नूनावत क्षेत्र में समाप्त हुई सन्त पापा फ्राँसिस की कनाडा यात्रा
जूलयट जेनेवीव क्रिस्टफर-वाटिकन सिटी
इकालुइत, नूनावत, कनाडा, शनिवार, 30 जुलाई 2022 (रेई, एपी): सार्वभौमिक काथलिक कलीसिया के परमधर्मगुरु सन्त पापा फ्राँसिस कनाडा में अपनी एक साप्ताहिक प्रेरितिक यात्रा पूरी कर शनिवार को रोम लौटे। इटली से बाहर सन्त पापा फ्राँसिस की यह 37 वीं प्रेरितिक यात्रा थी,जिसे स्वयं सन्त पापा ने "प्रायश्चित्त तीर्थ यात्रा" निरूपित किया है।
वाटिकन ने सूचना दी कि प्रेरितिक यात्रा समाप्त कर रोम पहुँचते ही अपनी नेक परम्परा का पालन करते हुए सन्त पापा फ्राँसिस ने रोम के मरिया माज्जोरे महागिरजाघर में सालुस पोपोली रोमानी माँ मरियम की प्रतिमा के समक्ष नतमस्तक होकर श्रद्धार्पण किया। मरियम को समर्पित मरिया माज्जोरे महागिरजाघर में प्रार्थनाएँ अर्पित करने के उपरान्त सन्त पापा फ्राँसिस वाटिकन लौट आये हैं।
काथलिक धर्माध्यक्षों का वकतव्य
कनाडा के काथलिक धर्माध्यक्षों ने एक वकतव्य जारी कर सन्त पापा फ्राँसिस की ऐतिहासिक यात्रा के लिये प्रभु ईश्वर के प्रति हार्दिक धन्यवाद ज्ञापित किया। उन्होंने कहा कि वे इस भूमि के मूलनिवासियों के प्रति अपने सामीप्य के प्रदर्शन तथा कनाडा में अपनी उपस्थिति से अपने वादा को पूरा करने आये थे जिसके लिये हम आभारी हैं। उन्होंने लिखाः काथलिक कलीसिया के परमाध्यक्ष सन्त पापा फ्राँसिस की यह प्रेरितिक यात्रा उपचार और सुलह के मार्ग पर एक महत्वपूर्ण मील के पत्थर का प्रतिनिधित्व करता है। सन्त पापा द्वारा प्रदर्शित पुनर्मिलन के मार्ग पर अग्रसर होने के लिये तता सत्य की खोज में शामिल होने के लिये हम, कनाडा के धर्माध्यक्ष, कृतसंकल्प हैं।
कनाडा से विदाई
आर्कटिक शहर इकालुइत के हवाई अड्डे पर, शुक्रवार को, कनाडा की गवर्नर जनरल मेरी साईमन तथा वरिष्ठ प्रशासनिक एवं कलीसियाई अधिकारियों सहित इनुइत जनजाति के प्रतिनिधिमण्डल ने सन्त पापा फ्राँसिस से विदा ली। पारंपरिक देशज इनुइत ढोल नगाड़ों की लय पर नृत्य की अंतिम प्रदर्शनी के बाद, सन्त पापा फ्राँसिस रोम तक सात घंटे की उड़ान के लिए अपने विमान में सवार हुए।
24 जुलाई से 30 जुलाई तक जारी रही इस यात्रा के दौरान कई मौकों पर सन्त पापा फ्रांसिस ने कनाडा की "विनाशकारी" आवासीय स्कूल प्रणाली में मिशनरियों के सहयोग के लिये क्षमा याचना की है। ग़ौरतलब है कि सन् 1870 से 1996 तक कनाडा में डेढ़ लाख से अधिक देशज बच्चों को उनके परिवारों से अलग कर दिया गया था और सरकार द्वारा वित्त पोषित एवं मिशनरियों द्वारा संचालित आवासीय विद्यालयों में लाया गया। कई को भूखा रखा गया था, मूल भाषा बोलने के लिए पीटा गया था और कभी- कभी उन्हें यौन शोषण का भी शिकार बनाया गया था, जिसे कनाडा के सत्य और सुलह आयोग ने "सांस्कृतिक नरसंहार" निरूपित किया है तथा कनाडा सरकार एवं कनाडा की कलीसिया द्वारा क्षमा याचना और क्षतिपूर्ति की मांग की है।
