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पूर्वी रीति के पुरोहित सन्त सिरिल और सन्त मेथोदियुस के पर्व पर शोभायात्रा में, तस्वीरः 23.05.2022 पूर्वी रीति के पुरोहित सन्त सिरिल और सन्त मेथोदियुस के पर्व पर शोभायात्रा में, तस्वीरः 23.05.2022 

पूर्वी रीति की ऑरथोडोक्स कलीसियाओं के पुरोहितों से सन्त पापा

प्रभु येसु मसीह का अनुग्रह, ईश्वर का प्रेम तथा पवित्रआत्मा की सहभागिता आप सबको प्राप्त हो, कुरिन्थियों के प्रेषित पत्र में सन्त पौल द्वारा लिखित इन शब्दों का उच्चार कर सन्त पापा फ्राँसिस ने शुक्रवार को वाटिकन में पूर्वी रीति की ऑरथोडोक्स कलीसियाओं के पुरोहितों का अभिवादन किया।

जूलयट जेनेवीव क्रिस्टफर-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 3 जून 2022 (रेई, वाटिकन रेडियो): प्रभु येसु मसीह का अनुग्रह, ईश्वर का प्रेम तथा पवित्रआत्मा की सहभागिता आप सबको प्राप्त हो, कुरिन्थियों के प्रेषित पत्र में सन्त पौल द्वारा लिखित इन शब्दों का उच्चार कर सन्त पापा फ्राँसिस ने शुक्रवार को वाटिकन में पूर्वी रीति की ऑरथोडोक्स कलीसियाओं के पुरोहितों का अभिवादन किया।  

सन्त पापा ने कहा कि यह उचित ही है कि रविवार को मनाये जा रहे पेन्तेकॉस्त महापर्व की पूर्वसन्ध्या पूर्वी रीति की ऑरथोडोक्स कलीसियाओं के पुरोहित काथलिक कलीसिया की परमाध्यक्षीय पीठ रोम की तीर्थयात्रा कर रहे थे।  उन्होंने कहा कि इस महापर्व के अवसर पर वे पवित्रआत्मा के वरदानों पर चिन्तन का आग्रह करना चाहते हैं, जिनमें सर्वाधिक महत्वपूर्ण है एकता का वरदान जिसकी हम सब आँकाक्षा और आशा करते हैं।

एकता एक वरदान

सन्त पापा ने कहा कि सर्वप्रथम एकता पर चिन्तन करना अनिवार्य है, जिसके लिये सतत् प्रार्थना की नितान्त आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि पूर्ण एकता के लिये प्रार्थना के साथ-साथ क्रियाशील रहना, सहयोग करना, सम्वाद हेतु प्रयास करना तथा ईश्वर की असाधारण कृपा को ग्रहण करने के लिये तत्पर रहना ज़रूरी है। 

सन्त पापा ने कहा, "एकता की प्राप्ति मुख्य रूप से पृथ्वी का फल नहीं है, बल्कि स्वर्ग का है। वस्तुतः यह हमारी प्रतिबद्धता, हमारे प्रयासों और हमारे समझौतों का परिणाम नहीं है, बल्कि पवित्र आत्मा के कार्य का है,  जिसके लिए हमें विश्वासपूर्वक अपने दिलों को उदार रखने की आवश्यकता है, ताकि पूर्ण सहभागिता के मार्ग पर पवित्रआत्मा हमारा मार्गदर्शन कर सकें।" उन्होंने कहा, "एकता एक अनुग्रह है, एक वरदान है।"

एकता सद्भाव

सन्त पापा ने कहा कि पेन्तेकॉस्त महापर्व हमें स्मरण दिलाता है कि एकता का अर्थ है सद्भाव, तथा आस्था एवं  संस्कारों के मिलन में विभिन्न परंपराओं की कलीसियाओं से गठित आपका प्रतिनिधिमंडल इस तथ्य का एक अच्छा उदाहरण है। उन्होंने कहा, "एकता का अर्थ एकरूपता नहीं है, इसका अर्थ समझौता या कमजोर राजनयिक शक्ति संतुलन का फल भी नहीं है, अपितु एकता आत्मा द्वारा प्रदत्त करिश्मे की विविधता में सामंजस्य है, इसलिये कि पवित्र आत्मा बहुलता और एकता दोनों को जागृत करना पसंद करते हैं, जहाँ विभिन्न भाषाओं को केवल एक में ही सीमित नहीं किया गया था, बल्कि उनकी अपनी विविधताओं में समेट लिया गया था।।"

एकता एक तीर्थयात्रा

सन्त पापा ने कहा कि पेन्तेकॉस्त महापर्व की तीसरी शिक्षा है कि एकता एक तीर्थ यात्रा है, जिसपर ख्रीस्त के अनुयायियों को अनवरत आगे  बढ़ते रहना है। उन्होंने कहा, "एकता कोई परियोजना नहीं है जिसे मेज़ पर बैठकर तैयार कर लिया जाये। एकता स्थिर खड़े रहने से नहीं आती है, बल्कि उस नई ऊर्जा के साथ आगे बढ़ने से आती है जिसने पेन्तेकॉस्त के दिन येसु के चेलों को प्रभावित किया था।" सन्त पौल के शब्दों को उद्धृत कर सन्त पापा ने कहा कि हम सब पवित्रआत्मा में एक साथ आगे बढ़ने के लिये बुलाये गये हैं।

एकता मिशन के लिए

अन्त में सन्त पापा ने कहा कि एकता अपने आप में एक अंत नहीं है, बल्कि ख्रीस्तीय उदघोषणा की फलदायीता से निकटता से जुड़ी हुई है: एकता मिशन के लिए है। उन्होंने कहा कि प्रभु येसु ख्रीस्त ने अपने शिष्यों के लिये यही प्रार्थना की थी कि वे सबके सब एक हो जायें, जिससे विश्व विश्वास कर सके।

सन्त पापा ने कहा कि पेन्तेकॉस्त के दिन एक मिशनरी कलीसिया के रूप में ख्रीस्त की कलीसिया का उदय हुआ था। आज भी, विश्व प्रतीक्षा कर रहा है, भले ही अचेतन रूप से, वह उदारता, स्वतंत्रता एवं शांति के सुसमाचारी  सन्देश को सुनने की प्रतीक्षा कर रहा है।

उन्होंने कहा कि यह वह संदेश है जिसकी, एक दूसरे के साथ मिलकर, गवाही देने के लिए हमें बुलाया गया है, न कि एक दूसरे के खिलाफ या एक दूसरे से अलग। उन्होंने प्रार्थना की कि प्रभु येसु ख्रीस्त का पवित्र क्रूस सभी ख्रीस्तानुयायियों को पूर्ण एकता की तीर्थयात्रा में अग्रसर होने की शक्ति प्रदान करे।

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03 June 2022, 12:01