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संत पापा फ्राँसिस संत पापा फ्राँसिस  

देवदूत प्रार्थना में पोप ˸ येसु को सुनें, बाकी सब कुछ उसके बाद आता है'

रविवार को देवदूत प्रार्थना के पूर्व संत पापा फ्राँसिस ने सुसमाचार पाठ पर चिंतन करते हुए येसु के वचनों को सुनने के महत्व पर जोर दिया तथा बतलाया कि हमें उसे क्यों प्राथमिकता देनी चाहिए।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, रविवार, 17 जुलाई 2022 (रेई) ˸ वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में रविवार 17 जुलाई को संत पापा फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थन का पाठ किया जिसके पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा, प्रिय भाइयो एवं बहनो सुप्रभात।

इस रविवार की धर्मविधि का सुसमाचार पाठ, हमारे लिए मर्था और मरियम दो बहनों का एक जीवित घरेलू दृश्य प्रस्तुत करता है, जिन्होंने अपने घर में येसु का अतिथि सत्कार किया।(लूक.10:38-42) मर्था तुरन्त सेवा सत्कार के कार्यों में लग गई जबकि मरिया येसु के चरणों में बैठकर उनकी शिक्षा सुनती रही। तब मर्था स्वामी के पास आयी और उनसे आग्रह किया, "उससे कहिये कि वह मेरी सहायता करे।" मर्था की शिकायत अनुचित नहीं लगता है। फिर भी येसु उन्हें जवाब देते हैं ˸ "मर्था, मर्था तुम बहुत सी बातों के विषय में चिंतित और व्यस्त हो फिर भी एक ही बात आवश्यक है। मरियम ने सबसे उत्तम भाग चुन लिया है; वह उससे नहीं लिया जाएगा।"(लूक. 10:41-42)

प्राथमिकता का क्रम

संत पापा ने कहा, "यह हैरान करनावाला उत्तर है। किन्तु येसु कई बार हमारी सोच के विपरीत जाते हैं।" तब संत पापा ने प्रभु के उन शब्दों पर चिंतन करने हेतु प्रेरित किया जिसमें उन्होंने मर्था के उदार अतिथि सत्कार की सराहना करने के बदले मरियम के मनोभाव को प्राथमिकता दी।

मर्था का "दर्शन" इस प्रकार लगता है ˸ पहले कर्तव्य बाद में, सुख की खोज। फलतः अतिथि सत्कार केवल अच्छे शब्दों से नहीं बना है बल्कि यह मांग करता है कि व्यक्ति अपना हाथ चुल्हे पर लगाये, कि व्यक्ति उन सारी आवश्यक चीजों को करे जिससे अतिथि स्वागत किया गया महसूस करे। येसु इसे अच्छी तरह जानते थे और वे मर्था के प्रयास को भी स्वीकार करते हैं, फिर भी वे उसे समझाना चाहते थे कि एक नये तरीके की प्राथमिकता भी है, जो उससे भिन्न है जिसका पालन वह अब तक करती आयी है। मरियम ने उस उत्तम भाग को महसूस किया है जिसको प्राथमिकता दी जानी चाहिए। उसके बाद अन्य सभी चीजें आती हैं, जल-स्रोत से जल धारा बहने के समान।

पहले सुनना

संत पापा ने कहा, "और यह उत्तम भाग क्या है? यह येसु के शब्दों को सुनना है। सुसमचार बतलाता है कि मरियम येसु के चरणों में बैठकर उनकी शिक्षा सुनती रही।" (39) गौर किया जाए कि वह खड़े होकर, दूसरी चीजों को करते हुए उनकी शिक्षा नहीं सुनी, किन्तु येसु के चरणों में बैठी। उसने समझा कि वे दूसरे अतिथियों के समान नहीं हैं। पहली नजर में ऐसा लगता है कि वे (येसु) प्राप्त करने आये हैं क्योंकि उन्हें भोजन और आवास की जरूरत थी। लेकिन वास्तव में, प्रभु स्वयं उन्हें अपने वचन के माध्यम से देने आये थे।  

येसु के शब्द अमूर्त नहीं हैं; यह एक शिक्षा है जो स्पर्श करता और जीवन देता है, बदलता और बुराई के धुंधलेपन से मुक्त करता, संतुष्ट करता और आनंद से भर देता है जो कभी समाप्त नहीं होता˸ यही उत्तम भाग है। यही कारण है कि मरियम इसे पहला स्थान देती है ˸ वह रूकती और सुनती है। बाकी चीजें बाद में आयेंगी। यह व्यवहारिक प्रयास के मूल्य से अलग नहीं है किन्तु इसे बढ़कर नहीं होना बल्कि येसु के वचन को सुनने के द्वारा आगे बढ़ना चाहिए। इसे उनकी आत्मा के द्वारा सजीव होना चाहिए। अन्यथा यह, बाँझ सक्रियता के रूप में कई चीजों के ऊपर उपद्रव और झल्लाहट मात्र रह जायेगी।

अपने समय का लाभ उठायें

तत्पश्चात् संत पापा ने यूरोप में अवकाश के इस समय का लाभ उठाने की सलाह देते हुए कहा, "भाइयो एवं बहनो, आइये हम इस अवकाश के समय का लाभ उठायें, रूकने  और येसु को सुनने के द्वारा। आज मनन-चिंतन हेतु खाली समय पाना बहुत मुश्किल है, बहुतों के लिए कार्य स्थल उन्मत्त और थकाऊ है। ग्रीष्म काल में सुसमाचार को खोलें और धीरे से, बिना हड़बड़ी के पढ़ें, हर दिन सुसमचार का एक छोटा पाठ लें। यह येसु की क्रियाशीलता में प्रवेश कराता है।" संत पापा ने कहा, "आइये हम अपने आप से पूछे कि मेरा जीविन किस तरह चल रहा है, क्या यह येसु के वचन अनुसार है अथवा बहुत अधिक नहीं है। खासकर, हम अपने आपसे पूछे ˸ जब मैं अपने दिन की शुरूआत करता हूँ तो क्या मैं कई चीजों को करने के उलझन में रहता हूँ अथवा सर्वप्रथम ईश्वर के वचन से प्रेरणा ग्रहण करने की खोज करता हूँ। कई बार हम दिन की शुरूआत स्वतः चीजों को करते हुए करते हैं, उदाहरण के लिए, मुर्गियों के समान। ऐसा नहीं होना चाहिए। हमें सबसे पहले प्रभु की ओर देखते हुए दिन की शुरूआत करनी चाहिए। प्रभु के वचन का पाठ करना और दिनभर के लिए उनसे प्रेरणा लेना चाहिए। यदि हम सुबह में येसु के वचनों की याद करते हुए घर छोड़ते हैं तब हमारा दिन निश्चय ही उस वचन के स्वर से चिन्हित होगा, जिसमें हमारे कार्यों को ईश्वर की इच्छा अनुसार दिशा देने की शक्ति होती है।"

तब संत पापा ने कुँवारी मरियम की याद करते हुए कहा, "कुँवारी मरियम हमें उत्तम भाग चुनने में मदद दें, जो हमसे कभी नहीं लिया जाएगा।"         

इतना कहने के बाद संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।

देवदूत प्रार्थना के दौरान संत पापा फ्रांसिस का संदेश

 

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17 July 2022, 14:21