खोज

ऑर्डर ऑफ सिस्टरशियन ऑफ द स्ट्रिक्ट ओबज़र्वेंस या ट्रापिस्ट के सदस्यों से मुलाकात करते संत पापा फ्रांँसिस ऑर्डर ऑफ सिस्टरशियन ऑफ द स्ट्रिक्ट ओबज़र्वेंस या ट्रापिस्ट के सदस्यों से मुलाकात करते संत पापा फ्रांँसिस 

ट्रापिस्ट के सदस्यों को संत पापा फ्राँसिस का संदेश

अपने धर्मसमाज की महासभा में भाग ले रहे ऑर्डर ऑफ सिस्टरशियन ऑफ द स्ट्रिक्ट ओबज़र्वेंस या ट्रापिस्ट के सदस्यों को सम्बोधित करते हुए संत पापा फ्राँसिस ने प्रोत्साहन दिया कि वे अपने तथा अपने समुदाय को सुधारने के लिए चार "सपनों" को पूरा करने की कोशिश करें।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

संत पापा फ्राँसिस ने शुक्रवार 16 सितम्बर को ट्रापिस्ट ऑर्डर के मठवासियों से वाटिकन के क्लेमेंटीन सभागार में मुलाकात की जो इन दिनों असीसी में अपने धर्मसमाज की महासभा में भाग ले रहे हैं ताकि धर्मसमाज में अपनी सामुदायिक भावना एवं दर्शन को बढ़ा सकें और वर्तमान के मुद्दों पर विचार विमार्श कर सकें। महासभा 23 सितम्बर को समाप्त होगी।   

नये मठवासी जेनेरल डोम बेरनार्दुस पितेर्स का चुनाव इसी साल हुआ है। संत पापा ने गौर किया कि जेनेरल चुने जाने के तुरन्त बाद उन्होंने उन 12 प्रांतों का दौरा किया जहाँ ट्रापिस्ट मठ स्थित हैं।

संत पापा ने कहा, "मठाधीश कहते हैं कि इस यात्रा में उन्होंने अधिकारियों (सुपीरियर्स) के सपनों को इकट्ठा किया' इस तरह अपने आपको व्यक्त करते हुए उन्होंने खुद सपनों को सकारात्मक मनोभाव से धारण किया ˸ काल्पनिक नहीं बल्कि प्रक्षेप्य रूप में।"

उन्होंने कहा कि हम किसी एक व्यक्ति के सपने पर बात नहीं कर रहे हैं बल्कि सपनों के संग्रह पर, जो समुदाय से उत्पन्न हुआ है और जो महासभा के दूसरे हिस्से में आत्मपरख का विषय होगा।

चार सपने

संत पापा ने चार सपनों के बारे बतलाया। ये सपने हैं, "समन्वय के सपने, सहभागिता के सपने, मिशन के सपने और प्रशिक्षण के सपने।"

उपस्थित मठवासियों को व्यक्तिगत एवं सामुदायिक सुधार के रास्ते पर आगे बढ़ने का प्रोत्साहन देते हुए संत पापा ने सलाह दी कि वे इन सभी सपनों की व्याख्या ख्रीस्त के द्वारा, उन्हें पहचानते हुए, सुसमाचार से तथा निष्पक्ष, चिंतनशील अर्थ में कल्पना करते हुए करें कि येसु ने कैसे इन वास्तविकताओं का सपना देखा। और यहीं एक सुन्दर एवं संतोषजनक आध्यात्मिक खोज के लिए स्थान खुलता है ˸ येसु के सपनों की खोज हेतु उनकी महान इच्छा के लिए, जिनको पिता ने उनके ईश्वरीय मानवीय हृदय में उत्पन्न किया।  

समन्वय

समन्वय के सपने पर चिंतन करते हुए संत पापा ने संत योहन रचित सुसमाचार में येसु की प्रार्थना की याद की जिसमें वे कहते हैं, "तूने मुझे जो महिमा प्रदान की है वह मैंने उन्हें दे दी है, जिसेस वे हमारी ही तरह एक हो जाएँ – मैं उनमें रहूँ और तू मुझमें, जिससे वे पूर्ण रूप से एक हो जाएँ और संसार यह जान ले कि तूने मुझे भेजा है और जिस प्रकार तूने मुझे प्यार किया, उसी प्रकार उन्हें भी प्यार किया है।" (यो.17:22-23)

