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सन्त पापा फ्राँसिस कनाडा के देशज लोगों के साथ, तस्वीरः एडमनटन, 25 जुलाई सन्त पापा फ्राँसिस कनाडा के देशज लोगों के साथ, तस्वीरः एडमनटन, 25 जुलाई 

मिशनरियों द्वारा प्रयुक्त ''निंदनीय'' नीतियों का खण्डन

"पुनर्मिलन केवल हमारे अपने प्रयासों का परिणाम नहीं है। यह एक वरदान है जो क्रूस पर चढ़ाए गए प्रभु से प्रवाहित होता है। यह एक शांति है जो येसु के हृदय से प्रस्फुटित होती है, एक ऐसी कृपा जिसकी तलाश की जानी चाहिए।"

जूलयट जेनेवीव क्रिस्टफर-वाटिकन सिटी

एडमनटन, मंगलवार, 26 जुलाई 2022 (रेई, एपी): "पुनर्मिलन केवल हमारे अपने प्रयासों का परिणाम नहीं है। यह एक वरदान है जो क्रूस पर चढ़ाए गए प्रभु से प्रवाहित होता है। यह एक शांति है जो येसु के हृदय से प्रस्फुटित होती है, एक ऐसी कृपा जिसकी तलाश की जानी चाहिए।" सोमवार 25 जुलाई को इस ट्वीट सन्देश से सन्त पापा फ्राँसिस ने कनाडा के देशज लोगों के साथ अपनी मुलाकात के मर्म को अभिव्यक्ति प्रदान की।

क्षमा याचना

सार्वभौमिक काथलिक कलीसिया के परमधर्मगुरु सन्त पापा फ्राँसिस इस समय कनाडा की प्रेरितिक यात्रा पर हैं। सोमवार 25 जुलाई को उन्होंने कनाडा के देशज लोगों से मुलाकात कर कनाडा के देशज आवासीय विद्यालयों की 'विनाशकारी' नीति के साथ काथलिक कलीसिया के सहयोग के लिए क्षमा याचना की। रविवार, 24 जुलाई को सन्त पापा फ्राँसिस कनाडा में अपनी छः दिवसीय प्रेरितिक यात्रा के लिये रोम से रवाना हुए थे। सोमवार को कनाडा के आल्बेर्ता प्रान्त के मास्कवाचिस में भूतपूर्व एरमिनेस्कीन मूल निवासी आवासीय छात्रावास में देशज लोगों से मुलाकात कर सन्त पापा ने इस बात पर गहन खेद व्यक्त किया कि ख्रीस्तीय समाज में मूल निवासियों को बलात आत्मसात करने की नीति ने उनकी संस्कृतियों को नष्ट कर दिया तथा उनके परिवारों एवं पीढ़ियों को हाशिये पर रख दिया जिसे आज भी महसूस किया जा सकता है। इस अवसर पर क्षमा याचना करते हुए सन्त पापा ने कहा,  "मैं देशज लोगों के खिलाफ इतने सारे ईसाइयों द्वारा की गई बुराई के लिए विनम्रतापूर्वक क्षमा मांगता हूं।''  

''निंदनीय'' नीतियों का खण्डन

कनाडा में तत्कालीन छात्रावासों में ख्रीस्तीय मिशनरियों द्वारा प्रयुक्त ''निंदनीय'' नीतियों का सन्त पापा ने खण्डन किया, जिसे कनाडा के सत्य और पुनर्मिलन आयोग ने एक ``सांस्कृतिक नरसंहार' निरूपित किया है। सन्त पापा फ्राँसिस की छः दिवसीय कनाडा को ''प्रायश्चित तीर्थयात्रा'' का नाम दिया गया है, जिसका लक्ष्य  देशज  लोगों के साथ पुनर्मिलन के मार्ग पर कलीसिया की मदद करना तथा पीड़ितों की चंगाई में सहायता प्रदान करना है।

ग़ौरतलब है कि 19वीं शताब्दी से 1970 के दशक तक कनाडा में डेढ़ लाख से अधिक देशज बच्चों को सरकार द्वारा वित्त पोषित ईसाई स्कूलों में शिक्षा प्राप्त करने के लिये मजबूर किया गया जाता रहा था ताकि उन्हें उनके घरों और संस्कृति के प्रभाव से अलग किया जा सके। इसका उद्देश्य उन्हें ख्रीस्तीय समाज का अंग बनाकर मुख्यधारा के समाज में आत्मसात करना था, जिसे अतीत की कनाडाई सरकारें श्रेष्ठ मानती थीं। विगत वर्ष कनाडा और साथ ही संयुक्त राज्य अमरीका के भूतपूर्व स्कूलों में सैकड़ों संभावित दफन स्थलों की खोजों ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय का इस समस्या की ओर ध्यान आकर्षित किया था। इस खौफ़नाक सत्य के खुलासे ने सन्त पापा फ्रांसिस को सत्य आयोग के आह्वान का प्रत्युत्तर देते हुए कनाडा की धरती पर क्षमा याचना के लिये प्रेरित किया; देश के 139 आवासीय विद्यालयों में से 66 का संचालन तत्कालीन काथलिक धर्मसमाजों एवं धर्मसंघों द्वारा किया जाता रहा था।

