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'शालोम' समुदाय के युवा संत पापा पॉल षष्टम सभागार में 'शालोम' समुदाय के युवा संत पापा पॉल षष्टम सभागार में 

'शालोम' समुदाय के युवाओं से संत पापा: 'रचनात्मक बने रहें'

वाटिकन में "शालोम" काथलिक समुदाय के लगभग 1000 युवाओं को संबोधित करते हुए, संत पापा फ्राँसिस ने उन्हें अपने मिशनरी करिश्मे को जीवित रखने के लिए प्रोत्साहित किया क्योंकि वे ब्राजील में जन्मे अपने आंदोलन की 40 वीं वर्षगांठ मनाते हैं, जिसका उद्देश्य युवाओं द्वारा युवाओं को प्रचार करना है।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, सोमवार 26 सितम्बर 2022(वाटिकन सिटी) : अपने मिशनरी अभियान में रचनात्मक, साहसी और स्वागत करने वाले बनें। संत पापा फ्राँसिस ने "शालोम" आंदोलन के युवाओं को वाटिकन में उनका स्वागत करते हुए यह चुनौतीपूर्ण जनादेश दिया, वे आंदोलन के 40वें वर्ष को चिह्नित करने वाले अपने पांच-वार्षिक सम्मेलन के लिए रोम आये हुए हैं।

"शालोम" समुदाय

कथलिक समुदाय की स्थापना 1982 में ब्राजील के फोर्टालेजा में मोसेस लौरो डी अजेवेदो फिल्हो और मारिया एम्मिर ओक्वेंडो नोगीरा द्वारा की गई थी, ताकि युवा लोगों को येसु द्वारा निर्धारित उदाहरण का अनुसरण करते हुए परिवर्तन के बीज बनने, शांति के निर्माता बनने के लिए प्रोत्साहित किया जा सक। यह बाद में दुनिया भर के अन्य देशों में फैल गया और 2007 में, परमधर्मपीठीय परिषद द्वारा लोकधर्मियों के एक अंतरराष्ट्रीय संघ के रूप में मान्यता दी गई थी।

कलीसिया और समाज में "मसीह का चेहरा" होने के लक्ष्य के साथ, युवाओं द्वारा युवाओं के बीच प्रचार करना इसका करिश्मा है। यह समुदाय आज 33 देशों में मौजूद है, इसमें शालोम के वर्तमान सदस्यों के अलावा 1,500 लाइफ कम्युनिटी मिशनरी और लगभग 10,000 अनुबंध मिशनरी समुदाय हैं। इसके सदस्यों की परंपरा है कि वे हर पांच साल में संत पापा के सामने अपने जीवन बलिदान को नवीनीकृत करने के लिए रोम की तीर्थ यात्रा करते हैं।

संत पापा फ्रांसिस ने मोसेस और मारिया को उनके परिचय भाषण के लिए धन्यवाद दिया। संत पापा ने उन लोगों को भी धन्यवाद दिया जिन्होंने गवाही दी है साथ ही उनके द्वारा पूछे गये प्रशनों का जवाब दिया।

संत पापा ने कहा कि मोसेस ने शालोम समुदाय के इतिहास को बताया कि इस समुदाय की शुरुआत पवित्र मिस्सा के दौरान चढ़ावा धर्मविधि की प्रार्थना के समय हुई। प्रेरित चरित (सीएफ प्रेरित च. 13,1-3) में हम पाते हैं कि उपवास और प्रार्थना के समय अंताखिया की कलीसिया को पवित्र आत्मा ने कहा कि पॉलुस और बरनाबास को एक विशेष कार्य के लिए निर्दिष्ट किया गया है अतः उन्हें जाने दें। संत पापा ने कहा कि धर्मविधि के दौरान हमें उसके प्रति चौकस रहना चाहिए: ईश्वर उन लोगों को अपनी उपस्थिति का एहसास दिलाता और उनसे बातें करता है जो उसके लिए कार्य करते हैं, ईश्वर उसे बुलाता और अपने मिशन में भेजता है ... और यह समय और इतिहास से बाहर नहीं है, ऐतिहासिक वास्तविकता के भीतर, स्थितियों के भीतर है। संत पापा ने पुनः मोसेस को अपना अनुभव साझा करने के लिए धन्यवाद दिया।

