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पोप ˸ कनाडा में मूलवासी लोगों के अधिकारों को बढ़ावा दें

केबेक के अधिकारियों एवं मूलवासियों के प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए संत पापा ने कनाडा में ऐतिहासिक आवासीय स्कूल की "दर्दनाक प्रणाली" की निंदा की तथा इसे "रद्द करने की संस्कृति" का एक विनाशकारी उदाहरण कहा। उन्होंने मूलवासियों के वैध अधिकारों का ठोस समर्थन करने तथा मूलवासियों एवं गैर-मूलवासियों के बीच मेल-मिलाप तथा चंगाई प्रक्रिया को आगे बढ़ाने का आह्वान किया।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

कनाडा, बृहस्पतिवार, 27 जुलाई 2022 (रेई) ˸ कनाडा में प्रेरितिक यात्रा के तीसरे दिन 27 जुलाई को संत पापा फ्राँसिस ने केबेक शहर में नागरिक अधिकारियों, मूलवासी लोगों के प्रतिनिधियों और राजनयिकों से मुलाकात की।

केबेक के अधिकारियों एवं मूलवासियों के प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए संत पापा ने कनाडा में ऐतिहासिक आवासीय स्कूल की "दर्दनाक प्रणाली" की निंदा की तथा इसे "रद्द करने की संस्कृति" का एक विनाशकारी उदाहरण कहा। संत पापा ने मूलवासियों के वैध अधिकारों का ठोस समर्थन करने तथा मूलवासियों एवं गैर-मूलवासियों के बीच मेल-मिलाप तथा चंगाई प्रक्रिया को आगे बढ़ाने का आह्वान किया।

केबेक शहर में बुधवार को पहली मुलाकात में संत पापा फ्राँसिस ने गर्वनर जेनरल मेरी साईमन और प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो को उनके स्वागत के शब्दों के लिए धन्यवाद दिया तथा देश की असाधारण प्राकृतिक विरासत एवं इसकी अत्यधिक खूबसूरती की सराहना की।  

केबेक में संत पापा का स्वागत
केबेक में संत पापा का स्वागत

एक असाधारण प्राकृतिक विरासत  

उन्हें सम्बोधित कर संत पापा ने कहा, "मैं आप सभी को सम्बोधित करते हुए खुश हूँ जिन्हें इस महान देश के लोगों की सेवा करने की जिम्मेदारी है" जो एक असाधारण प्राकृतिक विरासत को दर्शाता है। संत पापा ने इस सुन्दरता के बीच मेपल जंगल की याद की जहाँ के पेड़ों की पत्ती को राष्ट्रीय ध्वज में प्रतीक के रूप में लिया गया है।

संत पापा ने कनाडा के इतिहास की याद करते हुए कहा कि मेपल पेड़ अतीत की कई पीढ़ियों की, कनाडा में उपनिवेशवाद के आगमन से पहले की याद दिलाती है। मूलवासी लोग मेपल पेड़ से रस निकालते थे जिससे वे सेहतमंद और पौष्टिक चासनी बनाते थे। यह हमें उनकी मेहनत और पर्यावरण तथा भूमि को बचाने की चिंता को दिखलाता है।  

संत पापा ने कहा कि बड़े आकार की मेपल की पत्ती जो प्रदूषित हवा को अपने में सोख लेती एवं बदले में ऑक्सीजन देती है, हमें सृष्टि की सुन्दरता पर विस्मय करने एवं देशज लोगों की संस्कृति के स्वस्थ मूल्यों की सराहना करने हेतु प्रेरित करती है।

एडमनटन में संत पापा ने मूलवासियों से कई मुलाकातें कीं जिनमें उन्होंने उनकी मदद करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की।

संत पापा ने कहा, "परमधर्मपीठ और स्थानीय कलीसियाएँ, आध्यात्मिक सामीप्य के विशिष्ट और उपयुक्त रूपों के माध्यम से मूलवासी संस्कृति को प्रोत्साहन देने हेतु ठोस रूप से प्रतिबद्ध हैं, जिनमें मूलवासी लोगों के अधिकारों के लिए संयुक्त राष्ट्र की घोषणा की भावना में, उनकी सांस्कृतिक परम्पराओं, रीति-रिवाजों, भाषा और शिक्षा प्रणाली पर ध्यान देना शामिल है।" उन्होंने संस्कृति को समाप्त करने के प्रयास में किये गये विनाश की निंदा की।   