संत पापा ने कहा, "यह पवित्र शब्द हमें येसु के साथ उनके शिष्यों से मिलकर सपने देखने के लिए प्रेरित करते हैं।" उन्होंने स्पष्ट किया कि इसका अर्थ एकरूपता नहीं बल्कि ख्रीस्त के साथ एक आम संबंध है और जिनमें पिता एवं पवित्र आत्मा भी हैं। येसु उस विविधता से भयभीत नहीं थे जो उनके 12 चेलों में थी, अतः हमें भी इस विविधता से नहीं डरना चाहिए, क्योंकि पवित्र आत्मा विविधता को एक साथ लाना एवं उनको मिलाकर सामंजस्य उत्पन्न करना जानते हैं।  

सहभागिता

दूसरे शब्द को संत पापा फ्राँसिस ने संत मती रचित सुसमाचार से लिया। जहाँ फरीसियों और सदुकियों की येसु के साथ विवाद होता है। इस विवाद के द्वारा येसु शिष्यों को याद दिलाते हैं कि हम सभी भाई-बहन हैं और पिता ही एकमात्र स्वामी हैं। संत पापा ने कहा कि हम यहाँ सभी सदस्य पिता के साथ संबंध और येसु के शिष्यों के रूप में भ्रातृत्वपूर्ण समुदाय पर चिंतन कर सकते हैं।  

उन्होंने कहा, "खासकर, समर्पित जीवन का समुदाय, अपनी कमजोरियों के साथ, लोगों के बीच सहभागी भ्रातृत्व की शैली का साक्ष्य देकर, हर दिन एक साथ जीने के लिए ख्रीस्त की कृपा पर भरोसा रखते हुए, ईश्वर के राज्य का चिन्ह हो सकता है।"

मिशन

मिशन हेतु भेजे जाने की याद करते हुए संत पापा ने कहा कि येसु अपने शिष्यों को भेजते हुए कहते हैं, "तुम लोग जाकर सब राष्ट्रों को शिष्य बनाओ और उन्हें, पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा के नाम पर बपतिस्मा दो।”(मती. 28:19-20).

संत पापा ने कहा, "एक मठवासी अपने मठ में प्रार्थना करते हुए अपनी ओर से सुसमाचार को उस भूमि पर ले जाने के लिए प्रार्थना करता है, वहाँ के लोगों को सिखलाता है कि हमारे एक पिता हैं जो हमें प्यार करते और इस दुनिया में हम स्वर्ग के रास्ते पर हैं।"

संत पापा ने कहा कि एक ट्रापिस्ट भी बाहर जानेवाली कलीसिया का हिस्सा बन सकता है और यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि किसी प्रकार के सुसमचार प्रचार में हमेशा ईश्वर को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। साथ ही कलीसिया के सम्पूर्ण जीवन में यह बात स्पष्ट होनी चाहिए कि पहल ईश्वर की है कि उन्होंने हमें पहले प्यार किया।

प्रशिक्षण

संत पापा ने प्रशिक्षण शब्द पर प्रकाश डालते हुए कहा कि सुसमाचार हमें येसु को अपने शिष्यों की चिंता करते हुए दिखलाता है। वे उन्हें धीरज से सिखलाते, दृष्टांतों का अर्थ समझाते और अपने जीवन के रास्ते के साक्ष्य को शब्दों एवं हाव-भाव के द्वारा स्पष्ट करते हैं।  

संत योहन रचित सुसमचार में येसु यह स्पष्ट करते हैं कि शिष्यों को यात्रा करना करना है, उन्हें प्रशिक्षण प्राप्त करना है; तथा प्रतिज्ञा करते हैं कि पवित्र आत्मा उन्हें सत्य के रास्ते पर आगे ले चलेगा।

पवित्रता का सपना

संत पापा ने संदेश के अंत में कहा कि "मैं उन्हें संक्षेप में 'पवित्रता का सपना' कहना चाहूँगा।" उन्होंने सभी सदस्यों को निमंत्रण देते हुए कहा, "आपकी बपतिस्मा की कृपा पवित्रता के रास्ते पर फल उत्पन्न करे। सब कुछ ईश्वर के लिए खुला हो, इस लक्ष्य के लिए ईश्वर को चुनें, ईश्वर को बार-बार चुनें। कभी निराश न हों, क्योंकि आपलोगों के पास पवित्र आत्मा की शक्ति है जो सब कुछ को सम्भव एवं पवित्र बना सकते हैं, आख़िरकार, पवित्रता, आपके जीवन में पवित्र आत्मा का फल है।"

Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here

17 September 2022, 15:26