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वाटिकन स्थित सन्त पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में सन्त पापा फ्राँसिस, 28.09.2022 वाटिकन स्थित सन्त पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में सन्त पापा फ्राँसिस, 28.09.2022  

सन्त थॉमस आक्वाईनस बन्धुत्व संगठन के सदस्यों को सम्बोधन

अन्तरराष्ट्रीय सन्त थॉमस आक्वाईनस बन्धुत्व संगठन की साठवीं वर्षगाँठ पर सन्त पापा फ्रांसिस ने रोम की तीर्थयात्रा पर आये संगठन के प्रतिनिधियों को बधाइयाँ अर्पित कीं तथा द्वितीय वाटिकन महासभा की शिक्षाओं के प्रचार के लिये संगठन के योगदान की भूरि-भूरि प्रशंसा की।

जूलयट जेनेवीव क्रिस्टफर-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 30 सितम्बर 2022 (रेई, वाटिकन रेडियो): अन्तरराष्ट्रीय सन्त थॉमस आक्वाईनस बन्धुत्व संगठन की साठवीं वर्षगाँठ पर सन्त पापा फ्रांसिस ने रोम की तीर्थयात्रा पर आये संगठन के प्रतिनिधियों को बधाइयाँ अर्पित कीं तथा द्वितीय वाटिकन महासभा की शिक्षाओं के प्रचार के लिये संगठन के योगदान की भूरि-भूरि प्रशंसा की।

लोकधर्मियों का महत्व

सन्त पापा ने कहा कि द्वितीय वाटिकन महासभा की नवीनताओं में से एक सुसमाचार प्रचार मिशन में लोकधर्मियों के अधिकारों एवं दायित्वों के प्रति जागरुक होना था। उन्होंने कहा कि लोकधर्मियों की ज़िम्मेदारी है कि वे अपने मेषपालों के साथ सम्बद्ध होकर विश्व में व्याप्त हलचल के बीच सुसमाचार के प्रकाश को फैलायें।

सन्त पापा ने कहा कि यह देखकर हमेशा आश्चर्य होता है कि कैसे पवित्र आत्मा येसु के शिष्यों में प्रेरित प्रतिभाओं के माध्यम से मनुष्य की हर वास्तविकता में अपना रास्ता बनाता है। उन्होंने कहा कि आज हम देखते हैं कि कैसे आपके संगठन ने इस संदेश का स्वागत किया है तथा संस्कृति, युवाओं और परिवार के प्रचार के लिए विभिन्न परियोजनाओं का शुभारंभ किया है, इससे विश्व के विभिन्न हिस्सों में स्कूलों, विश्वविद्यालयों और छात्रावासों जैसे विभिन्न प्रकार के शैक्षणिक संस्थानों का निर्माण हुआ है।

सन्त पापा ने कहा इसके अतिरिक्त, सन्त थॉमस आक्वाईनस बन्धुत्व संगठन पुरोहितों, धर्मसंघियों एवं धर्मबहनों के प्रशिक्षण पर भी ध्यान केन्द्रित करता रहा है जो कि सराहनीय है।

विश्वास एवं तर्कणा प्राकृतिक सामंजस्य

सन्त पापा ने स्मरण दिलाया कि सन्त थॉमस आक्वाईनस के युग यानि 13 वीं शताब्दी में भी बहुत सी चुनौतियाँ थीं। पश्चिम में यूनानी दार्शनिक अरस्तू के लेखन की फिर से खोज की जा रही थी। कुछ लोग उनके कार्यों का अध्ययन करने के अनिच्छुक थे, क्योंकि उन्हें डर था कि उनकी मूर्तिपूजक सोच ईसाई धर्म के विरुद्ध हो सकती थी। तथापि, सन्त थॉमस ने यह खोज निकाला कि अरस्तू की अधिकांश कृतियाँ ख्रीस्तीय रहस्योद्घाटन के अनुरूप थीं। इसकी अर्थ यह हुआ कि सन्त थॉमस यह दर्शाने में सक्षम थे कि विश्वास और तर्कणा के बीच एक प्राकृतिक सामंजस्य है।

सन्त पापा ने कहा कि जब इस समृद्धि के बारे में हम जागरूक होते हैं, जो कट्टरपंथ, कट्टरपंथियों और नकारात्मक विचारधाराओं पर काबू पाने के लिए ज़रूरी है, तो प्रभु ख्रीस्त के सुसमाचार को विभिन्न संस्कृतियों तक पहुंचाने के लिए एक व्यापक मार्ग खुल जाता है, ऐसे प्रस्तावों के साथ जो मनुष्य की बुद्धि के अनुकूल होते हैं तथा प्रत्येक व्यक्ति की पहचान और उसकी गरिमा का सम्मान करते हैं।

सन्त पापा ने कहा, अपने करिश्मे को जीने में, जिसे आप शिक्षा के माध्यम से ठोस रूप से महसूस करते हैं, यह महत्वपूर्ण है कि आप याद रखें कि शिक्षण दया के आध्यात्मिक कार्यों में से एक है। शिक्षा मनुष्य के जीवन के प्रत्येक तत्व को एक अर्थ, एक आख्यान प्रदान करती है। यह ज्ञान साझा करने या कौशल विकसित करने में समाप्त नहीं हो जाता, अपितु, जैसा कि इसकी व्युत्पत्ति से पता चलता है, यह प्रत्येक व्यक्ति में व्याप्त अच्छाई को लाने में मदद करता है, उस हीरे की परख करने में मदद करता है जिसे प्रभु ईश्वर ने प्रत्येक के अन्तर में रखा है।

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30 September 2022, 11:41