केबेक में संत पापा फ्राँसिस
केबेक में संत पापा फ्राँसिस

उन्होंने कहा, "मैं सबसे बढ़कर, आत्मसात करने और मुक्त करने की सभी नीतियों के बारे सोचता हूँ जिसमें आवासीय स्कूल प्रणाली भी शामिल है, कई मूलवासियों के परिवारों को उनकी भाषा, संस्कृति और वैश्विक नजरिया को कम करके नुकसान पहुँचाया। उस निंदनीय प्रणाली, जिसको तत्कालिक सरकारी अधिकारियों द्वारा आगे बढाया गया, कई बच्चों को उनके परिवारों से अलग कर दिया, उसमें विभिन्न स्थानीय काथलिक संस्थाओं की भी हिस्सेदारी है।"  

पुनः क्षमा याचना

संत पापा फ्राँसिस जिन्होंने एडमनटन के मूलवासियों से क्षमा मांगने में लज्जा महसूस नहीं की, क्वेबेक में भी वैसा ही किया।  

उन्होंने कहा, "मैं इस देश के धर्माध्यक्षों के साथ अपनी गहरी शर्म और दुःख व्यक्त करता हूँ, मैं उन सभी बुरे करतूतों के लिए क्षमा मांगता हूँ जिनको अनेक ख्रीस्तीयों ने मूलवासी लोगों के लिए किया है। यह दुखद है जब कुछ विश्वासियों ने, जैसा कि इतिहास में उस समय हुआ, सुसमाचार के बजाय दुनिया की परम्पराओं के अनुरूप अपने को बनाया।"  

संत पापा ने स्वीकार किया कि कनाडा के उच्चतम विचारधाराओं को आकार देने में ख्रीस्तीय विश्वास की अहम भूमिका है। जिनकी इच्छा थी अपने सभी लोगों के लिए एक बेहतर राष्ट्र का निर्माण करना।

उन्होंने कहा, "अपनी गलतियों को स्वीकार करने के साथ-साथ, यह आवश्यक है कि लक्ष्य प्राप्ति हेतु एक साथ कार्य किया जाए। जिसमें मैं जानता हूँ कि आप सभी मूलवासी लोगों के वैध अधिकारों को बढ़ावा देने तथा उनके एवं गैर-मूलवासी लोगों के बीच चंगाई एवं मेल-मिलाप की प्रक्रिया को प्रोत्साहित करने में भाग ले रहे हैं।"

उन्होंने कहा कि यह सत्य एवं सुलाह आयोग की अपील का उपयुक्त तरीके से प्रत्युत्तर देने की प्रतिबद्धता और मूलवासियों के अधिकारों को स्वीकार करने की चिंता में प्रकट होता है।

मूलवासियों के अधिकारों को बढ़ावा देने में परमधर्मपीठ की ठोस प्रतिबद्धता

संत पापा ने दोहराया कि परमधर्मपीठ एवं स्थानीय काथलिक समुदाय मूलवासी लोगों के अधिकारों को बढ़ावा देने हेतु ठोस रूप से प्रतिबद्ध होना चाहते हैं।  

उन्होंने कहा, "हमारी यह अभिलाषा है कि हम कनाडा के मूलवासी लोगों एवं कलीसिया के बीच संबंध को पुनः नवीकृत करें, एक प्रेममय संबंध को, जिसने असाधारण फल लाया है, खासकर, वे गहरे घावों में समझने और चंगाई के लिए तैयार हैं।"   

वाटिकन में मूलवासियों के प्रतिनिधियों को सुनने हेतु की गई पाँच मुलाकातों के लिए आभार प्रकट करते हुए संत पापा ने कहा कि उस अच्छे संबंध को कनाडा में पुनः नवीकृत करते हुए मैं खुश हूँ।  

उन्होंने कहा, "हमने जो समय व्यतीत किया उसने मुझे प्रभावित किया और मूलवासी लोगों ने जो पीड़ा सही उसके लिए खेद एवं लज्जा के साथ प्रत्युत्तर देने की तीव्र इच्छा जागृत हुई तथा सभी कनाडा वासियों के साथ भाईचारा एवं धीरज की यात्रा में आगे बढ़ने एवं हमेशा उम्मीद रखने की प्रेरणा ने प्रेरित किया।"  

