युवाओं से पोप ˸ दुनिया को यूरोप का नया चेहरा दें
उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी
संत पापा ने युवाओं का आह्वान किया है कि वे दुनिया को यूरोप का एक नया चेहरा दिखायें।
संत पापा ने उक्त बात 11-13 जुलाई को चेक रिपब्लिक की राजधानी प्राग्वे में आयोजित यूरोपीय संघ युवा सम्मेलन में भाग लेनेवाले युवाओं से कही जिसमें उन्होंने युवाओं को शिक्षित करने पर जोर दिया ताकि बेहतर विश्व का निर्माण किया जा सके।
यूरोप का नया चेहरा
संत पापा ने शिक्षा पर वैश्विक समझौता की याद की जिसको सितम्बर 2019 में जारी किया गया था तथा विश्वभर के शिक्षकों के बीच संबंध को बढ़ावा देने की पहल पर जोर दिया गया था ताकि भावी पीढ़ी को भाईचारा की शिक्षा दी जा सके और महादेश को बेहतर बनाने हेतु कार्य किया जा सके।
उन्होंने जोर देते हुए कहा, "एक यूरोपीय युवा के रूप में आपका एक खास मिशन है। यदि अतीत में आपके पूर्वज दूसरे महादेश चले गये, हमेशा नेक हितों के लिए नहीं, पर यह आपपर निर्भर करता है कि आप दुनिया के सामने यूरोप का एक नया चेहरा दिखायें।"
सोमवार को प्रकाशित संदेश में संत पापा फ्राँसिस ने युवाओं से कहा कि वे उत्कृष्टता की ओर कार्य करें, वे हमेशा दूसरों की मदद करने एवं दूसरों का स्वागत करने पर ध्यान दें और पर्यावरण की रक्षा करें।
संत पापा ने उनसे अपील की है कि वे पर्यावरण की रक्षा करें तथा प्रोत्साहन दिया कि वे 2015 में प्रकाशित उनके विश्व पत्र लौदातो सी को पढ़ें।
उन्होंने उन संस्थानों के खिलाफ चेतावनी दी जो यथास्थिति बनाए रखते हैं, लेकिन दुनिया की सच्ची बेहतरी की दिशा में काम नहीं करते।
उन्होंने कहा, "उन सायरनों की ओर न झुकें जो दुनिया के एक छोटे से टुकड़े के लिए आरक्षित विलासिता के जीवन का प्रस्ताव देते हैं, इसके बदले "व्यापक दृष्टिकोण" रखें जो पूरी मानवता को एक साथ ले सकता है जो छोटे द्वीप से काफी बड़ा है। आप विलासिता और बर्बादी के बिना प्रतिष्ठित और सौम्य जीवन की ओर प्रेरित हों, ताकि हमारे विश्व में हर कोई एक गरिमापूर्ण जीवन जी सके।"
मूर्खतापूर्ण युद्ध का जानबूझकर बहिष्कार
पोप फ्रांसिस ने महाद्वीप में कई युद्धों के बाद अब यूक्रेन में चल रहे "मूर्खतापूर्ण युद्ध" पर भी शोक व्यक्त किया। उन्होंने याद किया कि अतीत में एक संयुक्त यूरोप की इच्छा के कारण लगभग सात दशकों तक शांति का माहौल बना रहा।
"इस समय हम सभी को भयंकर युद्ध के अंत के लिए अपने आपको प्रतिबद्ध करना चाहिए जबकि कुछ ही शक्तिशाली लोग निर्णय लेते एवं हजारों युवाओं को लड़ने और मरने के लिए भेजते हैं। इस तरह के मामलों में यह उचित है कि विरोध किया जाए।"
संत पापा ने कहा, "किसी ने कहा है कि यदि दुनिया महिलाओं के द्वारा संचालित होती तो इतना अधिक युद्ध नहीं होता, क्योंकि जिन लोगों का मिशन जीवन देना है वे मौत का चुनाव नहीं करतीं।" "उसी तरह मैं सोचता हूँ कि यदि दुनिया युवाओं के द्वारा संचालित होता तो इतना अधिक युद्ध नहीं होता। जिनका पूरा जीवन आगे पड़ा हुआ है वे निश्चय ही इसके नष्ट करना और फेंकना नहीं चाहते बल्कि इसे पूरी तरह जीना चाहते।"