'कार्य योजना' की उम्मीद

सोमवार के दिन की परस्पर विरोधी भावनाओं को अभिव्यक्ति प्रदान करते हुए, उपस्थित जनसमुदाय में से कुछ लोग सन्त पापा फ्रांसिस के शब्दों को सुनकर रो पड़े। एक ओर मौन छाया हुआ था तो दूसरी ओर सन्त पापा के साहसिक कृत्य पर लोगों ने तालियाँ भी बजाई। देशज महिला एवलिन कोर्कमाज़ ने कहा, "मैंने इस माफी के लिए 50 साल इंतजार किया है, और आखिरकार आज मैंने इसे सुना।" उन्होंने कहा, "एक ओर मैं खुश हूँ, किनव्तु कुछ हिस्सा मेरा उदास है और कुछ हिस्सा सुन्न पड़ गया है।" हालांकि, उन्होंने आशा व्यक्त की कि सन्त पापा फ्राँसिस पुनर्मिलन की प्रक्रिया को पूरा करने के लिये एक 'कार्य योजना' की घोषणा करेंगे। उन्हें उम्मीद है कि तत्कालीन स्कूलों में मरने वाले बच्चों पर कलीसियाई फाइलें जारी की जायेंगी।

गम्भीरता के बावजूद हर्षपूर्ण माहौल

जनसमुदाय में से कई ने पारंपरिक पोशाकें पहनी थी, जिसमें रंगीन रिबन स्कर्ट और देशी रूपांकनों के साथ बनियानें शामिल थीं। अन्य लोगों ने नारंगी रंग की शर्ट पहनी थी, जो स्कूल के बचे लोगों का प्रतीक बन गई है। यह उस महिला की स्मृति में पहनी जाती है, जिससे, उसकी दादी द्वारा भेंट में मिली, प्यारी नारंगी शर्ट स्कूल में जब्त कर ली गई थी और एक वर्दी में बदल दी गई थी।

सन्त पापा फ्रांसिस के साथ मुलाकात की गंभीरता के बावजूद, माहौल कई बार हर्षपूर्ण हो उठा थाः देशज जन जातियों के प्रमुखों ने एक सम्मोहक ढोल की लय से,  कई लोगों ने पारम्परिक  नृत्य से, जय जयकारों से, विजय गीत से और करतल ध्वनि से समारोह स्थल को गुँजायमान बनाये रखा था। समारोह के प्रतिभागियों ने 4,000 से अधिक बच्चों के नाम वाले मैदान में एक लंबे लाल बैनर पर परेड किया और उन बच्चों की याद की जो आवासीय विद्यालयों में मर गए या कभी घर नहीं लौट पाये थे।

क्षतिपूर्ति

सरकार, कलीसिया और लगभग 90,000 बचे लोगों से जुड़े एक मुकद्दमे के निपटारे के हिस्से के रूप में, कनाडा ने अरबों डॉलर क्षतिपूर्ति का भुगतान किया जो देशज समुदायों को हस्तांतरित किया जा रहा था। कनाडा की काथलिक कलीसिया का कहना है कि उसके धर्मप्रांतों, धर्मसमाजों एवं धर्मसंघों ने पाँच करोड़ डॉलर से अधिक नकद और पुनर्वास एवं मनोवैज्ञानिक सहायता के रूप में योगदान प्रदान किया है और अगले पांच वर्षों में तीन करोड़ डॉलर और जोड़ने की उम्मीद है।

एक ओर जहाँ सन्त पापा फ्राँसिस ने काथलिक धर्मसमाजों एवं धर्मसंघियों के दोष को स्वीकार किया, वहीँ उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि काथलिक मिशनरी केवल सरकार की नीति में सहयोग कर रहे थे और सरकार द्वारा प्रस्तावित नियमों का पालन कर रहे थे, जिसका उन्होंने, ''सत्ताधारियों की उपनिवेशवादी मानसिकता'' कहकर खण्डन किया।

सोमवार सन्ध्या सन्त पापा फ्राँसिस ने एडमनटन में येसु के परमपवित्र हृदय को समर्पित पल्ली गिरजाघर में प्रार्थनाएं अर्पित कीं। इस गिरजाघर को कनाडा के मूल निवासियों का गिरजा कहा जाता है, जिसमें देशज भाषाओं तथा रीति रिवाज़ों में ख्रीस्तयाग अर्पण और धर्मविधिक प्रार्थनाएँ अर्पित की जाती हैं।

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26 July 2022, 11:41