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महासभा के प्रतिभागी महासभा के प्रतिभागी  

धर्मसमाजियों से पोप ˸ कैरिज्म कलीसिया के निर्माण के लिए हैं

संत पापा फ्राँसिस ने सुसमाचार प्रचार के महत्व को रेखांकित किया है, यह कहते हुए कि उन्हें सुसमाचार के साक्ष्य एवं प्रचार की ओर अभिमुख होना चाहिए। 14 जुलाई को संत पापा फ्राँसिस ने ईश्वर की माता के ऑर्डर, बसिलियन ऑर्डर ऑफ सेंट जोसाफात और मिशन के धर्मसमाज के सदस्यों को सम्बोधित किया जो अपने धर्मसंघ की महासभा में भाग ले रहे हैं।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

संत पापा फ्राँसिस ने बृहस्पतिवार को ईश्वर की माता के ऑर्डर, बसिलियन ऑर्डर ऑफ सेंट जोसाफात और मिशन के धर्मसमाज के सदस्यों से मुलाकात की जो इन दिनों अपने धर्मसमाज की महासभाओं में भाग ले रही हैं।

अपने संदेश में संत पापा ने तीनों धर्मसमाजों की परमाधिकारिणियों का स्वागत किया तथा उन्हें धन्यवाद दिया कि वे अपने-अपने धर्मसमाजों को रास्ता और दृष्टिकोण प्रदान कर रहे हैं। संत पापा ने धर्मसमाजी समुदायों को कलीसियाओं में समर्पित व्यक्तियों के रूप में साक्ष्य देने, साथ ही साथ उनकी प्रेरितिक गतिविधियों के लिए कलीसिया की कृतज्ञता व्यक्त की। 

उन्होंने महासभा के प्रतिभागियों का स्वागत करने में अपनी उत्सुकता व्यक्त की क्योंकि यह समर्पित जीवन के साथ संवाद करने का एक तरीका है, जो कलीसिया में महत्वपूर्ण है, भले ही इसका मतलब अपनी गतिविधियों की मंदी की अपनी प्रथा को तोड़ना हो।

साक्षात् में एक साथ मिलना

संत पापा ने गौर किया कि सभा महामारी के कारण दूर रहने की मजबूरी के बाद उपस्थिति में की जा रही है। उन्होंने कहा कि इसे मुलाकात, प्रार्थना, दुनिया को सुनने एवं एक साथ यूखरिस्त को साझा करने के अवसर के रूप में हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए। 

संत पापा ने उन्हें धर्मसंघों की नई परमाधिकारिणी चुनने की शुभकामनाएँ दीं जिनमें ईश्वर की माता धर्मसंघ के पुरोहित तथा मिशन के धर्मसंघ अपनी महासभा समाप्त कर रहे हैं जबकि बसिलियन धर्मसमाज इसकी शुरूआत कर रहा है।  

सामुदायिक आत्मपरख का एक समय

संत पापा ने कहा, "महासभा सामुदायिक आत्मपरख का समय है, जहाँ पवित्र आत्मा की मदद से, धर्मसमाज यह देखने की कोशिश करता है कि क्या वे अपने कैरिज्म के प्रति ईमानदार रह पाये हैं, पवित्र आत्मा किस तरह हमें आगे बढ़ने का आह्वान करता है और पवित्र आत्मा किस तरह बदलाव लाने की प्रेरणा देता है।" 

संत पापा ने कहा कि इस संबंध में एक साथ आना और पवित्र आत्मा को सुनना, उनके सामने ठोस परिस्थिति और समस्याओं को लाना, हमारे लिए एक सबसे प्रभावशाली कलीसियाई अनुभव है। 

हम प्रेरित चरित में वर्णित प्रथम ख्रीस्तीय समुदाय के बारे यही बढ़ते हैं और जिसको हम आज की कलीसिया एवं दुनिया में पुनः जीने के लिए बुलाये जाते हैं।

सुसमचार प्रसारण

संत पापा ने सुसमाचार प्रचार की कसौटी पर चिंतन करते हुए, तीन धर्मसमाजों से पूछने के महत्व, उनके मूल करिश्मे के प्रति रचनात्मक निष्ठा, और क्या उनकी व्याख्या एवं कार्यान्वयन का तरीका "सुसमाचार प्रचार" है, पर जोर दिया।

उन्होंने कहा, "हम चुनाव सामग्रियाँ, विधियाँ, उपकरणों, और जीवनशैली के रूप में - सुसमाचार को देखने और घोषित करने की ओर उन्मुख हों।"

सामुदायिक जीवन

संत पापा ने कहा, "धर्मसमाजी होने के नाते, आपको न केवल व्यक्तिगत स्तर पर, प्रत्येक बपतिस्मा प्राप्त व्यक्ति की तरह, बल्कि सामुदायिक रूप में, भ्रातृत्व के जीवन के साथ सुसमाचार प्रचार करने के लिए बुलाया जाता है।"

सामुदायिक जीवन की चुनौतियों को स्वीकार करते हुए संत पापा ने उन्हें याद दिलाया कि यह मन परिवर्तन के साथ, अपने आपसे प्रतिदिन सवाल करने तथा रूढ़ीवाद के प्रति जागरूक होने, साथ ही अत्यधिक और 'आरामदायक' सहनशीलता की मांग करता है।

यूक्रेन से बसिलियन लोगों के लिए प्रार्थना

संत पापा ने यूक्रेन के बसिलियन लोगों पर ध्यान देते हुए उनके प्रति अपना आध्यात्मिक सामीप्य व्यक्त किया जो इन दिनों अपनी मातृभमि में पीड़ा और शहादत के समय से गुजर रहा है।

उन्होंने युद्ध के बारे बात किये जाने के महत्व पर प्रकाश डाला तथा खेद प्रकट किया और कहा कि यह रूचि मात्र नहीं रह गई है और जोर दिया कि हम इसके आदी न हो जाएँ। उन्होंने कहा, "आप शहादत झेल रहे हैं और मैं कामना करता हूँ कि प्रभु आप पर करूणा करें तथा आप एक-दूसरे के रास्ते पर शांति के साथ एवं शांति के वरदान बनें।"

दुराचार

पोप ने दुराचार की समस्या के बारे में तीनों धर्मसमाजों के सदस्यों से बातें कीं उनसे इस वास्तविकता को छिपाने या मामलों की रिपोर्ट करने में शर्मिंदा नहीं होने का आग्रह किया।

अंत में, संत पापा फ्राँसिस ने प्रार्थना की कि पवित्र आत्मा उन्हें प्रचुर मात्रा में अपनी कृपा प्रदान करते रहें और उनकी रक्षा करें। उन्होंने उनके पथ पर एक निश्चित मार्गदर्शक बनने हेतु माता मरियम की मध्यस्थता का आह्वान किया।

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14 July 2022, 17:40