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विज्ञान के परमधर्मपीठीय अकादमी के अधिवेशन में भाग लेनेवाले प्रतिभागियों को सम्बोधित करते संत पापा फ्राँसिस विज्ञान के परमधर्मपीठीय अकादमी के अधिवेशन में भाग लेनेवाले प्रतिभागियों को सम्बोधित करते संत पापा फ्राँसिस 

परमधर्मपीठीय अकादमी से पोप ˸ 'विज्ञान शांति का साधन है'

संत पापा फ्राँसिस ने शनिवार को विज्ञान के परमधर्मपीठीय अकादमी के अधिवेशन में भाग लेनेवाले प्रतिभागियों को सम्बोधित किया तथा हमारे आमघर को बचाने एवं संघर्ष दूर रहने हेतु विज्ञान के प्रयोग के महत्व पर जोर दिया।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

"मानव विकास पर सामान्य विज्ञान" विषय पर विज्ञान के परमधर्मपीठीय अकादमी का अधिवेशन पिछले तीन दिनों से वाटिकन में जारी है।

संत पापा ने शनिवार को प्रतिभागियों को सम्बोधित करते हुए चिंतन किया कि सामान्य विज्ञान के ज्ञान का उत्तम प्रयोग किस तरह किया जा सकता है।    

वर्तमान संकट के साथ सामान्य विज्ञान का संबंध

अपने सम्बोधन की शुरूआत संत पापा ने विज्ञान के परमधर्मपीठीय अकादमी के इतिहास पर चिंतन करते हुए की। जिसकी शुरूआत 1603 में हुई है।

संत पापा ने कहा, "इस अकादमी का धार्मिक संस्थानों में एक खास स्थान है, कलीसिया विज्ञान के शोध के उत्साह का स्वागत करता एवं उसे प्रोत्साहन देता है जिसके द्वारा सच्चाई के लिए प्रेम एवं विश्व के बारे ज्ञान को व्यक्त किया जा सके।  

रचनात्मक आश्चर्य की हमारी क्षमता और 'क्यों' का सवाल, चिंतन करने के गहरे ख्रीस्तीय दृष्टिकोण से उत्पन्न होता है, साथ में "सृष्टि की देखभाल करने का कार्य भी इससे जुड़ा है।"

संत पापा ने कहा कि अधिवेशन की विषयवस्तु सामान्य विज्ञान को वर्तमान चुनौतियों के हल से जोड़ना है। उन्होंने एक "आपस में जुड़े दृष्टिकोण" का आह्वान किया जो अंतःविषय अध्ययन की बढ़ती आवश्यकता को दर्शाता है जो "मानवता के अंतिम प्रश्नों के उत्तर प्रदान करने" में मदद करता है।

भाईचारा, न्याय और शांति की आवश्यकता

संत पापा ने कहा, "वैज्ञानिक उपलब्धियों की ओर बढ़ना, "हमेशा भाईचारा, न्याय और शांति की जरूरतों के लिए निर्देशित किया जाना चाहिए", ताकि "हमारे मानव परिवार और हमारे पर्यावरण के सामने आनेवाली महान चुनौतियों का सामना करने में मदद मिल सके।"

संत पापा ने अकादमी को विभिन्न वैश्विक आपात स्थितियों और राजनीति एवं विज्ञान से जुड़ने के प्रयासों में हमेशा लोगों को विशेष रूप से सबसे अधिक वंचित लोगों को लाभान्वित करने के लिए, विज्ञान और प्रौद्योगिकी की खोजों का उपयोग करते हुए, इसके व्यापक इतिहास पर बधाई दी।

उन्होंने कहा कि सकारात्मक परिणाम तभी प्राप्त किये जा सकते हैं जब वैज्ञानिक सच्चाई की खोज करें और "खोजों को इस तरह लागू करें कि मिलकर सच्चा, महान, अच्छा और सुंदर की खोज एक साथ विकसित हो।"

'तीसरे विश्व युद्ध' के बीच शांति निर्माण का लक्ष्य

संत पापा ने कहा कि शांति निर्माण के लक्ष्य के साथ ज्ञान को बढ़ावा देने पर जोर दिया जाना चाहिए जब विश्व मानव अधिकार, अंतरराष्ट्रीय नियम और आपसी सहयोग से दूर हो गया है।

यह "तीसरा विश्व युद्ध" लोगों को अधिक बड़े खतरे में डाल रहा है, संत पापा ने खेद प्रकट किया और कहा कि युद्ध को दूर करने, दुःख, गरीबी और नये प्रकार की गुलामी को दूर करने के लिए अधिक प्रयास किया जाना चाहिए।"  

उन्होंने कहा कि सभी वैज्ञानिकों को एक साथ आकर विज्ञान को वश में करना एवं इसे शांति की शक्ति बनाना चाहिए।  

हम सभी स्वतंत्रता, न्याय, वार्ता, आपसी मुलाकात, प्रेम और शांति के लिए भाईचारा का साक्ष्य देने तथा घृणा, बदले की भावना, विभाजन, हिंसा और युद्ध को बढ़ाने से बचने के लिए बुलाये गये हैं।

संत पापा ने अंत में पारिस्थितिक बदलाव की ओर बढ़ने का आह्वान किया ताकि असमानता, शोषण एवं विनाश बढ़ाने के बदले हमारे आमघर एवं जीवन की रक्षा की जा सके।

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10 September 2022, 16:57