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संत पापाः बुजुर्गावस्था प्रज्ञा का ताना-बाना

संत पापा फ्रांसिस ने माता मरियम के स्वर्गारोहण के संदर्भ से बुजुर्गावस्था पर अपनी धर्मशिक्षा माला का समापन किया।

दिलीप संजय एक्का-वाटिकन सिटी

संत पापा फ्रांसिस ने अपने बुधावरीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर वाटिकन के संत पापा पौल षष्टम् के सभागार में एकत्रित सभी विश्वासियों और तीर्थयात्रियों का अभिवादन करते हुए कह, प्रिय भाइयो एवं बहनो, सप्रभात।

हमने फिलहाल ही येसु की माता का स्वर्गरोहण महोत्सव मनाया है। यह मरियम को मिली कृपामयी परिपूर्ण रहस्य को आलोकित करता है जहाँ वे स्वर्गलोक में आरोहित की जाती हैं, और यह हमारे गंतव्य को भी उजागर करता है। कुंवारी मरियम के इस स्वर्गारोहण की निशानी के आधार पर मैं बुजुर्गो पर अपनी धर्मशिक्षा माला का इति करूंगा। संत पापा ने कहा कि पश्चिम उनके स्वर्ग में उठाये जाने पर चिंतन करता है, वहीं पूर्व में वह शिष्यों की संगति, प्रार्थना में लीन प्रस्तुत की जाती है जबकि पुनर्जीवित प्रभु उन्हें एक बच्चे की भांति अपनी हाथों में रखते हैं।

स्वर्गारोहण और मृत्यु

ईशशास्त्र ने “स्वर्गारोहण” को सदैव मृत्यु के साथ संयुक्त करते हुए इस पर चिंतन किया है जिसे धर्मसिद्धांत परिभाषित नहीं करता है। संत पापा ने कहा कि मैं सोचता हूँ इस रहस्य को पुत्र के पुनरुत्थान संग जोड़ते हुए स्पष्ट करना इसे और भी महत्वपूर्ण बनाता है, जो हमारे आगामी जीवन के लिए मार्ग प्रशस्त करता है। मरियम का पुनर्जीवित मसीह के साथ मिलन की दिव्य घटना, सामान्य मानव मृत्यु की नश्वरता से परे जाना केवल नहीं बल्कि यह ईश्वरीय जीवन में हमारी शारीरिक सहभागिता का पूर्वाभास देता है क्योंकि हमारे ख्रीस्तीय विश्वास के अनुसार पुनर्जीवित येसु ख्रीस्त असंख्य भाइयों और बहनों में पहलौठे हैं जो जी उठे हैं। वे सबसे पहले जी उठे हैं, वे पहले स्थान पर हैं, हम उनका अनुसरण करेंगे, बल्कि यह हमारे भाग्य (कर्मों) के अनुरूप होगा।

स्वर्ग दूसरा जन्म स्थल

संत पापा ने पुनरूत्थान पर प्रकाश डालते हुए कहा कि निकोदेमुस को येसु के कहे गये वचनों के आधार पर हम कह सकते हैं-कि यह दूसरा जन्म लेने के समान है (यो.3.3-8)। यदि हमारा पहला जन्म इस धरती पर हुआ है तो दूसरा जन्म स्वर्ग में होगा। यह कोई संयोग नहीं है कि प्रेरित पौलुस हमारे लिए सृष्टि की प्रसव-पीड़ा के बारे में कहते हैं (रोमि.8.22)। माता के गर्भ से जन्म लेकर मानव के रुप में हम वैसे ही हैं जैसे कि हम थे। वैसे ही मृत्यु के उपरांत हमारा जन्म स्वर्ग में, ईश्वरीय निवास में होगा और हम अभी जैसे इस पृथ्वी पर चल-फिर रहे हैं वैसे ही रहेंगे। पुनर्जीवित येसु ख्रीस्त वही पहलौठे हैं, वे अपनी मानवता को नहीं खोते हैं, उनका अनुभव या यहाँ तक कि उनका शरीर भी, क्योंकि इसके बिना वे, येसु ख्रीस्त नहीं रहेंगे।

शिष्यों को साक्ष्य

संत पापा ने कहा कि शिष्यों का अनुभव, जहाँ वे उन्हें अपने पुनरूत्थान के चालीस दिनों बाद दिखलाई दिये, इसके बारे में कहता है। येसु ने उन्हें अपने घावों को दिखलाया जो उनके बलिदान की निशानी हैं, लेकिन वे अब दर्दनाक पीड़ा अपमान की कुरूपता नहीं हैं, वे अब सदैव उनके निष्ठामय प्रेम के अमिट सबूत हैं। येसु ख्रीस्त का पुनर्जीवित शरीर तृत्वमय ईश्वरीय एकता में निवास करता है। और इसमें वे अपनी यादों को नहीं खोते हैं, वे इतिहास का परित्याग नहीं करते, वे पृथ्वी में जीवित अपने संबंध को विघटित नहीं करते हैं। वे अपने मित्रों से यह प्रतिज्ञा करते हैं, “मैं तुम्हारे लिए स्थान का प्रबंध करने जाता हूँ। मैं वहाँ जा कर तुम्हारे लिए स्थान का प्रबंध करने के बाद फिर आऊँगा और तुम्हें अपने यहाँ ले जाऊँगा, जिससे जहाँ मैं हूँ वहाँ तुम भी रहो” (यो.14.3)। संत पापा ने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि वे आयेंगे, केवल अंतिम समय में नहीं बल्कि वे हमारे रोज दिन के जीवन में हम प्रत्येक के पास आते हैं। वे हमें खोजने आते जिससे वे हमें अपने पास ले चलें। इस अर्थ में मृत्यु येसु से मिलन हेतु एक कदम है जहाँ वे हमारा इंतजार करते हैं।

