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आमदर्शन समारोह में संत पापा फ्राँसिस आमदर्शन समारोह में संत पापा फ्राँसिस 

आमदर्शन समारोह ˸ बुजुर्ग हमें ईश्वर की कोमलता दिखलाते हैं

साप्ताहिक आमदर्शन समारोह के दौरान वयोवृद्ध एवं वृद्धावस्था पर अपनी धर्मशिक्षा को जारी रखते हुए संत पापा फ्राँसिस ने बाईबिल के व्यक्तित्व निकोदेमुस पर चिंतन किया तथा कहा कि वयोवृद्ध कोमलता, प्रज्ञा एवं स्नेह के संदेशवाहक हैं।

दिलीप संजय एक्का-वाटिकन सिटी

संत पापा फ्रांसिस ने अपने बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में एकत्रित सभी विश्वासियों और तीर्थयात्रियों का अभिवादन करते हुए कहा, प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात।

नया जन्म का अर्थ 

सुसमाचार में हम निकोदेमुस को, यहूदी समुदाय के नेताओं में एक अति महत्वपूर्ण बुजूर्ग व्यक्तित्व स्वरुप पाते हैं, जो रात में गुप्त रुप से येसु के पास उन्हें जानने हेतु आते हैं (यो.3.1-21)। उनके बीच हुई वार्ता में हम येसु के मुक्तिदायी प्रेरितिक रहस्य को प्रकट होता सुनते हैं,“ईश्वर ने संसार को इतना प्रेम किया कि उन्होंने अपने एकमात्र पुत्र को दे दिया जिससे जो कोई उनमें विश्वास करे उसका सर्वनाश न हो लेकिन अनंत जीवन प्राप्त करे”।

येसु निकोदेसुम से कहते हैं कि ईश्वर के राज्य के दर्शन हेतु “एक व्यक्ति को ऊपर से पुनः जन्म लेने की जरूरत है”। इसका अर्थ इस दुनिया में पुनः जन्म लेने से नहीं है जहाँ हम इस बात की आशा करते हैं कि यह हमारे लिए एक बेहतर जीवन के अवसर उत्पन्न करेगा। यह दुहरावा अपने में निरर्थक है। यह हमारे जीवन की सारी बातों को व्यर्थ साबित कर देगा, उन्हें मिटा देगा मानों वे सारी बातें अपने में एक असफल प्रयोग थे, एक मूल्य जो अपने में व्यर्थ, अर्थहीन था। संत पापा ने कहा कि ऊपर से जन्म लेने का अर्थ यह नहीं है, येसु जिस जन्म के बारे में जिक्र करते हैं उसका अर्थ दूसरा है। यह जीवन ईश्वर की निगाहों में कीमती है, यह हमें इस बात से वाकिफ कराता है कि हम ईश्वर की कोमलता में प्रेम किये जाते हैं। “ऊपर से जन्म लेना” हमें ईश्वर के राज्य में “प्रवेश” करने के योग्य बनाता है जहाँ हम अपने को पवित्र आत्मा से नये जीवन में प्रवेश होता पाते हैं। यह बपतिस्मा के जल द्वारा प्रतिज्ञात देश में प्रवेश करना है जहाँ ईश्वर के प्रेम में एक नये प्राणी स्वरूप हमारा मेल-मिलाप हुआ है। यह हमारा दुबारा भौतिक जन्म नहीं अपितु ईश्वर की कृपा में ऊपर से जन्म लेना है। 

ईश्वर की उपस्थिति का साक्ष्य

निकोदेमुस इस बात को नहीं समझते और बुजुर्गावस्था में इस जन्म की असंभवता के बारे में सवाल करते हैं। मनुष्य अनिवार्य रूप से बुढ़ापे की स्थिति को प्राप्त करता है, एक युवा का अनंत सपना स्थायी रूप से पीछे छूट जाता है, कोई भी जन्म अपने परकाष्ठा को प्राप्त करता है। कोई ऐसे लक्ष्य की कल्पना कैसे कर सकता है जिसका स्वरूप जन्म से तैयार होॽ और निकोदेमुस इसी भांति विचार करते हैं और वे येसु की बातों को नहीं समझते हैं। यह पुनर्जन्म अपने में क्या हैॽ

