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संत पापा धर्माध्यक्षों और पुरोहितों के संग संत पापा धर्माध्यक्षों और पुरोहितों के संग 

संत पापाः धर्माध्यक्षों से बातचीत का आह्वान

मोलतू प्रोप्रियो “मिनिस्टेरिया कुवैदम” की 50 वीं वर्षगांठ के अवसर पर संत पापा फ्रांसिस ने धर्माध्यक्षीय सम्मेलन से वार्ता के विचार रखें।

दिलीप संजय एक्का-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, गुरूवार, 25 अगस्त 2022 (रेई) संत पापा पौल छवें के मोलतू प्रोप्रियो “मिनिस्टेरिया कुवैदम” की 50 वीं वर्षगांठ के अवसर पर, संत फ्रांसिस ने इस प्रेरितिक पत्र के प्रभाव पर चिंतन करते हुए धर्माध्यक्षीय सम्मेलनों के साथ एक संवाद करने की इच्छा व्यक्त की।

उन्होंने कहा कि मोलतू प्रोप्रियो “मिनिस्टेरिया कुवैदम” के प्रकाशित हुए 50 वर्ष पूरे हो चुके हैं। इस प्रेरितिक पत्र से संबंधित कुछ सूक्ष्म सुधार किये गये हैं  जिसमें शब्द समारोह, लेक्टर और वेदी सेवा मंत्रालय के लिए एकोलाईट शामिल है। इसमें लोकधर्मियों की सेवा को स्थान दिया गया।

संत पापा फ्राँसिस ने बुधवार को जारी किये गये एक एक संदेश में दुनिया भर के धर्माध्यक्षीय सम्मेलनों के साथ वार्ता शुरू करने की इच्छा व्यक्त करते हुए कहा, “हमें इन पचास वर्षों में कलीसिया में दी गई सेवाओं की समृद्ध अनुभवों की समृत्तियों को साझा करने की जरुरत है”। उन्होंने इसके उद्देश्य के बार में जोर देते हुए कहा कि यह हमें प्रक्रिया को रोके बिना पवित्र आत्मा की आवाज को सुनने में मदद करेगा, और हम अपने वैचारिक दृष्टिकोण के आधार पर विकल्पों को नहीं थोपेंगे। अतः यह उचित है कि हम अपने पचास वर्षीय अनुभवों को एक-दूसरे के संग साझा करें जो हमें कलीसियाई यात्रा की एकात्मकता, सिनोडलिटी को व्यक्त करने में सहायक होगा। यह अनुभव हमें बपतिस्मा में मिली सेवकाई के संबंध में एक उचित मूल्यांकन को सार्थक बनायेगा और हम अपने विकास की यात्रा में आगे बढ़ेंगे।

संत पापा छवें के मार्ग और संत पापा फ्रांसिस का पत्र

संत पापा ने अपने संदेश में इस बात की याद दिलाई कि मोलतू प्रोप्रियो माईनर ओडर और उप-याजकीय संबंधी बातों का नवनीकरण मात्रा नहीं है, “लेकिन यह कलीसिया को एक निश्चित दिशा प्रदान करता है जो हमें आगे विकास हेतु प्रेरितिक करता है”। इस संबंध में अमेजन धर्मसभा के दौरान प्रेरिताई विकास की संभावना पर भी चर्चा की गई थी।

विदित हो कि इसके बाद, संत फ्रांसिस ने दो प्रेरितिक पत्र लिखे- पहला, “स्पिरिटस डोमिनी” जो 10 जनवरी 2021 को प्रकाशित हुआ,  जिसमें महिलाओं को लेक्टोरेट और एकोलाईट कार्य की अनुमति दी गई। 10 मई, 2021  को प्रकाशित दूसरा, "एंटीक्यूम मिनिस्ट्रियम" ने धर्मशिक्षा पर प्रेरिताई को मंजूरी दी गई। 

संत पापा ने कहा कि ये दो दिशा-निर्देशनों को “पिछले सिद्धांत में परिवर्तन स्वरुप नहीं देका जाना  चाहिए, लेकिन यह आगे विकास के कदम स्वरुप देखा जाये क्योंकि यह उन्हीं सिद्धांतों पर आधारित है – जहाँ हम द्वितीय वाटिकन धर्मसभा को प्रतिबिंबित पाते हैं” जिसके द्वारा संत पापा पौल छवें  प्रेरित हुए थे।  

संत पापा पौल छवें ने, कई धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के धर्माध्यक्षों के अनुरोध का पालन करते हुए, वास्तव में पचास साल पहले “धर्माध्यक्षीय सम्मेलनों को उन मंत्रालयों की स्थापना के लिए कलीसिया की परमधर्मपीठ से पूछने की संभावना प्रदान की थी, जिन्हें वे अपने प्रांतो में आवश्यक या बहुत उपयोगी रुप में देखते थे।

हर प्रेरिताई की नींव

संत पापा इस बात को सुस्पष्ट करते हुए कहा हैं कि यहाँ हमारे लिए कलीसिया का जीवन मुख्य रुप से आता है, वास्तव में, ऐसा कोई भी ख्रीस्तीय समुदाय नहीं जो अपने को प्रेरिताई में व्यक्त नहीं करती हो। हम इसे संत पौलुस के पत्रों में वर्णित पाते हैं, एक विस्तृत प्रेरिताई” “दो निश्चित नींव पर आधारित है, पहला “हर सेवकाई का मूलाधार ईश्वर होता है जो पवित्र आत्मा से सारी चीजों में कार्य करता है”। और “दूसरा हर प्रेरिताई का मूलमंत्र जनसामान्य की भलाई है, जो समुदाय का निर्माण करता है। हर प्रेरिताई, इस भांति “समुदाय की भलाई  हेतु ईश्वर की ओर से दिया गया एक बुलावा है”।

यह संगठन, संत पापा लिखते हैं, “केवल एक कार्यात्मक तथ्य नहीं है, बल्कि, एक ठोस स्थान पर और अपने जीवन के वर्तमान क्षण में, पवित्र आत्मा द्वारा आने वाले सुझाव की आत्म-परख है जो कलीसिया को दिशा-निर्देशन देता है।”

इस प्रकार, “कोई भी प्रेरितिक संरचना जो इस विवेक से उत्पन्न होती है, वह आत्मा की क्रिया में गतिशील, जीवंत और लोचक होती है: इसमें हमें और अधिक गहराई में जाने की जरुरत है यदि ऐसा नहीं होता तो हमारी गतिशीलता भ्रमक हो जाती है।

विचारों के अधिक महत्वपूर्ण है सच्चाइयाँ

अपने संदेश में, संत पापा फ्राँसिस जारी रखते हैं कि “कलीसिया की एकता, कलीसिया के संस्कार, पुरोहिताई की प्रेरिताई, हर प्रेरिताई की धार्मिक दृश्यता ऐसे सैद्धांतिक सिद्धांत हैं, जो पवित्र आत्मा के द्वारा अनुप्रेणित हैं, जो कलीसिया की विविध प्रेरिताई को सामंजस्यपूर्ण बनाती है”।

ये सारी चीजें अपने में जटिल हैं जिनकी गहरी में हमें जाने की जरुरत है जिससे हम अपनी प्रेरिताई को और भी अर्थपूर्ण बना सकें। इस संदर्भ में संत पापा ने “एभनजेली गौदुयिम” पर आधारित अपने संदेश को दुहाराया “सच्चाइयाँ विचारों से अधिक महत्वपूर्ण हैं” और “हमें चाहिए कि इनके मध्य सदैव वार्ता जारी रहे”। 

 

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25 August 2022, 17:09