खोज

संत पापाः मुक्ति का मार्ग संकरा है

संत पापा फ्रांसिस ने रविवारीय देवदूत प्रार्थना के पूर्व विश्वासियों को दिये गये अपने संदेश में स्वर्ग राज्य की प्राप्ति हेतु संकरे द्वार के चुनाव पर प्रकाश डाला।

दिलीप संजय एक्का-वाटिकन सिटी

संत पापा फ्रांसिस ने रविवार 22 आगस्त को वाटकिन संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में जमा हुए विश्वासियों और तीर्थयात्रियों के संग देवदूत प्रार्थना का पाठ किया। संत पापा ने सभों का अभिवादन करते हुए कहा, प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात।

संकरा द्वार भयभीत न करे

संत लूकस रचित सुसमाचार में आज हम किसी व्यक्ति को येसु से यह कहते हुए सुनते हैं, “क्या थोड़े ही लोग मुक्ति प्राप्त करेंगेॽ इसके उत्तर में येसु कहते हैं, “संकरे द्वार से प्रवेश करने का प्रयत्न करो”। संकरे द्वार की निशानी हमें भयभीत कर सकती है मानों मुक्ति केवल कुछेक चुने हुए लोगों या सर्वश्रेष्ठ लोगों के लिए है। लेकिन आगे कही गई बातें येसु की शिक्षा का विखंडन करती हैं जिसे हम बहुत से दूसरे स्थानों में भी सुनते हैं। “बहुत से लोग पूर्व तथा पश्चिम से और उत्तर तथा दक्षिण से आकर ईश्वर के राज्य में भोज में सम्मिलित होंगे। अतः द्वार संकरा है लेकिन यह सभों के लिए खुला है”।

इसे बेहतर रूप में समझने हेतु हमें यह पूछने की जरूरत है कि संकरा द्वार क्या है। येसु अपने समकालीन जीवन में इस चिन्ह का उपयोग करते हैं, शायद रात हो जाने पर द्वार बंद हो जायेगा और केवल एक ही सबसे छोटा द्वार खुला रहेगा, घर लौटने हेतु किसी व्यक्ति को केवल उसी द्वार से प्रवेश होकर आना होगा।

येसु का द्वार संकरा

संत पापा ने कहा कि हम येसु के वचनों पर विचार करें जहाँ वे कहते हैं, “मैं द्वार हूँ” जो मुझ से होकर प्रवेश करेगा वही मुक्ति को प्राप्त करेगा” (यो.10.9)। वे हमें बतलाना चाहते हैं कि ईश्वरीय जीवन, मुक्ति प्राप्त करने हेतु हमें उनसे होकर गुजरने की आवश्यकता है, हमें उन्हें और उनके वचनों को अपने जीवन में धारण करने की जरुरत है। जैसे शहर में प्रवेश करने हेतु किसी व्यक्ति को केवल एक ही द्वार से होकर जाना है उसी प्रकार ख्रीस्तीय जीवन का मापदंड येसु ख्रीस्त हैं, जिनमें हमारा जीवन स्थापित और गढ़ा गया है। इसका अर्थ यह है कि येसु और उनके वचन ही हमारे लिए जीवन के आधार हैं। अतः संकरे द्वार का संदर्भ यह नहीं कि केवल कुछेक लोग उसमें प्रवेश कर सकेंगे, बल्कि इसका अर्थ अपने प्रेममय, सेवा के जीवन द्वारा येसु ख्रीस्त के संग होना उनका अनुसारण करना है अपने को समर्पित करना है जैसा कि उन्होंने किय। वे संकरे द्वार से प्रवेश करते हुए अपने को क्रूस पर अर्पित करते हैं। येसु के द्वारा बतलाये गये जीवन में प्रवेश करना हमें अपने स्वार्थ को कम करना, अपनी आत्म-निर्भरता, घमंड और अंहकार जीवन, सुस्तीपन से परे जाना है जहाँ हम उनके जोखिम भरे प्रेम में बढ़ते हैं  जो हमारे लिए क्रूस को भी लेकर आता है।

