आक्विला में तीर्थयात्रा से पूर्व आब्रूत्सो के लोगों से सन्त पापा
जूलयट जेनेवीव क्रिस्टफर-वाटिकन सिटी
वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 26 अगस्त 2022 (रेई, वाटिकन रेडियो): "आपको प्रोत्साहित करने के लिए मैं आपके बीच आ रहा हूं", इन शब्दों से आक्विला के दैनिक समाचार पत्र "इल चेन्त्रो" से बातचीत में सन्त पापा फ्राँसिस ने आक्विला में अपनी तीर्थयात्रा का उद्देश्य स्पष्ट किया। रविवार 28 अगस्त को को सन्त पापा फ्राँसिस इटली के आक्विला शहर की प्रेरितिक यात्रा पर जा रहे हैं, 2009 में भीषण भूकम्प की चपेट में आने के बाद से यह शहर अभी भी पुनर्निर्माण की प्रक्रिया से जूझ रहा है।
ईश्वर पर भरोसे का आग्रह
छः अप्रैल 2009 के भूकम्प में हुए विनाश के सन्दर्भ में किये गये सवाल कि जब जीवन समाप्त होता प्रतीत होता है तब नवजीवन की बात कैसे की जा सकती है? के उत्तर में सन्त पापा ने कहा, "दर्द और पीड़ा हमेशा से एक रहस्य रहा है।" हमें यह नहीं सोचना चाहिए कि कुछ ठोस तर्क होना ही काफी है और हम कुछ अनुभवों के अंधेरे से सुरक्षित हो जायेंगे। प्रभु येसु मसीह को स्वयं इस अँधेरे से गुज़रना पड़ा, उन्होंने स्वतः को अकेला और पराजित महसूस किया। तथापि, उन्होंने हमें सिखाया कि ठीक उसी क्षण जब सब कुछ खो गया लगता है, एक अप्रत्याशित इशारा किया जा सकता है, और वह है पिता ईश्वर पर भरोसा! पीड़ा के क्षणों में येसु कहते हैं, "पिता मैं आपके हाथों में अपनी आत्मा को सौंपता हूं"।
सन्त पापा ने कहा कि विश्वास के इस भाव के बिना नवजीवन सम्भव नहीं हो सकता है, क्योंकि जब अन्य सभी निश्चितताएं ध्वस्त हो जाती हैं तब पिता ईश्वर ही हैं जिनमें हमारा हाथ थाँबने की शक्ति है। उन्होंने कहा कि विश्वास करनेवाला व्यक्ति इस बात को जानता है कि यह जीवन केवल एक "मार्ग" है, एक यात्रा है जो हमें एक ऐसे जीवन की ओर अग्रसर करती है जो कभी बीतता नहीं।
उन्होंने कहा कि यह आंतरिक निश्चितता एक उपहार है जिसे सतत् प्रार्थना द्वारा मांगा जाना चाहिए, और साथ ही इसे हर उस चीज़ से बचाया जाना चाहिए जो इसे बुझाना चाहती है। बाईबल पाठ यह महसूस करने के लिए पर्याप्त है कि जिन लोगों को फिर से अपने पैरों पर खड़ा होना पड़ा है, उन्होंने एक नई विनम्रता, अपने बारे में एक नई जागरूकता से शुरुआत करते हुए ऐसा किया है। हम कह सकते हैं कि वे पहले की तुलना में "अधिक मानव" बनकर उठे।
क्षमा का महत्व
आक्विला में अपनी प्रेरितिक यात्रा के दिन सन्त पापा फ्राँसिस क्षमा के प्रतीक कोल्लेमाज्जियो के महागिरजाघर का पवित्र द्वार खोलेंगे। इस सन्दर्भ में किये प्रश्न के उत्तर में सन्त पापा ने कहा कि वर्तमान समय में हम यूक्रेन पर जारी भयानक युद्ध को देख रहे हैं, तथापि विश्व में बहुत से ऐसे युद्ध हैं जिन्हें भुला दिया गया है या फिर जिन्हें सम्प्रेषण माध्यमों में अधिक स्थान नहीं मिला है और जो प्रतिदिन निर्दोष नागरिकों की पीड़ा का कारण बन रहे हैं। सन्त पापा ने कहा कि यह याद रखना अनिवार्य है कि बुराई को बुराई से जीता नहीं जा सकता, बल्कि इसे केवल अच्छाई से पराजित किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि युद्ध शुरु करने में इतना शक्ति नहीं लगती जितनी कि क्षमा करने में, क्योंकि क्षमा के लिये एक गहन आन्तरिक एवं सांस्कृतिक परिपक्वता की आवश्यकता होती है।
सन्त पापा ने कहा कि उनका विश्वास है कि हम सभी को मिलकर शांति की संस्कृति का विकास करना चाहिए जो एक संभावित परिपक्वता से क्षमा की ओर ले जाये। इस प्रतिबद्धता के बिना हम बुराई के उस तर्क में उलझे रहेंगे जो उन लोगों के हितों के तर्क से जुड़ा है जो इन संघर्षों का फ़ायदा उठाकर ख़ुद को समृद्ध बनाकर और अन्यों का शोषण करते हैं।
सन्त पापा ने कहा, "किसी भी युद्ध के खिलाफ क्षमा ही एकमात्र संभव हथियार है।" उन्होंने कहा कि सन्त पापा सेलेस्टाइन जानते थे कि ग़रीबों की मदद के लिये विनम्रता और प्रेम की ज़रूरत है। उन्होंने कहा कि दुर्भाग्यवश आज हमारे समाज के कई तबकों में हम केवल विलासिता और धन के पीछे भागते लोगों का दीदार कर रहे हैं।
सन्त पापा ने कहा कि उनकी आक्विला यात्रा का लक्ष्य एक बार फिर इसी बात को दुहराना है कि मनुष्य हर ग़रीबी में येसु के दर्शन करे। उन्होंने कहा कि ग़रीबी अन्याय का परिणाम है इसलिये ग़रीबी दूर करने के लिये सबसे पहले अन्याय को दूर करना होगा। उन्होंने कहा कि जब तक हम सम्पत्ति और धन की हवस के गुलाम रहेंगे तब तक ग़रीबी दूर करने तथा यथार्थ शांति की खोज में असमर्थ ही रहेंगे।
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