निकोदेमुस की असम्मति हमारे लिए अति विचारनीय है। येसु के वचनों के प्रकाश में हम इसे पलट कर देख सकते हैं, जो बुजुर्गावस्था में हमारी प्रेरिताई की खोज करने में सहायक होता है। वास्तव में, बुजुर्गावस्था ऊपर से जन्म लेने हेतु कोई अड़चन उत्पन्न नहीं करता जैसा कि येसु हमें कहते हैं, बल्कि यह अपने को आवलोकित करने हेतु एक अवसर होता है जहां हम अपने को अपनी खोई हुई आशा से अलग करते हैं। हमारा युग और हमारी संस्कृति, युवाओं के अनंत मिथक जो जन्म देती है जो अविनाशी शरीर के रुप में हताशी जुनून है।

संत पापा ने कहा “क्यों बुजुर्गावस्था की सराहना नहीं की जाती हैॽ” क्योंकि यह इस मिथक के अंत का निर्विवाद प्रमाण है, जो हमेशा एक युवा शरीर के साथ अपनी माँ के गर्भ में वापस लौटने की चाह रखता है।

अपनी बुजुर्गावस्था को नहीं छिपाना

उन्होंने कहा कि तकनीकी हर तरह इस मिथक से मोहित है। मृत्यु को हराने की चाह में प्रतीक्षा करते हुए, हम विभिन्न प्रकार की औषधि और सौंदर्य की चीजों से अपनी बुजुर्गावस्था को छिपाने, कम करने और इसे मिटाने की कोशिश करते हैं। स्वाभाविक रुप में हमारा स्वस्थ रहना एक बात है वहीं मिथक जो इसकी देख-रेख करता एक दूसरी बात। हम, यद्यपि इस बात को अस्वीकार नहीं कर सकते हैं कि इन दो चीजों के कारण हमारे बीच एक तरह से दुविधा की स्थिति उत्पन्न हो रही है। सदैव युवा बने रहने की चाह और इसके लिए हमेशा बहुत सारी चीजों को करना हमारे बीच में दुविधा की स्थिति को व्यक्त करती है। संत पापा ने इस संदर्भ में एक विवेकी इतालवी नायिका मगनानी का उदाहरण दिया। युवा दिखने हेतु उनकी झुरियों को दूर करने की सलाह पर उन्होंने कहा कि उनके साथ छेड़छाड़ न किया जाये। “वे झुरियाँ अनुभव, जीवन की निशानियाँ, प्रौढ़ता को व्यक्त करती हैं जो एक जीवन यात्रा को बतलाती है”। युवा दिखने हेतु उनके साथ छेड़खानी करना उचित नहीं है, इसके बदले हमें चाहिए कि हमारा व्यक्तित्व अच्छा हो, जो हृदय से आता है, यह हृदय है जहाँ हम यौवन रूपी अच्छी शराब को पाते हैं जो उम्र के साथ बेहतर होता जाता है।

