवं बुलाहट के लिए मध्यस्थ के रूप में।

धन्य अर्तेमीदे ज़ात्ती की तस्वीर के सामने चलते संत पापा फ्राँसिस
धन्य अर्तेमीदे ज़ात्ती की तस्वीर के सामने चलते संत पापा फ्राँसिस

आप्रवासी

संत पापा ने कहा, "सलेशियन 1875 में अर्जेंटीना पहुँचे और अपनी प्रेरिताई बोयनोस आइरिस एवं अन्य जगहों में शुरू की, खासकर, इताली आप्रवासियों के लिए।" आर्तेमीदे की मुलाकात सलेशियन पुरोहितों से वहीं बहिया ब्लांका में हुई, जब उनका परिवार 1897 में इटली से अर्जेंटीना पलायन किया। उन दिनों अनेक आप्रवासियों ने अपने विश्वास के मूल्य को खो दिया था किन्तु ज़त्ती ने अपना विश्वास नहीं खोया। ख्रीस्तीय समुदाय में रहकर उन्होंने पुरोहितों से सम्पर्क बनाये रखा और प्रार्थनाओं एवं संस्कारों में भाग लेते रहे।    

गरीबों के मित्र

20 साल की उम्र में क्षय की बीमारी से ग्रसित होने एवं ख्रीस्तीयों की सहायिका कुँवारी मरियम की मध्यस्थता द्वारा चंगाई पाने के बाद आर्तेमीदे ने अपना पूरा जीवन बीमारों के लिए समर्पित किया, विशेषकर, उनके लिए जो सबसे गरीब, परित्यक्त और उपेक्षित थे। एक सेल्सियन धर्मसमाजी के रूप में, उन्होंने अर्जेंटीना में 40 वर्षों तक गरीब बीमारों के लिए अस्पताल का संचालन किया। संत पापा ने कहा कि जात्ती की वीरता ने उन्हें ईश्वर के प्रेम की किरण बना दिया, जहाँ स्वास्थ्य देखभाल मुक्ति का एहसास बना। उनका हृदय भले समारी का था, उनका उत्साह एवं उनके हाथ छोटे, गरीब, पापी और तुच्छ लोगों के लिए थे। इस प्रकार अस्पताल "पिता का घर" एक कलीसिया का प्रतीक बन गया जो मानवता और अनुग्रह के वरदानों से समृद्ध, ईश्वर और भाइयों के प्रेम का घर तथा मुक्ति की प्रतिज्ञा के रूप में स्वास्थ्य का स्थान है।

विश्वास, प्रतिज्ञा, चंगाई

बीमारी से चंगाई प्राप्त करने के बाद आर्तेमीदे ने महसूस किया कि उनका जीवन अब अपनी सम्पति नहीं है बल्कि गरीबों के लिए है। अतः "विश्वास, प्रतिज्ञा, चंगाई" ये तीन क्रियाएँ आर्टेमिस के जीवन में आशीर्वाद और सांत्वना व्यक्त करते हैं। उन्होंने अपने मिशन को सलेशियन भाइयों के साथ जीया।

बुलाहट के लिए मध्यस्थ

संत पापा ने धन्य अर्तेमीदे ज़ात्ती को बुलाहट का मध्यस्थ कहा। उन्होंने अपना व्यक्तिगत अनुभव बतलाते हुए कहा कि अर्जेंटीना में एक जेस्विट प्रोविंशल के रूप में, उन्होंने उनकी मध्यस्थता से समर्पित जीवन की पवित्र बुलाहट के लिए प्रार्थना शुरू की थी जिसके बाद उन्होंने आजीवन ब्रादरों के उम्मीदवारों की संख्या में वृद्धि देखी थी।

संत पापा ने सलेशियल सहयोगी भाइयों (कोजूतर्स) को प्रोत्साहन दिया कि वे अपनी बुलाहट के वरदान के लिए हमेशा कृतज्ञ बने रहें जो समर्पित जीवन का एक विशेष साक्ष्य प्रस्तुत करता है। इस प्रकार वे अपने जीवन को छोटों और गरीबों की सेवा में युवा लोगों के लिए सुसमाचारी जीवन के रूप में प्रस्तुत कर सकेंगे।

अंत में, संत पापा ने अर्तेमीदे ज़ात्ती की संत घोषणा में भाग लेने आये सभी भाई बहनों को अपना आशीर्वाद प्रदान किया दिया।  

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08 October 2022, 16:31