धन्य फ्रेंज जाजेरस्टाटेर
संत पापा ने संदेश में कहा, " मैं आपको एक युवा आपत्तिकर्ता के असाधारण व्यक्तित्व को जानने के लिए आमंत्रित करना चाहता हूँ, "एक व्यापक दृष्टिकोण" वाला एक यूरोपीय युवक, जिसने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान नाजीवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी। उनका नाम था फ्रेंज जाजेरस्टाटेर और जिन्हें संत पापा बेनेडिक्ट 16वें ने धन्य घोषित किया।
फेंज एक ऑस्ट्रलियाई युवा था अपने काथलिक विश्वास के कारण उसने हिटलर के प्रति निष्ठा की शपथ लेने और युद्ध में जाने के निषेधाज्ञा पर आपत्ति जतायी। एक युवक के रूप में वह प्रसन्नचित, दिलकश और लापरवाह व्यक्ति था किन्तु वयस्क के रूप में अपनी पत्नी एवं बच्चों के साथ उनका जीवन बदल गया और उसका विश्वास अत्यन्त गहरा हो गया। जब उसे सैनिक में भर्ती होने के लिए बुलाया गया, तब उसने इंकार कर दिया क्योंकि उसने महसूस किया कि निर्दोष लोगों की जान लेना अन्याय का काम है।
धन्य फ्रेंज के निर्णय के लिए उन्हें अपने समुदाय, महापौर और यहां तक कि उनके परिवार के सदस्यों की ओर से भी "कड़ी प्रतिक्रियाएँ" मिलीं।
"एक पुरोहित ने परिवार के खातिर उन्हें समझाने की कोशिश की। उनकी पत्नी के अलावा हर कोई उनके विरूद्ध हो गया। पत्नी ने कीमत चुकाये जाने के प्रति सचेत रहने पर भी अंत तक अपने पति का समर्थन किया। यातनाओं के बावजूद मारने का चुनाव करने के बदले, प्रेंज ने मरना स्वीकार किया।
संत पापा ने कहा, "उन्होंने युद्ध को पूरी तरह अन्यायपूर्ण माना। अगर हथियार उठाने के लिए बुलाए गए सभी युवकों ने वैसा ही किया होता, तो हिटलर अपनी शैतानी योजनाओं को अंजाम नहीं दे पाता।"
"जीतने के लिए बुराई को सहयोगियों की आवश्यकता होती है"
संत पापा ने बतलाया कि धन्य फ्रेंज को उसी जेल में मार दिया गया जहां उनके समकालीन, डिट्रिच बोनहोफ़र, एक युवा जर्मन लूथरन धर्मशास्त्री और नाज़ी विरोधी, को भी कैद किया गया था और उन्हें दुखद अंत का सामना करना पड़ा। संत पापा ने गौर किया कि विस्तृत दृष्टिकोण रखने के कारण युवा मार डाले गये क्योंकि वे अपने विश्वास के विचारों के साथ अंत तक नष्ठावान बने रहे।
सच्चाई की खोज से जीवन का अर्थ मिलता है
अपने संदेश में संत पापा ने शिक्षा के विभिन्न आयामों पर प्रकाश डाला।
उन्होंने कहा, "प्रिय यूरोपीय युवाओं, मैं आप लोगों को ऊपर की ओर और सीमा से परे देखने के लिए आमंत्रित करता हूँ, जीवन के सच्चे अर्थ की खोज करते रहें कि आप कहाँ से आये हैं और किधर जा रहे हैं और सच्चाई की खोज करें क्योंकि हम सच्चाई के बिना प्रमाणिक रूप से नहीं जी सकते। अपने पैरों से धरती पर दृढ़ता से चलें किन्तु विस्तृत नजरिये के साथ, क्षितिज, आकाश के लिए खुले रहें। संत पापा ने युवाओं से बेहतर समाज एवं बेहतर विश्व के निर्माण हेतु कार्य करने का आह्वान किया।
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