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न्यूयॉर्क में परमाणु हथियार निषेध पर एक सम्मेलन न्यूयॉर्क में परमाणु हथियार निषेध पर एक सम्मेलन 

पोप फ्राँसिस ने परमाणु हथियार रहित विश्व की आवश्यकता पर जोर दिया

संत पापा फ्राँसिस ने कहा है कि सच्ची विश्व शांति एवं स्थिरता के लिए एक वास्तविक संवाद की जरूरत है ताकि एक परमाणु "आतंक के संतुलन" से बाहर निकला जा सके। उन्होंने जोर दिया है कि परमाणु हथियारों को रखना और उसका प्रयोग करना अनैतिक है।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

सोमवार को प्रेषित एक ट्वीट संदेश में संत पापा फ्राँसिस ने जोर देते हुए कहा कि दुनिया को अपनी शांति एवं स्थिरता हेतु "सच्ची वार्ता" की ओर आगे बढ़ना चाहिए न कि परमाणु हथियारों के प्रयोग की ओर, क्योंकि एक "आतंक का संतुलन" सिर्फ गलत सुरक्षा की भावना प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि परमाणु हथियारों का प्रयोग साथ ही साथ उसको रखना मात्र भी अनैतिक है।

उन्होंने लिखा, "परमाणु हथियारों का प्रयोग, साथ ही साथ उसे रखना मात्र भी अनैतिक है। स्थिरता एवं शांति को सुरक्षा की एक गलत भावना से बचाने की कोशिश करना और "आतंक का संतुलन" बनाना, लोगों के बीच संबंध को विषाक्त करता एवं सच्ची वार्ता को नुकसान पहुँचाता है।”

संत पापा के ट्वीट संदेश में परमाणु हथियारों के अप्रसार पर संधि, या अप्रसार संधि (एनपीटी), का हवाला दिया गया है, जिसमें न्यूयॉर्क में अगस्त से पांच साल की समीक्षा शुरू की जायेगी। महामारी ने समीक्षा में देरी की है जिसको 2020 में ही शुरू किया जाना था।  

अप्रसार संधि में परमाणु ऊर्जा के अप्रसार, निरस्त्रीकरण और शांतिपूर्ण उपयोग के तीन स्तंभ शामिल हैं और इसे परमाणु अप्रसार को बढ़ावा देने के लिए एक प्रमुख अंतरराष्ट्रीय साधन के रूप में देखा जाता है। यह 1970 में लागू हुआ और आज संधि के लिए 191 राज्यों की पार्टी है। एनपीटी का उद्देश्य अन्य राज्यों को परमाणु हथियार प्राप्त करने से रोकने के साथ-साथ परमाणु हथियारों के भंडार में कमी करना है।

हर पाँच साल में समीक्षा की प्रक्रिया जारी की जाती है जिसमें वर्तमान में प्रगति पर समीक्षा की जाती है एवं भविष्य के लिए लक्ष्य निर्धारित किये जाते हैं।

जून में पोप फ्राँसिस ने परमाणु हथियारों के निषेध (टीपीएनडब्ल्यू) पर संधि के लिए राष्ट्रों के विभिन्न दलों की पहली बैठक को एक संदेश दिया था जिसको पढ़कर प्रस्तुत किया गया था, जिसमें उन्होंने युद्ध को समाप्त करने और संघर्ष के कारणों के लिए अपने आह्वान को नवीनीकृत किया था, तथा पुष्टि दी थी कि परमाणु हथियारों का उपयोग और यहां तक कि उसे रखना भी अनैतिक है। उस अवसर पर संत पापा फ्राँसिस ने परमाणु हथियारों के निषेध पर संधि के "साहसी दृष्टिकोण" को सराहा था और कहा था कि "इसकी आवश्यकता इस समय हमेशा से कहीं अधिक है।"

परमाणु हथियारों के निषेध पर संधि का उद्देश्य है परमाणु हथियार रहित विश्व बनाये रखना। इसे 2021 में लागू किया गया। वर्तमान में कुल 65 देशों ने संधि में शामिल होने की मंजूरी दी है या संधि को स्वीकार किया है, यद्यपि किसी भी परमाणु-सशस्त्र देश ने ऐसा नहीं किया है।  

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02 August 2022, 16:37