प्रेम में बने रहें

संत पापा ने फबियोला के सवाल का जवाब देते हुए कहा, फवियोला का सवाल था कि कैसे एक व्यस्त दुनिया में ईश्वर के साथ दोस्ती में बने रहना है, और कैसे इस अनुभव को जीवित वातावरण में "संक्रमित" करना है। आइए, उस क्रिया को याद करें जिसे प्रेरित संत योहन कई बार दोहराते हैं: "रहना"। "मुझ में रहो" - येसु कहते हैं - "मेरे प्रेम में बने रहो" (योहन,15.4.9)। यदि हम दाखलता की शाखाओं की तरह मसीह से जुड़े रहते हैं, तो हम दृढ़ रहते हैं और "संक्रमित" भी करते हैं। सबसे पहले, यदि हम प्रार्थना, वचन, आराधना, रोजरी माला प्रार्थना करते हुए उसमें बने रहते हैं, तो पवित्र आत्मा की लहर हमारे पास से गुजरती है और हम दृढ़ रह सकते हैं और हमें "संक्रमित" भी कर सकते हैं, हमें संदेह नहीं करना चाहिए! उसने यह वादा किया था: जो कोई भी उसमें रहता है वह बहुत फल देता है (सीएफ. योहन,15: 5)। फल प्रेम है, और यह मसीह का प्रेम है जो लोगों के दिलों को छूता है, चाहे हम कहीं भी हों, हर वातावरण में हमारे पास उसमें बने रहने की प्रतिबद्धता है, बाकी पवित्र आत्मा खुद पूरा करेंगे।

युवा कलीसिया के नायक

बेरट्रांड के प्रश्न के जवाब देते हुए संत पापा ने कहा कि बेरट्रांड "शालोम" समुदाय के साथ पहली मुलाकात की युवा शैली से प्रभावित थे और उसने पूछा कि इस भावना को जीवित रखना कैसे संभव है और यह भी कि कलीसिया में युवा लोगों के नेतृत्व का क्या महत्व है। संत पापा ने कहा कि आत्मा को युवा रखने के लिए, पवित्र आत्मा के लिए खुला रहना चाहिए। यह दिलों को नवीनीकृत करता है, जीवन को नवीनीकृत करता है, कलीसिया और दुनिया को नवीनीकृत करता है। हम शारीरिक रुप से यौवन की बात नहीं कर रहे हैं, बल्कि आत्मा के यौवन की बात कर रहे हैं।  फिर संत पापा ने संत पापा जॉन पॉल द्वितीय की बातों को याद किया जिसे उन्होंने  2000 के विश्व युवा दिवस में कहा, "जो कोई भी युवा लोगों के साथ है वह युवा रहता है।" (सीएफ. तोर वेरगाता के रात्रि जागरण में)।  बुजुर्ग अगर खुद को अलग करता है, तो वह युवा से बचता है, वह पहले बूढ़ा हो जाता है। इसके बजाय, कुछ समय के लिए बच्चों के साथ, किशोरों के साथ, युवा लोगों के साथ रहना सुंदर और समृद्ध है; उन्हें "कॉपी" करने के लिए नहीं, उपदेश देने के लिए नहीं, बल्कि उन्हें सुनने के लिए, उनसे बात करने के लिए, कुछ अनुभव बताने के लिए। फिर संत पापा ने कलीसिया के युवा नायको जैसे कार्लो अकुतिस, पियर जोर्जियो फ्रेसाती, बालक येसु की संत तेरेसा असीसी के संत फ्राँसिस और संत क्लारा और नाजरेथ की मरिया युवती थी जब उसने कहा," मैं यहाँ हूँ।"। इन सभी ने कलीसिया का निर्माण किया है और अभी भी अपनी गवाही द्वारा कलीसिया के निर्माण में लगे हुए हैं।

