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संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण के पास एक बेघर व्यक्ति संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण के पास एक बेघर व्यक्ति 

गरीबों के लिए विश्व दिवस पर पोप का संदेश

गरीबों के लिए 6वें विश्व दिवस हेतु अपने संदेश में संत पापा फ्राँसिस ने ख्रीस्तीयों को निमंत्रण दिया है कि वे समाज के गरीबों के प्रति अधिक संवेदनशील एवं जिम्मेदार व्यक्ति बनें। उन्होंने व्यक्तिगत सहभागिता द्वारा हमारे विश्वास को कार्य रूप देने पर जोर दिया है जिसको दूसरों के द्वारा थोपा नहीं जा सकता।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, मंगलवार, 14 जून 2022 (रेई) ˸ गरीबों के लिए विश्व दिवस को पूजन पद्धति कैलेंडर अनुसार हर साल 33वें सामान्य रविवार को मनाया जाता है जो इस साल 13 नवम्बर को पड़ेगा।

इस अवसर पर इस वर्ष के संदेश की विषयवस्तु है, "ख्रीस्त आप लोगों के कारण निर्धन बन गये।" (2 कोर. 8:9)" संत पापा ने कुरिंथियों को लिखे संत पौलुस के पत्र के शब्दों को याद किया है ताकि उन लोगों को प्रोत्साहन दे सकें जो जरूरतमंद भाई-बहनों का मदद करने का प्रयास करते हैं।

संत पापा ने गौर किया है कि गरीबों के लिए विश्व दिवस एक स्वस्थ चुनौती के रूप में आता है, जो हमें अपनी जीवनशैली और हमारे आसपास विभिन्न प्रकार की गरीबी पर चिंतन करने में मदद देता है।  

कोविड-19, यूक्रेन में युद्ध

दुनिया की वर्तमान स्थिति पर गौर करते हुए संत पापा ने कोविड-19 की ओर संकेत दिया जिससे दुनिया उबरने की कोशिश कर रही है जिसमें आर्थिक सुधार के चिन्ह भी शामिल हैं जो लाखों लोगों को उनकी नौकरियों के नुकसान से गरीब बना सकता है।

इस बीच उन्होंने दूसरी घटना पर खेद प्रकट किया – यूक्रेन में युद्ध  – जो हमारी दुनिया में एक बिलकुल अलग दृश्य लायी है। उन्होंने कहा कि यह "लोगों के आत्मनिर्णय के सिद्धांत के उल्लंघन में अपनी इच्छा थोपने" के उद्देश्य से "महाशक्ति" के प्रत्यक्ष हस्तक्षेप के कारण इसे और अधिक जटिल बना दिया है।

संत पापा ने इस बात पर भी प्रकाश डाला है कि बहुत अधिक गरीबी युद्ध की मूर्खता के कारण उत्पन्न हुई है। कैसे हिंसा “उन लोगों पर हमला कर रही है जो रक्षाहीन और असुरक्षित हैं।”  

इस संबंध में, उन्होंने हजारों लोगों के निर्वासन पर विचार किया, "जिनके मूल को तोड़ने तथा उन पर एक और पहचान थोपने के लिए," एवं लाखों महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों को "सुरक्षा खोजने के लिए बम के खतरे का सामना करने हेतु मजबूर होकर पड़ोसी देशों में विस्थापित व्यक्तियों के रूप में शरण मांगना पड़ रहा है।”

इतना ही नहीं, अनेक लोगों को युद्ध क्षेत्रों में, हर दिन डर के माहौल में, भोजन, पानी, चिकित्सा सुविधा और मानवीय स्नेह की कमी का सामना करना पड़ रहा है।

इससे प्रभावित अनगिनत सामान्य लोग हैं जो अंततः जरूरतमंद लोगों की बड़ी संख्या में जुड़ चुके हैं।"

गरीबों की जरूरतों का जवाब

संत पापा ने कहा कि गरीबों के लिए 6वें विश्व दिवस मनाया जाना हमें प्रेरित के आह्वान पर चिंतन करने हेतु प्रेरित करता है – अपनी नजरें येसु पर टिकाये रखें जो धनी होते हुए भी गरीब बने ताकि उनकी गरीबी से हम धनी बन सकें।  

वे याद दिलाते है कि संत पौलुस ने जब येरूसालेम की यात्रा की, उन्होंने पेत्रुस, याकूब और योहन से मुलाकात की जिन्होंने उनसे गरीबों को नहीं भूलने का आग्रह किया और प्रेरितों ने भोजन की कमी की कठिनाई से जूझ रहे येरूसालेम समुदाय की मदद करने हेतु एक बड़ा चंदा जमा किया। उसी तरह, हर रविवार को पवित्र मिस्सा के दौरान हम भी दान करते हैं ताकि समुदाय गरीबों की मदद कर सके। इसी चीज को ख्रीस्तियों ने हमेशा खुशी और जिम्मेदारी की भावना से की है।  

आरम्भिक प्रेरणा को नवीकृत करना

संत पापा ने कहा कि संत पौलुस ने कुरिंथियों के समुदाय को आरम्भिक उत्साह को पुनः वापस लाने की सलाह दी। इस संबंध में संत पापा ने उन उदार लोगों की याद की है जिन्होंने मध्यपूर्व, मध्य अफ्रीका और अब यूक्रेन के लाखों शरणार्थियों के लिए अपना द्वार खोला है और उनके परिवारों को जगह दी है।  

