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स्वर्ग की रानी प्रार्थना में पोप : पवित्र आत्मा दूरी पाटते हैं

संत पापा फ्राँसिस ने पेंतेकोस्त रविवार को विश्वासियों को निमंत्रण दिया कि वे पवित्र आत्मा को सुनें जो येसु के सुसमाचार को हमारे हृदयों में प्रवेश कराते और और दूरी से ऊपर उठना सिखाते हैं।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, रविवार, 5 जून 2022 (रेई) : वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में, रविवार 5 जून को पेंतेकोस्त महापर्व के अवसर पर संत पापा फ्राँसिस ने उपस्थित विश्वासियों के साथ स्वर्ग की रानी प्रार्थना का पाठ किया, जिसके पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा, प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात।

आज पेंतेकोस्त का महापर्व, हम प्रेरितों पर पवित्र आत्मा के उतरने का पर्व मना रहे हैं। जो पास्का के 50 दिन बाद घटित हुआ। येसु ने कई बार इसकी प्रतिज्ञा की थी। आज की धर्मविधि में, सुसमाचार पाठ इन प्रतिज्ञाओं में से एक का वर्णन करता है, जब येसु ने अपने शिष्यों से कहा, "वह सहायक, वह पवित्र आत्मा, जिसे पिता मेरे नाम पर भेजेगा, तुम्हें सब कुछ समझा देगा।” (यो. 14: 26) संत पापा ने कहा, "यही पवित्र आत्मा का काम है: वह हमें येसु के कथन को सिखाता और याद दिलाता। आइये हम इन दो कार्यों पर चिंतन करें। शिक्षा देना और याद दिलाना, क्योंकि इसी रास्ते पर वे येसु के सुसमाचार को हमारे हृदयों में डालते हैं।"

पवित्र आत्मा सिखलाता है

सर्वप्रथम, पवित्र आत्मा हमें शिक्षा देते हैं। इस तरह वे हमें उस बाधा से ऊपर उठने में मदद देते हैं जिसको हम विश्वास के रास्ते पर महसूस करते हैं। निश्चय ही, दैनिक जीवन और सुसमचार के बीच संदेह उत्पन्न हो सकता है, दूरी बढ़ सकती है: येसु दो हजार वर्षों पहले दुनिया में रहे, उस समय अलग परिस्थिति थी इसलिए सुसमाचार पुराना लग सकता है, हमारे वर्तमान समय में इन सारे सवालों एवं समस्याओं के साथ बोलने में असमर्थ लग सकता है। ये भी सवाल हमारे मन में आ सकता है कि इंटरनेट और वैश्विकरण के जमाने में सुसमाचार को क्या कहना है? इनके शब्दों का क्या प्रभाव पड़ सकता है?  

पवित्र आत्मा दूरी पाटता है

संत पापा ने कहा कि पवित्र आत्मा दूरी पाटने में सक्षम है। वही लोगों को येसु की शिक्षा से जोड़ता है। उनके माध्यम से येसु का वचन जीवित रूप में आता है। जी हाँ,  पवित्र आत्मा इसे जीवित बना देते हैं: धर्मग्रंथ के द्वारा वे हमसे बातें करते हैं और वर्तमान में हमारा मार्गदर्शन करते हैं। वे सदियों के पार होने से नहीं डरते हैं बल्कि विश्वासियों को समस्याओं एवं अपने समय की घटनाओं पर अधिक चौकस करते हैं। क्योंकि जब पवित्र आत्मा शिक्षा देते हैं वे उसे वास्तविक बनाते एवं विश्वास को हमेशा जवान रखते हैं। हम विश्वास को एक संग्राहालय की वस्तु बनाने लगते हैं, जबकि वे समय के साथ उसे, हर दिन आगे बढ़ाते हैं, यह उनका काम है, क्योंकि पवित्र आत्मा किसी युग के साथ जुड़ा हो नहीं है कि पार हो जाए बल्कि वह येसु को पुनर्जीवित, जीवित एवं वर्तमान में प्रस्तुत करते हैं।

आत्मा किस तरह ऐसा करते हैं? हमें याद दिलाकर। यहाँ दूसरी क्रिया आती है, याद करना। याद करने का अर्थ क्या है? याद करने का अर्थ है अपने दिल में रखना, याद करना। पवित्र आत्मा सुसमाचार को हमारे दिल में लाते हैं। यही प्रेरितों के साथ होता है : उन्होंने येसु को बहुत बार सुना था किन्तु उन्हें बहुत कम समझा था। लेकिन पेंतेकोस्त के दिन, पवित्र आत्मा के साथ वे अच्छी तरह समझने और याद करने लगे। उन्होंने उनके वचनों का स्वागत खासकर, अपना समझते हुए किया और बाहरी ज्ञान से स्मृति के ज्ञान की ओर आगे बढ़े, एक जीवित संबंध की ओर, प्रभु के साथ एक आनन्दमय संबंध बनाने के लिए। संत पापा ने कहा कि पवित्र आत्मा ही ऐसा कर सकता है जो येसु के ज्ञान को अफवाह से व्यक्तिगत ज्ञान बना सकता है, जो हृदय में प्रवेश करता। इस तरह पवित्र आत्मा हमारे जीवन को बदल देता है। येसु के विचार को हमारा विचार बना देता है। और इसे वे उनके शब्दों को याद दिलाते हुए करते हैं, येसु के शब्दों को आज हमारे दिलों के शब्द बनाते हैं।

पवित्र आत्मा हमें स्मरण दिलाता है

भाइयो एवं बहनो, आत्मा जो हमें स्मरण दिलाता है उसके बिना विश्वास भूलने के समान बन जाता है। कई बार विश्वास यादगारी के बिना याद बन जाता है। जबकि यादगारी जीवित है और जीवित यादगारी को पवित्र आत्मा लाता है। हम अपने आप से पूछने की कोशिश करें- क्या हम भूलने वाले ख्रीस्तीय हैं? क्या एक नाकामयाबी, एक थकान या एक संकट येसु के प्यार को भूलने एवं संदेह तथा भय में पड़ने के लिए काफी है? यह शर्म की बात है, हमें भूलनेवाला ख्रीस्तीय नहीं बनना चाहिए। इसकी दवाई है पवित्र आत्मा का आह्वान करना। संत पापा ने पवित्र आत्मा का आह्वान करने का प्रोत्साहन दिया, विशेषकर, कठिन निर्णय लेते समय और कठिन परिस्थितियों में। आइये हम हाथ में सुसमचार लें और पवित्र आत्मा का आह्वान करें। हम इस तरह प्रार्थना कर सकते हैं : आओ पवित्र आत्मा हमें येसु का स्मरण कराओ, हमारे हृदयों को आलोकित कर। यह एक सुन्दर प्रार्थना है।

तब संत पापा ने कुँवारी मरयिम से प्रार्थना का आह्वान करते हुए कहा, "कुँवारी मरियम कृपा से पूर्ण, हमारे हृदयों में उनसे प्रार्थना करने एवं ईश वचन का स्वागत करने की इच्छा जागृत करे।"        

इतना कहने के बाद संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ स्वर्ग की रानी प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।

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05 June 2022, 16:32