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कोंगो समुदाय के साथ ख्रीस्तयाग अर्पित करते संत पापा फ्राँसिस कोंगो समुदाय के साथ ख्रीस्तयाग अर्पित करते संत पापा फ्राँसिस 

संत पापा ने कांगो मिस्सा ग्रंथ के फ्राँसीसी अनुवाद का स्वागत किया

संत पापा फ्राँसिस ने "पोप फ्राँसिस और जायरे धर्मप्रांत के लिए रोमन मिस्सा ग्रंथ" शीर्षक की किताब के फ्रांसीसी अनुवाद के लिए प्रस्तावना लिखी है। किताब को सिस्टर रीता एमबोशू कोनगो ने लिखा है एवं वाटिकन प्रकाशन हाऊस के द्वारा सम्पादित किया गया है।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

संत पापा फ्रांसिस ने जायरे धर्मप्रांत हेतु रोमन रीति के मिस्सा ग्रंथ के फ्रांसीसी भाषा में अनुवाद की किताब के लिए प्रस्तावना लिखी है जिसको सोमवार को वाटिकन में प्रस्तुत किया गया।

जायरे धर्मप्रांत (अब इसे डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कोंगो- डीआरसी) के लिए मिस्सा ग्रंथ को द्वितीय वाटिकन महासभा के बाद प्रस्तुत किया गया था ताकि रोमन रीति को कोंगो की भाषा एवं संस्कृति में स्वीकार किया जा सके, जैसा कि संविधान में धर्मविधि पर "साक्रोसंतुम कोंचिलियुम" में कहा गया है। (1963).

लेखक

"पोप फ्राँसिस और जायरे धर्मप्रांत के लिए रोमन मिस्सा ग्रंथ" की किताब सिस्टर रीता एमबोसू कोंगो द्वारा लिखी गई है जिसको वाटिकन प्रकाशन हाऊस के द्वारा सम्पादित किया गया है। 

मिस्सा ग्रंथ को ऐसे समय में प्रकाशित किया गया है जब संत पापा कोंगो की प्रेरितिक यात्रा करनेवाले थे जबकि घुटने में दर्द के कारण इसे स्थगित कर दिया गया है। इसकी तिथि बाद में पुनः निर्धारित की जाएगी।  

वाटिकन द्वितीय महासभा के बाद "सांस्कृतिक अनुकूलन" का एकमात्र रोमन मिसल

अपनी प्रस्तावना में संत पापा ने पुस्तक का स्वागत किया है तथा धर्मविधि के अपार योगदान पर प्रकाश डाला है जो विश्वास के हस्तांतरण में कलीसिया की क्रिया-कलापों का स्रोत एवं पराकाष्ठा है। जिसको कोंगों के लोगों ने अपने पूर्वजों के द्वारा प्राप्त किया है।  

उन्होंने कहा है कि जायरे धर्मप्रांत के लिए रोमन मिस्सा ग्रंथ "सांस्कृतिक अनुकूलन" का एकमात्र पुस्तक है जो द्वितीय वाटिकन महासभा के धर्मविधिक सुधार के बाद आयी है।

उन्होंने लिखा कि "यूखरिस्त समारोह की कोंगो रीति निश्चय ही अफ्रीका में मिशनरी प्रचार का परिणाम है और जिसको एकत्रित किया गया है। इसमें विश्वास एवं प्रेरितिक परम्परा के प्रति इसकी गहरी निष्ठा, काथलिक धर्मविधि के आंतरिक स्वभाव और अंततः धार्मिक प्रतिभा एवं अफ्रीका और कोंगो की सांस्कृतिक धरोहर निहित है।"

संत पापा ने गौर किया कि जायरे के लिए बना मिस्सा ग्रंथ, लम्बे समय के शोध कार्य का परिणाम है जिसको परमधर्मपीठ एवं कोंगो की कलीसिया के बीच फलप्रद सहयोग से तैयार किया गया है। संत पापा फ्राँसिस बताते हैं कि इसने "इसे सौंपे गए उद्देश्यों को पूरी तरह से प्राप्त कर लिया है।"

मिस्सा ग्रंथ कोंगो के लोगों को उनकी अपनी भाषा, शरीर और आत्मा के साथ प्रार्थना करने का अवसर देता है और उन प्रतीकों का प्रयोग करता है जिनसे लोग परिचित हैं।

दूसरी कलीसियाओं के लिए मॉडल

अतः संत पापा ने कोंगो की रीति के यूखरिस्त समारोह को दूसरी कलीसियाओं के लिए मॉडल के रूप में मनाने का प्रस्ताव रखा है जो सुसमाचार के सांस्कृतिक अनुकूलन हेतु  एक उपयुक्त धर्मविधिक अभिव्यक्ति की मांग करता।"

प्रस्तावना में संत पापा ने कोंगो की कलीसिया को निमंत्रण दिया है कि वह उसी तरह संस्कारों और धार्मिक अभ्यासों की रीति का अनुवाद एवं स्वागत करने में अपने आपको समर्पित करे। जैसा कि संत पापा जॉन पौल द्वितीय ने 1988 में कोंगो के धर्माध्यक्षों को उनकी अद लिमीना मुलाकात के दौरान कही थी।

संत पापा फ्रांसिस 3 जुलाई को रोम में कोंगो समुदाय के लिए ख्रीस्तयाग अर्पित करेंगे।

कोंगो और दक्षिणी सूडान में अपनी प्रेरितिक यात्रा के कार्यक्रम को स्थगित करते हुए संत पापा फ्रांसिस ने कहा था कि वे संत पेत्रुस महागिरजाघर में रोम के कोंगो समुदाय के लिए 3 जुलाई को ख्रीस्तयाग अर्पित करेंगे, ठीक उसी दिन वे कोंगो की राजधानी किंशसा में ख्रीस्तयाग अर्पित करनेवाले थे।

कोंगो में 81 मिलियन लोगों में करीब 90 प्रतिशत लोग ख्रीस्तीय हैं जबकि 33 प्रतिशत प्रतिशत काथलिक।

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21 June 2022, 16:46