प्रेमपूर्ण जीवन संकरे मार्ग की चुनौती

संत पापा फ्रांसिस ने कहा कि हम ठोस रुप में अपने जीवन के प्रेमपूर्ण कार्यों की याद करें जिसके निर्वाहन में हमें संघर्ष करना पड़ा है। उन्होंने दिन जीवन के कई उत्तरदायित्वों का जिक्र किया- अभिभावकों के रुप में अपने जीवन को अपनी संतानों के लिए देना, अपने जीवन की बातों का त्याग करते हुए उन्हें अपना समय देना, अपनी चिंता करने के बदले अपने जीवन को दूसरों के लिए अर्पित करना, वे जिन्होंने बुजुर्गों की सेवा में अपने को समर्पित किया है, अतिसंवेदनशील और गरीबों की सेवा में समर्पित जीवन, वे जिन्होंने अपने कार्यों को पूर्ण निष्ठा में पूरा करते हुए अपनी असुविधाओं शायद नसमझी की चिंता नहीं की, वे जिन्हें अपने विश्वास के कारण दुःख उठाना पड़ा लेकिन वे प्रार्थना में अडिग बने रहते हुए प्रेम का जीवन व्यतीत किया, वे जिन्होंने अपनी सोच-विचार का अनुसरण करने की अपेक्षा बुराई के बदले अच्छाई के कार्य किये, क्षमा करने की शक्ति का एहसास करते हुए साहस में पुनः अपने जीवन की शुरूआत की। ये लोगों के कुछ उदाहरण हैं जिन्होंने अपने लिए सुविधाजनक चौड़े द्वार का चुनाव नहीं किया बल्कि येसु ख्रीस्त के संकरे द्वार का चुनाव करते हुए प्रेम के जीवन को चुना। ईश्वर आज हमें कहते हैं वे पिता के द्वारा उनसे पहले स्वीकारे किये जायेंगे जो अपने में यह विश्वास करते हैं कि वे सर्वप्रथम मुक्ति के हकदार होंगे लेकिन उनके कार्य अपने में दुष्टतापूर्ण है।

आत्मपरख करें

संत पापा फ्रांसिस ने विश्वासियों से सवाल करते हुए कहा कि आप किस ओर बढ़ रहे हैं। क्या आप केवल अपनी चिंता करते हुए सहज मार्ग का चुनाव करते हैं, या सुमाचार के संकरे द्वार का जो कठिन परिस्थिति में भी स्वार्थ का परित्याग करते हुए ईश्वर की ओर से आने वाले सच्चे जीवन का चुनाव करने को हमें प्रेरित करता है, हम अपने को किस स्थिति में पाते हैंॽ माता मरिया जिन्होंने क्रूस के मार्ग येसु का अनुसरण किया हमें जीवन में चुनाव हेतु मदद करें जिससे हम अनंत जीवन की परिपूर्णत में प्रवेश कर सकें।

इतना कहने के बाद संत पापा फ्राँसिस ने सभों के संग दूत संदेश प्रार्थना का पाठ किया और सभों को अपना आशीर्वाद प्रदान किया।

देवदूत प्रार्थना के उपरांत संत पापा ने रोम और विश्व के विभिन्न स्थलों से आये हुए विश्वासियों और तीर्थयात्रियों का अभिवादन किया। उन्होंने 13वीं बार उक्रेनवासी के लिए प्रार्थना का आहृवान किया जो युद्ध का दंश झेल रहे हैं। उन्होंने निकारागुआ में उत्पन्न हुई विकट परिस्थिति के बारे में जिक्र करते हुए इस बात की आशा जताई कि देश में वार्ता के जरिये समस्या का समाधान निकाला जा सकें।

अंत में संत पापा फ्रांसिस ने अपने लिए प्रार्थना का निवेदन करते हुए सभों को रविवारीय मंगलकामनाएँ अर्पित कीं।     

Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here

23 August 2022, 10:11