बुजुर्गावस्था- एक अद्वितीय सुन्दरता 

जीवन हमारे भौतिक शरीर में एक “अनंत” सुन्दता रूपी सच्चाई है, मानो कोई कलाकृति जो अपनी अपूर्णता के कारण एक अद्वितीय आकर्षण बनती है। धरती में हमारा जीवन अपने में पूर्ण नहीं अपितु एक “शुरूआत” है। वैसे ही हम इस संसार में सदैव वास्तविक व्यक्ति स्वरूप आते हैं, जो उम्र में बढ़ते जाते लेकिन सदैव असल रहते हैं। लेकिन स्थान और समय के संदर्भ में हमारा भौतिक शरीर इस धरती पर बहुत छोटा है जिसे हम इस दुनिया के समयानुसार बरकरार रखते हुए अपने जीवन के मूल्यवान अस्तित्व को पूरा करते हैं। येसु कहते हैं कि विश्वास जिसके द्वारा हम सुसमाचार की घोषणा करते हुए ईश्वरीय राज्य की स्थापना हेतु भेजे गये हैं हमारे लिए एक अति विशेष प्रयास की मांग करता है। यह हमें ईश्वर के राज्य को “देखने” में मदद करता है। हम अपनी आशा में कई संकेतों को, वास्तव में देखने हेतु सक्षम होते हैं, जो हमारे लिए ईश्वर में अनंत कार्यों की पूर्णता का संकेत देता है।

बुजुर्गावस्था- अंतिम लक्ष्य हेतु प्रेम का संचार करता

हमारे लिए वे निशानियाँ बहुत सारे रुपों में येसु ख्रीस्त के प्रेम में प्रकाशित होते हैं। और यदि हम उन्हें देखते हैं, तो हम उनके द्वारा पवित्र आत्मा के माध्यम बपतिस्मा प्राप्त व्यक्तियों के रुप में नवीन बनते और ईश्वर के राज्य में “प्रवेश” कर सकते हैं।

संत पापा फ्रांसिस ने कहा कि बुजुर्गावस्था हममें से बहुतों के लिए वह स्थिति है जहां हम इस जन्म के चमत्कारों को देख सकते, उन्हें अपने में संग्रहित करते और उन्हें मानव समुदाय के संग विश्वासनीय ढ़ंग से साझा कर सकते हैं। यह हमारे जीवन के लिए एक विषाद का संचार नहीं करता बल्कि हमारे अंतिम लक्ष्य हेतु प्रेम का संचार करता है। इस संदर्भ में बुजुर्गावस्था हमारे लिए एक अद्वितीय सुन्दरता है जहाँ हम अनंत जीवन की ओर यात्रा करते हैं। कोई भी माता के गर्भ में पुनः प्रवेश नहीं कर सकता है यह किसी भी तकनीकी और उपभोक्तावादी विकल्प के द्वारा संभव नहीं है। यद्यपि यह संभव भी हो तो यह अपने में दुखद होगा। बुजुर्गावस्था अपने गंतव्य लक्ष्य की ओर बढ़ना है जो हमारे लिए ईश्वर का निवास है। इसलिए, बुढ़ापा एक जैविक और रोबोटिक अस्तित्व के तकनीकी भ्रम से भविष्य को अलग करने का एक विशेष समय है, क्योंकि यह ईश्वर के रचनात्मक और उत्पादक गर्भ की कोमलता को खोलने का एक खास समय है। संत पापा ने अपनी धर्मशिक्षा के अंत में बुजुर्गावस्था की कोमलता पर जोर दिया जो स्वतंत्र रूप में हमें प्रेम के योग्य बनाता है। यह समझ और ईश्वरीय कोमलता रूपी द्वारा खोलता है। उन्होंने कहा कि हम इस बात को न भूलें कि ईश्वर का आत्मा हमारे लिए निकटता, कोमलता और करूणा का स्रोत है। बुजुर्गावस्था जीवन के इस आयाम को समझने हेतु हमारी मदद करता है। यह वह समय है जो ईश्वरीय कोमलता में सभी के लिए एक राह का निमार्ण करता है। बुजुर्गावस्था की प्रेरिताई हमें मेल करते हुए ऊपर से जन्म लेने में मदद करती है, पवित्र आत्मा हमें कृपा प्रदान करें जिससे हम इस आध्यात्मिक और सांस्कृतिक आयाम को पुनः खोल सकें।

आमदर्शन समारोह - 8 जून 2022

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08 June 2022, 15:32