ग़रीबों से दोस्ती

"सबसे गरीब भाइयों और बहनों के साथ मित्रता" के प्रश्न का उत्तर देते हुए, संत पापा फ्राँसिस ने कलकत्ता के संत तेरेसा  के असाधारण उदाहरण की ओर ध्यान आकर्षित किया, जो "परित्यक्त लोगों के चेहरों में" प्रभु येसु को खोजने के लिए निकली थी।

"शालोम" आंदोलन के वर्तमान और भविष्य पर विचार करते हुए, अपने अनुभव के बारे में दो युवाओं की गवाही का अनुसरण करते हुए, संत पापा फ्राँसिस ने प्रतिभागियों को अपने "मिशनरी उत्साह" को जीवित रखने के लिए प्रोत्साहित किया, जिसने वर्षों से, "एक ख्रीस्तीय वास्तविकता के लिए दिया है। अब इसमें न केवल युवा लोग शामिल हैं, "बल्कि परिवार, मिशन के लिए प्रतिबद्ध धर्मसंघी और पुरोहित भी शामिल हैं।"

संत पापा ने उनसे कहा कि वे "संग्रहालय" में अपना विश्वास न रखें।

संत पापा ने याद किया कि आंदोलन का नाम "शालोम" ("शांति आपके साथ हो!") के करिश्मे पर प्रकाश डाला: "इस शांति ने आपको ईश्वर के साथ, अपने साथ और दूसरों के साथ मिला दिया है और अब आप इसे सभी तक पहुंचाने की कोशिश करते हैं, जिन लोगों से मिलते हैं।"

माता कलीसिया को सुनना

संत पापा फ्राँसिस ने भी आंदोलन की काथलिक प्रकृति पर जोर दिया: "आपने यूखरीस्तीय समारोह,  पवित्र साक्रामेंट की आराधना और पापस्वीकार संस्कार को केंद्र में रखा है। आपने उपदेश, संगीत, व्यक्तिगत और सामुदायिक चिंतन प्रार्थना को महत्व दिया है। यह वास्तव में 'काथलिक' और एक अटूट धन है जो तलसिया में पाया जाता है और जिससे हमें हमेशा आकर्षित होना चाहिए।"

यह याद करते हुए कि इसकी शुरुआत के बाद से, "शालोम" समुदाय को फोर्टालेजा के तत्कालीन आर्कबिशप स्वर्गीय कार्डिनल एलोइसियो लोर्शेइडर द्वारा सक्रिय रूप से समर्थन दिया गया था, संत पापा फ्राँसिस ने सदस्यों से "आत्मा की कार्रवाई के प्रति विनम्र रहने, आपस में सुनने के लिए खुला रहने और कलीसिया के दिशा-निर्देश का पालन करने का आग्रह किया, ताकि वे अपनी यात्रा को कैसे जारी रख सकें, यह बेहतर तरीके से समझ सकें।

संत पापा ने कहा, "पवित्र आत्मा के प्रति विनम्रता, माता कलीसिया को सुनने से आपको व्यक्तिगत विवेक में हस्तक्षेप से हमेशा बचना सिखाएगा।"

संत फ्रांसिस और येसु के संत तेरेसा आपका साथ दें

अंत में, संत पापा फ्राँसिस ने तीर्थयात्रियों को आशीर्वाद दिया और उनकी चल रही यात्रा में असीसी के संत फ्रांसिस, येसु की छोटी तेरेसा और कुंवारी माता मरियम की सहायता का आह्वान किया।

“असीसी के संत फ्रांसिस, येसु की छोटी तेरेसा आपकी यात्रा में आपका साथ दें। कुँवारी मरियम, आपके भीतर पिता के प्रति विश्वास और परित्याग की भावना रखे और आपकी मदद करे। प्रभु आपके जीवन के उपहार का स्वागत करें और अपनी कृपा से आपको बनाए रखें। मैं आपको सौहार्दपूर्वक आशीर्वाद देता हूँ और आपसे मेरे लिए प्रार्थना की याचना करता हूँ।"

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26 September 2022, 15:57