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खाद्य पदार्थों के बढ़ते दामों से झूजते बाज़ार, तस्वीरः इण्डोनेशिया खाद्य पदार्थों के बढ़ते दामों से झूजते बाज़ार, तस्वीरः इण्डोनेशिया 

खाद्य पदार्थों पर बन्द करें अटकलें, सन्त पापा फ्राँसिस

खाद्य अपशिष्ट और क्षति पर जागरूकता को समर्पित अंतर्राष्ट्रीय दिवस के उपलक्ष्य में रोम स्थित संयुक्त राष्ट्र संघीय खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) को गुरुवार को प्रेषित एक सन्देश में सन्त पापा फ्राँसिस ने सामाजिक न्याय की कमी को रेखांकित किया जो विश्व की लगभग एक तिहाई आबादी को पर्याप्त भोजन करने से रोकती है।

जूलयट जेनेवीव क्रिस्टफर-वाटिकन सिटी

रोम, शुक्रवार, 30 सितम्बर 2022 (रेर्ई, वाटिकन रेडियो): खाद्य अपशिष्ट और क्षति पर जागरूकता को समर्पित अंतर्राष्ट्रीय दिवस के उपलक्ष्य में रोम स्थित संयुक्त राष्ट्र संघीय खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) को गुरुवार को प्रेषित एक सन्देश में सन्त पापा फ्राँसिस ने सामाजिक न्याय की कमी को रेखांकित किया जो विश्व की लगभग एक तिहाई आबादी को पर्याप्त भोजन करने से रोकती है। उन्होंने कहा कि हमें खाद्य पदार्थों को पुनर्वितरण के लिए इकट्ठा करना चाहिए, तितर-बितर करने के लिये उनका उत्पादन नहीं करना चाहिए।"

भोजन का अपव्यय शर्मनाक

खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) के महानिदेशक क्यू दोंग्यू को प्रेषित सन्देश में सन्त पापा ने कहा, "खाना बर्बाद करने का मतलब है लोगों को बर्बाद करना"। उन्होंने दुनिया में बहुतायत में रहने वालों और भूख से पीड़ित या मरने वालों के बीच मौजूद गहन असमानता को रेखांकित किया। 

सन्त पापा ने कहा, "अपने आप को शब्दों तक हम सीमित न रखें, अपितु न्याय की मांग करने वाले भूखे लोगों के दिल दहलाने वाले विलाप" का प्रभावी ढंग से जवाब दें।"

सन्त पापा फ्राँसिस ने लिखा, "अनुचित तरीके से भोजन का उपयोग करना, इसे बर्बाद करना या खोना, "फेंकने वाली संस्कृति" के अनुरूप है और "जीवन के मौलिक मूल्य के प्रति उदासीनता" को प्रदर्शित करता है।" उन्होंने लिखा, "भोजन प्राप्त करना प्रत्येक व्यक्ति का मौलिक एवं प्राथमिक अधिकार है, अस्तु, यह जानते हुए कि बहुत से लोगों के पास पर्याप्त भोजन या इसे प्राप्त करने के साधन नहीं हैं, भोजन को सिर्फ इसलिये कूड़े में डाल देना क्योंकि इसे  इच्छित प्राप्तकर्ताओं तक पहुँचाने के संसाधन नहीं है, वास्तव में शर्मनाक और चिंताजनक है।

भूखों का विलाप

विश्व में बढ़ती असमानताओं की ओर सन्त पापा फ्राँसिस ने ध्यान कर्षित कराया और कहा कि प्राप्त रिपोर्टों के अनुसार, समस्त विश्व में खाद्य और पोषण सुरक्षा की स्थिति गम्भीर होती जा रही है। उन्होंने लिखा, "कई संकटों के कारण धरती पर पर्याप्त भोजन नहीं करने वाले लोगों की संख्या" बढ़ती जा रही है, भूखों का विलाप जारी है और इस विलाप को उन केंद्रों में गूंजना चाहिए जहां निर्णय लिये जाते हैं।"

उन्होंने लिखा इसीलिये मैं इस बात को दुहराना चाहता हूँ कि हमें "पुनर्वितरण के लिए संग्रह करना चाहिए, तितर-बितर करने के लिये खाद्य उत्पादन नहीं करना चाहिए।" उन्होंने कहा, "मैंने इसे अतीत में कहा है और मैं इसे दोहराते नहीं थकूंगा: भोजन बर्बाद करने का अर्थ है लोगों को बर्बाद करना!"

"बहुतायत का विरोधाभास"

सन्त पापा ने स्मरण दिलाया कि 30 साल पहले सन्त पापा जॉन पौल द्वितीय ने "बहुतायत के विरोधाभास" की निन्दा की थी जिसका सामना करने के लिये "संपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को एकजुट होना चाहिए"। उन्होंने कहा कि वास्तविकता तो यह है कि "दुनिया में इतना भोजन है कि कोई भी खाली पेट नहीं सो सकता!" उन्होंने कहा, वास्तव में, "उत्पादित खाद्य संसाधन विश्व के आठ अरब लोगों को खिलाने के लिए पर्याप्त हैं", फिर भी भुखमरी को मिटाया नहीं जा सका है। उन्होंने कहा कि कमी सामाजिक न्याय की और संसाधनों के प्रबंधन एवं धन के वितरण को विनियमित करने के तरीकों की कमी है।

खाद्य पर अटकलों को रोकने का आह्वान करते हुए सन्त पापा ने लिखा, "भोजन को अटकलों का विषय नहीं बनाया जा सकता। जीवन इस पर निर्भर करता है। उन्होंने कहा कि यह एक अपराध है कि बड़े उत्पादक मनुष्य की वास्तविक जरूरतों पर विचार किए बिना, ख़ुद को अमीर बनाने की होड़ में लगे रहें हैं। उन्होंने लिखा, खाद्य अटकलों को रोकना होगा! भोजन पर सौदेबाज़ी बन्द करनी होगी। भोजन सभी लोगों की मौलिक ज़रूरत है जिसे केवल कुछ को अमीर बनाने का साधन नहीं बनाया जा सकता।"

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30 September 2022, 11:47