नये धर्माध्यक्षों से पोप ˸ वार्ता के लिए खुले हों एवं गरीबों के नजदीक रहें
उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी
एक व्यक्तिगत एवं अनौपचारिक मुलाकात में संत पापा फ्राँसिस ने नये धर्माध्यक्षों को गरीबों की सेवा करने का सुझाव तथा प्रोत्साहन दिया। यह मुलाकात धर्माध्यक्षों के एक कोर्स के बाद हुआ है जिसमें उन्होंने धर्माध्यक्ष होने, चुनौतियों का सामना करने एवं विभिन्न मुद्दों को आगे ले चलने का प्रशिक्षण प्राप्त किया।
धर्माध्यक्षों के विभाग एवं पूर्वी कलीसिया के विभाग द्वारा आयोजित प्रशिक्षण कोर्स में भाग लेनेवाले करीब 200 धर्माध्यक्षोम ने सोमवार को वाटिकन के क्लेमेंटीन सभागार में संत पापा फ्राँसिस से मुलाकात की। मुलाकात गुप्त थी जिससे कि संत पापा एवं धर्माध्यक्षों के बीच खुलकर बातें हो सके। उनमें से कई लातीनी अमरीका से हैं। कोर्स 12 से 19 सितम्बर को रोम के रेजिना अपोस्तोलोरूम अथेनेयुम में सम्पन्न हुआ।
गरीबों की देखभाल
कोर्स का पहला सत्र 1-8 सितम्बर को सम्पन्न हुआ था, जिसका उद्घाटन वाटिकन राज्य सचिव कार्डिनल पीयेत्रो परोलिन ने ख्रीस्तीयाग अर्पित करते हुए किया था। कोर्स को दो भागों में बांटा गया था क्योंकि कोविड-19 प्रतिबंधों के कारण प्रतिभागियों की संख्या अधिक थी। संत पापा फ्राँसिस द्वारा धर्माध्यक्षों का स्वागत एक परम्परा है। जिसकी शुरूआत 2000 में संत पापा जॉन पौल द्वितीय ने की थी। इस साल कोर्स का शीर्षक था, "महामारी के बाद बदलते युग में सुसमाचार की घोषणा: धर्माध्यक्षों की सेवा।"
साओ पाओलो के सहायक धर्माध्यक्ष अंजेलो अदेमीर मिज्जारी ने वाटिकन न्यूज को बतलाया कि मुलाकात व्यक्तिगत थी जिसको सार्वजनिक रूप से नहीं किया गया। सहायक धर्माध्यक्ष ने बतलाया कि संत पापा ने उनका स्वागत किया एवं संदेश दिया कि वे गरीबों के निकट होने की आवश्यकता को न भूलें, इस बात को समझते हुए कि सब कुछ आपस में जुड़ा हुआ है और इस ग्रह में सब कुछ का देखभाल आवश्यक है। उसके बाद संत पापा ने अपने धर्माध्यक्ष भाइयों की कहानियों, परिस्थितियों एवं आग्रह को सुना। मुलाकात करीब डेढ़ घंटे तक चली।
चुनौतियाँ एवं धर्मशिक्षा देने का अधिकार
प्रशिक्षण कोर्स के दौरान संत पापा के विश्व पत्रों – अमोरिस लेतित्सिया, फ्रतेल्ली तूत्ती और लौदातो सी पर गहराई से अध्ययन किये गये। जो समग्र मानव विकास को प्रोत्साहन देते हुए परिवार एवं वैश्विक भाईचारा पर ध्यान केंद्रित करते हैं। ब्राजील के धर्माध्यक्ष मौरित्सियो दा सिल्वा जर्दिम ने कहा, "यह विभिन्न दिशाओं से एक साथ चलने का एक अवसर था, इसने हमें लोगों के चरवाहे बनने का प्रोत्साहन दिया और सुझाव दिया कि हमें अपने धर्मप्रांतों में एक मिशनरी, एकता एवं सहभागिता की कलीसिया के रूप में संत पापा फ्राँसिस के सिद्धांतों का पालन करते हुए किस तरह कार्य करना है।
धर्माध्यक्षों का सेमिनार मिशन के लिए नया उत्साह
संत पापा फ्राँसिस ने पिछले शनिवार को धर्माध्यक्षों के एक-दूसरे दल से मुलाकात की थी, जिन्होंने रोम में सुसमाचार प्रचार विभाग द्वारा आयोजित सेमिनार में भाग लिया। एक खुली वार्ता में संत पापा फ्राँसिस ने धर्माध्यक्षों से आग्रह किया था कि वे प्रभु के साथ हमेशा संबंध को गहरा बनाये रखें, धर्माध्यक्षों एवं अपने पुरोहितों से मिलकर रहें एवं विश्वासियों के नजदीक रहें।
वेनेजुएला में करोनी के प्रेरितिक विकर धर्माध्यक्ष जोंजालो ओनतिवेरोस ने वाटिकन न्यूज को बतलाया कि धर्माध्यक्षों ने संत पापा के साथ अपने मिशन अनुभवों को साझा किया था। संत पापा ने धर्माध्यक्षीय प्रेरिताई में प्रार्थना के महत्व पर जोर दिया था क्योंकि यदि कोई धर्माध्यक्ष प्रार्थना नहीं करता तो वह खुद को ईश्वर से दूर कर लेता और भटक जाता है। धर्माध्यक्ष ओनतिवेरोस ने बतलाया कि संत पापा ने उन्हें धर्माध्यक्षों के बीच आपस में एकता बनाये रखने का प्रोत्साहन दिया था। उन्हें पुरोहितों, सहकर्मियों और पल्ली समुदायों के निकट रहने की सलाह दी थी। उन्हें उत्तर देने और उनकी खोज करने तथा उनकी आवश्यकताओं पर ध्यान देने का परामर्श दिया था। संत पापा ने धर्माध्यक्षों को नायकत्व एवं धर्मांतरण से बचने को कहा था जो सुसमाचार से भिन्न है और जिसको येसु के तरीके से किया जाना चाहिए।
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