हालांकि उन्होंने स्वीकार किया है कि युद्ध जितना दिन चलेगा उसके परिणाम उतने ही अधिक भारी होती जायेंगे और जिन लोगों ने अपना द्वार खोला है उनके लिए राहत पहुँचाना मुश्किल हो जायेगा।  

अतः उन्होंने प्रोत्साहन देते हुए कहा कि यह समय अपने आरम्भिक उत्साह को नवीकृत करने का समय है हमने जिस कार्य को शुरू किया है उसे उसी जिम्मेदारी के साथ अंत तक पहुँचाना है।

एकात्मता

एकात्मता के बारे समझाते हुए संत पापा ने कहा कि यह अपने पास जो थोड़ा है उसे दूसरों के साथ बांटना है जिनके पास कुछ भी नहीं है ताकि कोई भूखा न रहे।

उन्होंने ख्रीस्तियों को यह विचार करने के लिए आमंत्रित किया कि कुछ देशों में, पिछले दशकों में, परिवारों ने निजी पहल, आर्थिक विकास और परिवारों एवं सामाजिक जिम्मेदारी का समर्थन करने के लिए ठोस प्रोत्साहन के सकारात्मक परिणाम के रूप में समृद्धि और सुरक्षा में उल्लेखनीय वृद्धि की है। सुरक्षा और स्थिरता के संदर्भ में इनका लाभ "अब उन लोगों के साथ साझा किया जा सकता है जिन्हें सुरक्षा और अस्तित्व की तलाश में अपने घरों और मूल देशों को छोड़ने के लिए मजबूर किया गया है।"

उन्होंने कहा, "नागरिक समाज के सदस्यों के रूप में हम स्वतंत्रता, जिम्मेदारी, भाईचारा एवं एकात्मता के मूल्यों को जारी रखें। और ख्रीस्तियों के रूप में हम अपने जीवन का आधार विश्वास, भरोसा और प्रेम को बनायें।"

सिर्फ सुननेवाले नहीं बल्कि करनेवाले बनें

संत पापा ने संत पौलुस की उस शिक्षा को रेखांकित किया जिसकी गूँज संत याकूब के शब्दों में सुनाई पड़ता है जो ख्रीस्तीयों से आग्रह करते हैं, "शब्दों से श्रोता ही नहीं कर्ता बनें।"

"जहाँ गरीबों की बात है भाषण मायने नहीं रखता। जो मायने रखता है वह है अपने विश्वास को कार्य रूप देना, दूसरों के द्वारा नहीं बल्कि सीधे शामिल होकर।  

संत पापा ने जोर दिया है कि पैसा अपने आप में मायने नहीं रखता बल्कि निर्भर करता है कि हम इसे कितना महत्व देते हैं क्योंकि "पैसे से लगाव हमें रोजमर्रा की जिंदगी को यथार्थवाद के साथ देखने से रोकता है; यह हमारी निगाहों पर पानी फेर देता है और हमें दूसरों की जरूरतों के लिए अंधा कर देता है।" संत पापा ने रेखांकित किया कि सक्रियता नहीं बचाती बल्कि ईमानदार और उदार चिंता ही हमें एक गरीब व्यक्ति के पास भाई या बहन के रूप में पहुँचाती है।

ख्रीस्त की गरीबी हमें धनी बनाती

संत पापा ने कहा कि गरीबों के लिए विश्व दिवस की विषयवस्तु हमें हमारे विश्वास के जीवन के महान विरोधाभास के साथ प्रस्तुत करती है, कि "ख्रीस्त की गरीबी हमें धनी बनाती है" क्योंकि वे हमारे लिए गरीब बन गए ताकि हमारा जीवन रोशन और परिवर्तित हो जाए। "एक ऐसा मूल्य जिसकी दुनिया सराहना नहीं करती और प्रदान नहीं कर सकती।"

इसलिए यदि हम मृत्यु पर जीवन की विजय तथा अन्याय से प्रतिष्ठा को बचाना चाहते हैं तो हमें ख्रीस्त के गरीबी के रास्ते को अपनाना होगा। अपने जीवन को प्रेम से, प्रतिदिन के जीवन में अपनी रोटी भाई-बहनों के साथ तोड़ते हुए, सबसे कमजोर लोगों से शुरू करते हुए जिनके पास जीवन की सबसे आवश्यक चीजों की कमी है, उनके बीच बांटना होगा।    

संत पापा ने कहा कि यह "समानता पैदा करने, गरीबों को उनके दुखों से और अमीरों को उनके घमंड से और दोनों को निराशा से मुक्त करने" का तरीका है।

संत पापा ने संत चार्ल्स फौकाउल्ड का उदाहरण दिया जो एक धनी व्यक्ति थे किन्तु येसु का अनुसरण करने के लिए सब कुछ त्याग दिया।

उन्होंने प्रार्थना की कि "यह 2022 का विश्व गरीब दिवस हमारे लिए अनुग्रह का क्षण हो।"

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14 June 2022, 16:51