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कनाडा के केबेक प्रान्त में सन्त पापा फ्राँसिस का स्वागत, 28.07.2022 कनाडा के केबेक प्रान्त में सन्त पापा फ्राँसिस का स्वागत, 28.07.2022 

काथलिक कलीसिया के पतन के बीच सन्त पापा फ्राँसिस केबेक में

सन्त पापा फ्राँसिस ऐसे समय में केबेक प्रान्त आयें हैं जब अनेकानेक फ्रेंच कनाडाई लोग अपनी मज़बूत काथलिक जड़ों के बावजूद धर्म के प्रति उदासीन हो रहें हैं तथा धर्म और विश्वास रहित जीवन शैली का आलिंगन कर रहे हैं।

जूलयट जेनेवीव क्रिस्टफर-वाटिकन सिटी 

केबेक सिटी, गुरुवार, 28 जुलाई 2022 (एपी): सन्त पापा फ्राँसिस ऐसे समय में केबेक प्रान्त आयें हैं जब अनेकानेक फ्रेंच कनाडाई लोग अपनी मज़बूत काथलिक जड़ों के बावजूद धर्म के प्रति उदासीन हो रहें हैं तथा धर्म और विश्वास रहित जीवन शैली का आलिंगन कर रहे हैं।

केबेक में काथलिक कलीसिया

गिरजाघरों की बेंचों पर इन दिनों शायद ही कभी कोई बैठा मिलता है, सैकड़ों गिरजाघर बंद हो गए हैं और प्रान्तीय सरकार ने सार्वजनिक सेवा कर्मचारियों पर धार्मिक प्रतीकों को पहनने से प्रतिबंध लगा दिया है। मोन्टरियाल विश्वविद्यालय में ईश शास्त्र के प्राध्यापक जाँ फाँसुआ रसल ने कहा,  "बहुत सारे गिरजाघर बंद हो रहे हैं, जो जनसंख्या द्वारा कलीसिया को दिये समर्थन के लुप्त होने का स्पष्ट संकेत है।" उन्होंने कहा, "कुछ लोगों ने इसे केबेक में काथलिक कलीसिया का पतन तक निरूपित कर दिया है।" हालांकि प्रांत के लगभग 6 करोड़ अस्सी लाख फ्रेंच बोलने वाले बपतिस्मा प्राप्त काथलिक हैं, 10% से भी कम लोग नियमित रूप से ख्रीस्तयागों में शामिल होते हैं, जबकि कई दशकों पहले 90% लोग गिरजाघरों में प्रार्थना हेतु एकत्र होते थे। राजनीति और संस्कृति पर कलीसिया का जो व्यापक प्रभाव था वह लगभग पूरी तरह से फीका पड़ गया है, जिसे मौन क्रांति के रूप में देखा जा रहा है। यह बड़े दुर्भाग्य की बात है कि जिस काथलिक कलीसिया ने केबेक की स्कूल प्रणाली की स्थापना की थी और दशकों से उसे नियंत्रित रखा था उसने आज शिक्षा और स्वास्थ्य देखभाल जैसे क्षेत्रों में अपनी केंद्रीय भूमिका को खो दिया है।

यथार्थ चुनौती

गुरुवार को सन्त पापा फ्राँसिस ने कनाडा के इसी प्रान्त का दौरा किया जो धर्म के प्रति उदासीन रहा है। वाटिकन न्यूज़ से बातचीत में विदेशी मिशन सोसाइटी के पेद्रो पेर्ना के अनुसार, यह भावना "दिलचस्प" है कि हालांकि गिरजाघरों में एकत्र लोग सन्त पापा फ्राँसिस के दर्शन को उत्सुक हैं, किन्तु केबेक में सामान्य तौर पर कलीसिया एक वास्तविक अल्पसंख्यक तथ्य बन कर रह गई है।"

पेद्रो पेर्ना कहते हैं, "लोग धर्म पालन और विश्वास का अभ्यास नहीं करते हैं, न ही वे गिरजाघरों में जाते हैं। केबेक में जो लोग गिरजाघरों में जाते हैं, वे आम तौर पर बुज़ुर्ग होते हैं या फिर वे लोग जो कार्य बल में शामिल नहीं हैं। यह एक बड़ी चुनौती है क्योंकि कलीसिया में कौन है और समाज के सच्चे प्रतिनिधि कौन हैं इसके बीच एक बहुत बड़ा अंतर है।"

विदेशी मिशन सोसाइटी के पेद्रो पेर्ना की आशा फिर भी मज़बूत है। उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि सन्त पापा को  एक ऐसा शहर मिलेगा जो संवाद के लिए उदार होगा। लोगों की रुचि सन्त पापा के सन्देश में है, वे क्या कहेंगे यह  एक बड़ा मुद्दा है, और लोग यह देखने के लिए उत्सुक हैं कि उसके बाद की क्रिया क्या होगी। पेर्ना ने इस बात पर बल दिया कि यह "वास्तव में सार्थक हो सकता है ताकि एक बड़ा सामाजिक संवाद शुरू किया जा सके, और कलीसिया को देशज लोगों के साथ और पूरे समाज के साथ सार्थक आदान-प्रदान शुरू करने के लिए एक स्थान दिया जा सके।"

नवीनीकरण

सन्त पापा फ्राँसिस की केबेक यात्रा को उन्होंने नवीनीकरण की यात्रा निरूपित कर कहा, "हर बार जब सन्त पापा किसी क्षेत्र का दौरा करते हैं तब कलीसिया के सदस्यों में तथा धरती के नेताओं में नवीनीकरण की आशा पनपती है।" फिर उन्होंने कहा, "प्रायश्चित की तीर्थयात्रा करने के लिए उनका समय निकालना और यह कहना कि हम किसी से ऊपर नहीं हैं, बल्कि हम सभी समान रूप से भाई-बहन हैं, वास्तव में सार्थक है और साथ ही यह प्रभु येसु मसीह का सन्देश है।"

उन्होंने कहा कि कलीसिया को केवल एक संस्था के रूप में पहचानना हमारी भारी भूल है, जबकि यथार्थ कलीसिया है, हम और आप, सन्त पापा, धर्माध्यक्षगण, पुरोहितगण और विश्वासी लोग सब मिलकर कलीसिया का निर्माण करते हैं, इस विशाल कलीसियाई परिवार में शामिल होने के लिये हम सब आमंत्रित हैं।

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28 July 2022, 11:22