हमारा नया निवास

पुनर्जीवित येसु ईश्वर के राज्य में निवास करते हैं जहाँ हरएक के लिए एक स्थान है, जहाँ एक नई पृथ्वी और एक स्वर्गीय शहर तैयार किया जा रहा है जो मानव के लिए सदा का निवास स्थल होगा। हम इस परिवर्तन को इस नश्वर शारीरिकता की दुनिया में कल्पना नहीं कर सकते हैं लेकिन निश्चित रुप में यह हमारे चेहरों को पहचानने योग्य बनाए रखेगा और हमें ईश्वरीय राज में मानव बनाये रखेगा। यह हमें उत्कृष्ट भावना में, ईश्वर के रचनात्मक कार्य, अनंत, आनंदमय उल्लास में सहभागी बनायेगा और उसके अंतहीन रोमांच का हम प्रत्यक्ष अनुभव करेंगे।

मानव जीवन “बीज”  

संत पापा फ्रांसिस ने कहा कि जब येसु ईश्वरीय राज्य के बारे में कहते, तो वे इसे विवाह भोज के रुप में, मित्रों के संग एक महोत्सव के रुप में चिचित्र करते हैं, एक कार्य जो घर को श्रेष्ठ बनाता, जो आश्चर्यजनक रुप में बोने की अपेक्षा लुनने की समृद्धि का जिक्र करता है। ईश्वरीय राज्य के बारे में सुसमाचार के शब्दों को गंभीरता से लेना हमारी मनोभावनाओं को ईश्वर के कार्य और रचनात्मक प्रेम में आनंदित करता है, यह हमें बोए गए जीवन के अभूतपूर्व गंतव्य के साथ तालमेल बैठाने में मदद करता है। उन्होंने सभी बुजुर्गोंजनों का ध्यान आकर्षित कराते हुए कहा कि जीवन की असंख्य बातें जहाँ हम एक आलिंगन, मुस्कान, संकेत, प्रंशसनीय प्रयास, एक अनसोची आश्चर्य, एक खुशनुमा आतिथ्य, एक निष्ठामय संबंध को पाते है जो जीवन को महत्वपूर्ण बनाता है। जीवन की महत्वपूर्ण बातें, जिन्हें हम अपनी विदाई के करीब पहुंचते हुए सबसे प्रिय मानते हैं, हमारे लिए निश्चित रूप से स्पष्ट हो जाते हैं जैसे- वृद्धावस्था की हमारी प्रज्ञा, जो बच्चों, युवाओं, वयस्कों, पूरे समुदाय के जीवन को रोशन करती है। संत पापा ने कहा कि बुजुर्गों को चाहिए कि वे दूसरों के लिए ज्योति बनें। हमारा पूरा जीवन एक बीज की भांति होता है जिसे भूमि में दबे होने की जरुरत है जिससे यह बढ़े, फूले और फल प्रदान करें। यह दुनिया में अन्य दूसरी चीजों के साथ बढ़ता है। यह मेहनत के बिना और बिना दुःख-दर्द के नहीं होता है, लेकिन यह अपने में बढ़ता जाता है। हमारा पुनर्जीवित जीवन अपने में इस पृथ्वी के जीवन से कहीं और अधिक खुशहाल होगा (मार, 10.28-31)।

येसु इंतजार करते हैं

पुनर्जीवित येसु ख्रीस्त झील के किनारे मछलियों को आग में तैयार करते हुए अपने शिष्यों का इंतजार करते हुए उन्हें देते हैं (यो. 21.9)। उनकी यह प्रेममयी चिंता इस बात की झलक प्रस्तुत करती है तट को पार करने पर हमारे लिए क्या होगा। संत पापा ने बुजुर्गों से कहा कि आप के जीवन में श्रेष्ठ आना अभी बाकी ही है क्योंकि श्रेष्ठ का आना बाकी है। हम अपने पूर्ण जीवन की प्रतीक्षा करते हैं जो ईश्वर के बुलावे में हमें मिलेगा। हम थोड़ा भय में उस जीवन की प्रतीक्षा करते हैं क्योंकि हम नहीं जानते कि वह कब आयेगा, हम कब वहाँ जा पायेंगेॽ हमें भय होता है क्योंकि हम नहीं जानते कि इस यात्रा का अर्थ क्या है लेकिन ईश्वर का हाथ सदैव हमारे साथ है जो हमें आगे ले चलते हैं, उस द्वार से पार होने के बाद हमारे लिए एक महोत्सव होगा। ईश्वर की माता और हमारी माँ, जो हम से पहले स्वर्ग में उठा ले  गयीं, घबराहट भरी प्रतीक्षा की घड़ी में हमारी मदद करें क्योंकि यह एक असंवेदनकृत प्रतीक्षा नहीं है।  

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24 August 2022, 16:28