ब्यूप्रे के संत अन्ना तीर्थस्थल पर एकत्रित विश्वासी
ब्यूप्रे के संत अन्ना तीर्थस्थल पर एकत्रित विश्वासी

चंगाई के लिए समय लगता है

संत पापा ने गौर किया कि "पीड़ा और तिरस्कार का इतिहास, उपनिवेशवाद की मानसिकता का फल आसानी से चंगा नहीं हो सकता।"

गलतियों की निंदा एवं मूलवासियों से क्षमायाचना के साथ-साथ बहुपक्षवाद का आह्वान किया।  

उन्होंने कहा, "बहुसंस्कृतिवाद एक समाज के सामंजस्य के लिए आधारभूत है जो मेपल के पेड़ों के पत्ते के रंग के समान विविध है।"

इस बात को स्वीकार करते हुए कि नये आगमन को स्वीकार करना एक चुनौती है और विविधताओं को स्वीकार करने एवं अपनाने की मांग करता है, संत पापा ने कनाडा की उदारता की सराहना की जिसने कई यूक्रेनी एवं अफगानी शरणार्थियों का स्वागत किया है।   

उन्होंने आप्रवासियों के मामले में भय से आगे बढ़ने एवं देश की क्षमता के अनुसार उन्हें ठोस अवसर प्रदान करने हेतु प्रोत्साहित किया ताकि वे समाज में जिम्मेदारी के साथ शामिल हो सकें। इसके लिए उन्होंने कहा कि "अधिकार और लोकतंत्र अपरिहार्य" हैं।

संत पापा ने गौर किया कि काथलिक कलीसिया अपने सार्वभौमिक आयाम के साथ, सबसे कमजोर लोगों के प्रति चिंता से, मानव जीवन की उचित सेवा के द्वारा, इसके अस्तित्व के हरेक क्षण में ˸ गर्भाधान से प्राकृतिक मृत्यु तक, अपना विशेष योगदान देने के लिए तैयार है।"

युद्ध के पीछे नहीं चलना बल्कि उसे रोकने के लिए काम करना

संत पापा ने दुनिया में युद्ध पर भी चिंतन किया, जब यूक्रेन और कई अन्य जगहों में युद्ध जारी है, जिन्हें अक्सर भुला दिया जाता है।

उन्होंने कहा, "हमें दुनिया को मित्रों और शत्रुओं में बांटने की जरूरत नहीं है, ताकि दूरी उत्पन्न की जाए और अपने आपको फिर से हथियारबंद किया जा सके। हथियारों की होड़ और निवारण की प्रणालियाँ शांति एवं सुरक्षा नहीं ला सकतीं।"

"हमें अपने आपसे पूछना चाहिए कि हम किस तरह युद्ध के पीछे नहीं चल सकते बल्कि उसे रोक सकते हैं।" उन्होंने "वैश्विक चुनौतियों का जवाब देने के लिए विरोध की श्रेणियों से आगे बढ़ने में सक्षम रचनात्मक और दूरदर्शी नीतियों का आह्वान किया।"

वैश्विक चुनौतियों के लिए एक साथ कार्य करना

संत पापा ने कहा कि "हमारे समय की बड़ी चुनौतियाँ जैसे शांति, जलवायु परिवर्तन, महामारी का प्रभाव तथा अंतरराष्ट्रीय आप्रवासन का आंदोलन, इन सब में एक बात आम है कि ये सभी विश्व स्तर पर हैं, और सभी को प्रभावित कर रहे हैं।" उन्होंने गौर किया कि "चूंकि ये सभी समग्र पर विचार करने की आवश्यकता की बात करते हैं, इसलिए राजनीति पक्षपातपूर्ण हितों में कैद नहीं रह सकती।"    

संत पापा ने सभी दलों से आग्रह किया कि वे आज की कठिन चुनौतियों का सामना करने के लिए "आम सहमति से, हाथ से हाथ मिलाकर" काम करें। उन्होंने अपने वक्तव्य के अंत में कनाडा को उनके अतिथि-सत्कार, ध्यान और सम्मान के लिए धन्यवाद दिया।

उन्होंने कहा, "मैं बड़े स्नेह से, आप सभी को आश्वासन देता हूँ कि कनाडा और इसकी जनता सचमुच मेरे हृदय के नजदीक हैं।"

केबेक के अधिकारियों से मुलाकात करते संत पापा फ्रांँसिस

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28 July 2022, 15:31