महाधर्माध्यक्ष पेता ˸ कजाखस्तान में पोप की यात्रा एक बड़ा आशीर्वाद
उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी
असताना के महाधर्माध्यक्ष थॉमस पेता ने कजाखस्तान में पोप फ्राँसिस की प्रेरितिक यात्रा 13-15 सितम्बर के पूर्व वाटिकन न्यूज से बातें कीं।
एक विस्तृत बातचीत में महाधर्माध्यक्ष ने संत पापा की प्रेरितिक यात्रा पर चिंतन किया और कजाखस्तान में काथलिकों की स्थिति पर प्रकाश डाला।
कजाखस्तान की राजधानी नूर सुलतान में संत पापा फ्राँसिस की यात्रा इटली से बाहर उनकी 38वीं प्रेरितिक यात्रा होगी, जिसमें वे विश्व और पारंपरिक धर्मों के नेताओं की 7वें सम्मेलन में भाग लेंगे, तथा मध्य एशियाई राष्ट्र के छोटे काथलिक समुदाय के साथ अपनी निकटता व्यक्त करेंगे।
काथलिकों की संख्या, देश की कुल आबादी 19 मिलियन का करीब एक प्रतिशत है, जिसमें मुसलमानों की संख्या 70 प्रतिशत और ख्रीस्तियों की संख्या 25 प्रतिशत है जो खासकर रूसी ऑर्थोडॉक्स हैं।
पोलैंड में जन्मे महाधर्माध्यक्ष पेता का पुरोहित अभिषेक स्वर्गीय कार्डिनल स्तेफन वायस्जेंस्की और धर्माध्यक्षीय अभिषेक संत पापा जॉन पौल द्वितीय ने की थीं। उन्होंने वाटिकन रेडियो के साथ साक्षात्कार में निम्नलिखित विषयों पर बातें कीं।
सवाल – आपके दृष्टिकोण से संत पापा फ्राँसिस के कजाखस्तान में प्रेरितिक यात्रा का क्या महत्व है?
सवाल- संत पापा की प्रेरितिक यात्रा हमेशा एक ऐतिहासिक घटना होती है, खासकर, एक ऐसे देश में जहाँ काथलिक "छोटे झुण्ड" के रूप में हैं। यह तथ्य 2001 में संत पापा जॉन पौल द्वितीय की यात्रा से प्रमाणित होती है जिन्होंने "ग्रेट स्टेप" के देश में काथलिक कलीसिया की उपस्थिति का संकेत दिया, उसे विश्वास में मजबूत किया।
इसलिए मैं मानता हूँ कि संत पापा फ्राँसिस की यात्रा हम काथलिकों एवं पूरे कजाखस्तान लिए एक महान आशीर्वाद है। विश्व की नाटकीय स्थिति को ध्यान में रखते हुए, वर्तमान यात्रा वैश्विक स्तर पर शांति और सुलह की आशा रखती है।
हम आभारी हैं कि संत पापा नूर सुलतान के महागिरजाघर में नये प्रतीक - "महान मैदान की माता"- के त्रिफलक को आशीष प्रदान करेंगे। यह प्रतीक हमारे राष्ट्रीय तीर्थस्थल ओजोरनोये में शांति की रानी के लिए है। इस तरह हम ओजोरनोये में शांति एवं संत पापा के मतलबों के लिए उनके साथ आध्यात्मिक रूप से एक होकर प्रार्थना करेंगे।
सवाल- इस अंतरधार्मिक सम्मेलन तथा इसमें पोप की उपस्थिति एवं सहभागिता का क्या महत्व है?