अपनी इस प्रायश्चित्त तीर्थ यात्रा का अन्तिम दिन अर्थात् शुक्रवार को सन्त पापा ने कनाडा के उत्तरी नूनावत क्षेत्र की राजधानी इकालुइत शहर का दौरा कर सम्पन्न किया, जहाँ इनुइत जनजाति के युवाओं और बुजुर्गों की एक सभा को संबोधित करने से पहले आवासीय स्कूल के उत्तरजीवियों के एक समूह के साथ व्यक्तिगत मुलाकात की। 7,500 की आबादी वाले इकालुइत शहर में सन्त पापा फ्राँसिस एक प्राथमिक विद्यालय में पूर्व छात्रों से मिले, जिन्होंने सरकारी वित्त पोषित बोर्डिंग स्कूलों में सही गई पीड़ा तथा अपने परिवारों से अलग होने की व्यथा के दुखद अनुभवों से सन्त पापा को अवगत कराया। 19 वीं शताब्दी में आरम्भ उक्त क्रूर नीति का लक्ष्य देशज बच्चों को उनकी मूल संस्कृति से अलग कर कनाडा के ख्रीस्तीय समाज में एकीकृत करना था।
आक्रोश और शर्म
इनुइत जनजाति के युवाओं और बुजुर्गों की एक सभा को प्राथमिक स्कूल के बाहर सम्बोधित कर सन्त पापा ने कहा, "माता-पिता और बच्चों को जोड़ने वाले बंधनों को तोड़ना, हमारे क़रीबी रिश्तों को नुकसान पहुंचाना, नन्हे-मुन्नों को नुकसान पहुंचाना और बदनाम करना कितना बुरा है!'' उन्होंने आवासीय स्कूलों के उत्तरजीवियों को अपनी पीड़ा साझा करने के साहस के लिए धन्यवाद दिया, जिसे उन्होंने कुछ माहों पहले, फर्स्ट नेशन के मेटिस और इनुइत जनजातियों के प्रतिनिधिमंडल की वाटिकन यात्रा के अवसर पर पहली बार सुना था और जिन्होंने इस अन्याय के लिये कलीसिया द्वारा क्षमा मांगे जाने की अपील की थी। सन्त पापा ने कहा, ''मैं आपको बताना चाहता हूं कि आवासीय स्कूलों में काथलिकों के सहयोग के लिये मुझे गहन खेद है जिन्होंने उन स्कूलों में बलात सांस्कृतिक एकीकरण की नीतियों में योगदान दिया।'' उन्होंने कहा कि इस बुराई के लिये क्षमा मांगना भी मेरे लिये लज्जा का विषय है, "इसने मुझमें केवल उस आक्रोश और शर्म को नवीकृत किया है जो मैं विगत माहों में महसूस करता रहा हूँ।"
कनाडा की छः दिवसीय प्रेरितिक यात्रा के दौरान सन्त पापा फ्रांसिस द्वारा काथलिक कलीसिया की ग़लतियों के लिये मांगी गई माफ़ी को मिली-जुली प्रतिक्रिया मिली है। आवासीय स्कूलों के कुछेक उत्तरजीवियों ने इसका स्वागत किया है तथा कहा है कि सन्त पापा फ्राँसिस की पहल उनके उपचार एवं पुनर्मिलन में मददगार सिद्ध होगी, जबकि अन्यों का कहना है कि अतीत की ग़लतियों को ठीक करने और न्याय की स्थापना के लिये और अधिक करने की आवश्यकता है।
इनुइत जनजाति के लोगों ने अपनी मातृभूमि में सन्त पापा फ्राँसिस का हार्दिक स्वागत किया। इस अवसर पर उन्होंने क्वीलिक नामक अनुष्ठानिक दीप प्रज्वलित किया तथा मंत्रों के उच्चार से सर्वशक्तिमान् ईश्वर की आशीष का आह्वान किया। सन्त पापा फ्राँसिस ने इस दीप के प्रतीकात्मक अर्थ पर टीका करते हुए कहा कि इसने अन्धकार को दूर कर हममें सौहार्द्रता और गरमाहट को उत्पन्न किया है। उन्होंने कहा, "उपचार और मेल-मिलाप की यात्रा को एक साथ आगे बढ़ाने की इच्छा के साथ हम यहां एकत्र हुए हैं, जो सृष्टिकर्त्ता की मदद से, जो कुछ हुआ उस पर प्रकाश डालने और अन्धकारपूर्ण अतीत से आगे बढ़ने में हमारी मदद कर सकता है।"
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