जवाब - विश्व और पारंपरिक धर्मों के नेताओं का सम्मेलन धार्मिक चर्चाओं का मंच नहीं है। मेरी राय में, यह एक संकेत हो सकता है जो ईश्वर को शांति के स्रोत के रूप में इंगित करता है।
यद्यपि राजनीतिज्ञों का प्रयास जरूरी है, किन्तु यह काफी नहीं है। शांति के लिए विश्वासियों की एक तेज प्रार्थना की आवश्यकता है। संत पापा फ्राँसिस का इस सम्मेलन में भाग लेना इसके स्तर को ऊंचा कर देता है और शांति तथा मानवता के कल्याण हेतु कलीसिया की चिंता को दर्शाता है।
सवाल- कजाखस्तान में संत पापा फ्राँसिस को किस तरह देखा जाता है?
जवाब- कजाखस्तान के काथलिकों के लिए संत पापा फ्राँसिस कलीसिया के शीर्ष हैं – संत पेत्रुस के उतराधिकारी। अतः बड़े आनन्द और आशा के साथ संत पापा की प्रतीक्षा की जा रही है।
यह गौर करनेवाली बात है कि कजाख अधिकारियों के लिए संत पापा एक अधिकारी हैं। दिखाई पड़ता है कि सरकार पोप की यात्रा की तैयारी तत्परता के साथ कर रही है।
सवाल- आप जब कजाखस्तान पहुँचे तो किस बात ने आपको सबसे अधिक प्रभावित किया? क्या आप हमें बतला सकते हैं कि आपने क्या देखा है?
जवाब- मैं सन् 1990 में कजाखस्तान पहुँचा, जब सोवियत संघ का ही समय था। उस समय वहाँ कलीसिया की कोई संरचना नहीं थी। सोवियत संघ के पांच गणराज्यों के क्षेत्र में लगभग 15 स्थानीय पुरोहित, सोवियत संघ के नागरिक थे। कई शहरों और गांवों में विश्वासियों के समुदाय मौजूद थे।
जहां साम्यवाद के समय में लोगों ने विशेष तरीके से प्रार्थना की, वहाँ कलीसिया के प्रति आस्था और विश्वास की भावना को सुरक्षित रखा गया। कजाखस्तान को स्वतंत्रता मिलने के बाद (वर्ष 1991 में) धर्म और अंतःकरण की स्वतंत्रता की स्थितियों में इसका फल मिला। वहाँ जल्द ही पल्लियों, गिरजाघरों एवं प्रार्थनालयों का निर्माण किया गया।
सवाल- कजाखस्तान में काथलिकों की स्थिति क्या है?
जवाब- कजाखस्तान में हम धार्मिक स्वतंत्रता महसूस करते हैं। फिर भी, हमारे देश में काथलिक होना अधिक आसान नहीं है। यही कारण है कि काथलिकों की संख्या एक प्रतिशत है। कजखस्तान के 19 मिलियन नागरिक 130 देशों से आते हैं जिनमें 70% मूल आबादी - कज़ाख हैं और 18 आधिकारिक रूप से पंजीकृत धर्मों से संबंधित हैं।
काथलिक होने का अर्थ है परिपक्व निर्णय लेना। स्वतंत्रता के वर्षों में हमारे देश के लाखों लोग अपने ऐतिहासिक भूमि चले गये, उनमें से कई हजार संख्या काथलिकों की थी। इस समय काथलिक समुदाय अधिक अंतराष्ट्रीय बन गई। कजाखस्तान के काथलिक 10 विभिन्न देशों से आते हैं जिसमें कज़ाख राष्ट्र के प्रतिनिधि भी शामिल हैं। अब कोई हमें पहले की तरह "जर्मन" या "पोलिश" कलीसिया नहीं कह सकता।
सवाल- मध्य एशिया में, आपने यूक्रेन में युद्ध के संबंध में शांति के लिए पोप की अपील को कैसे देखा है?
जवाब – यूक्रेन में युद्ध के बड़ी त्रासदी है। हम कह सकते हैं कि यह मानवता के शरीर पर एक घाव है। हम मानते है कि संत पापा फ्राँसिस की यात्रा यूक्रेन में युद्ध के अंत एवं लम्बे समय से इंतजार की जा रही शांति को प्राप्त करने के लिए एक बड़ा योगदान होगा।
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