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संत पापा फ्राँसिस संत पापा फ्राँसिस 

देवदूत प्रार्थना में पोप : पवित्र तृत्व हमारे जीवन के तरीके में क्रांति लाता है

संत पापा फ्राँसिस ने रविवार को पवित्र तृत्व महापर्व के दिन याद दिलाया कि पवित्र तृत्व एक धार्मिक अभ्यास मात्र नहीं है बल्कि हमारे जीवन के तरीके में एक क्रांति है।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, रविवार, 12 जून 2022 (रेई) : वाटिकन स्थिति संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में रविवार 12 जून को, पवित्र तृत्व के महापर्व के अवसर पर संत पापा फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया जिसके पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा, "प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात, शुभ रविवार।"

आज पवित्र तृत्व का महापर्व, धर्मविधि के सुसमाचार पाठ में येसु और दो ईश्वरीय व्यक्तियों को प्रस्तुत करते हैं, पिता और पवित्र आत्मा। वे पवित्र आत्मा के बारे बोलते हैं : "वह अपनी ओर से कुछ नहीं कहेगा, बल्कि वह जो सुनेगा, वही कहेगा।" उसके बाद पिता के बारे बोलते हैं, "जो कुछ पिता का है वह मेरा है।" (यो.16,14-15)

संत पापा ने पवित्र आत्मा के कार्य पर चिंतन करने हेतु प्रेरित किया, जो बोलता है किन्तु अपनी ओर से कुछ नहीं कहता : वह येसु की घोषणा करता एवं पिता को प्रकट करता है। और पिता जिनका सब कुछ पर अधिकार है, क्योंकि सब कुछ उन्हीं से उत्पन्न हुआ है, पुत्र को सब कुछ प्रदान करते हैं।

हमारी क्या स्थिति है

और अब हम अपने आप पर गौर करें, हम क्या बात करते एवं किस चीज को अपने लिए रखते हैं। जब हम बात करते हैं, तो हमेशा चाहते हैं कि अपने लिए अच्छी बातें हों। कई बार हम सिर्फ खुद के बारे बोलते और क्या करते हैं उसकी चर्चा करते हैं। पवित्र आत्मा की तुलना में हम कितने अलग हैं जो सिर्फ दूसरों की घोषणा करते हैं। हम जो अपने पास रखते हैं उसके लिए सतर्क हैं और हमारे लिए इसे बांटना कितना कठिन है। उन लोगों के साथ भी जिनके पास आवश्यकता की चीजें नहीं हैं। शब्दों में यह आसान है किन्तु कार्य में परिणत करना बहुत कठिन।

यही कारण हैं कि पवित्र तृत्व का महापर्व केवल एक धार्मिक अभ्यास नहीं है, बल्कि हमारे जीवन के रास्ते में एक क्रांति है, ईश्वर में हरेक व्यक्ति दूसरों के लिए जीता है, खुद के लिए नहीं। आज हम अपने आप से पूछ सकते हैं कि क्या हमारा जीवन उस ईश्वर को प्रतिबिम्बित करता है जिसपर हम विश्वास करते? मैं जो पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा में विश्वास करता हूँ क्या मैं सचमुच मानता हूँ कि जीने के लिए मुझे दूसरों की आवश्यकता है? मुझे अपने आपको दूसरों को देना है? क्या मैं इसे केवल अपने शब्दों से व्यक्त करता अथवा क्या इसे अपने जीवन से भी पुष्ट करता हूँ?

दूसरों के लिए जीना, उसे कार्यों से प्रकट करना

संत पापा ने विश्वासियों को सम्बोधित करते हुए कहा, "ईश्वर जो एक जन में तीन जन हैं, उन्हें प्रकट किया जाना है, शब्दों के साथ बल्कि कार्यों के साथ भी। ईश्वर जो हमारे जीवन के मालिक है, उन्हें किताबों द्वारा अधिक नहीं बांटा जाना चाहिए किन्तु हमारे जीवन के साक्ष्य से। जैसा कि सुसमाचार लेखक योहन लिखते हैं, वे प्रेम हैं (1 यो 4,16) अपने आपको प्रेम द्वारा प्रकट करते। उन लोगों की याद करें जो भले, उदार और विनम्र है एवं जिनसे हमने मुलाकात की है। उनके सोचने एवं कार्य करने की याद करें। हम ईश्वर के प्रेम पर छोटा चिंतन कर सकते हैं। प्रेम करने का अर्थ क्या है? हम उनके लिए सिर्फ अच्छा होने और अच्छा करने की कामना नहीं कर सकते बल्कि सर्व प्रथम मूल में, उनका स्वागत करना है, दूसरों के लिए जगह बनाना है, दूसरों के लिए स्थान देना है।"

हम कोई द्वीप नहीं

इसे अधिक अच्छी तरह समझने के लिए, ईश्वरीय व्यक्तियों के नाम पर चिंतन करें, जिनकी घोषणा हम तब तब करते हैं जब जब क्रूस का चिन्ह बनाते। हर नाम में दूसरे की उपस्थिति है। उदाहरण के लिए, पिता, पुत्र के बिना पिता नहीं होते, उसी तरह पुत्र अकेला पुत्र नहीं हो सकता बल्कि पिता का पुत्र है। और पवित्र आत्मा, पिता और पुत्र की आत्मा है। संक्षेप में, पवित्र तृत्व हमें सिखलाता है कि हम दूसरों के बिना कभी नहीं रह सकते। हम कोई टापू नहीं हैं, हम दुनिया में ईश्वर की छवि को जीने के लिए हैं, हमें दूसरों की आवश्यकता है और दूसरों को हमारी आवश्यकता है। अतः हम अपने आप से यह सवाल पूछें- अपने दैनिक जीवन में क्या मैं पवित्र तृत्व का प्रतिबिम्ब हूँ?

मैं जो क्रूस का चिन्ह बनाता हूँ क्या वह अपने आप में केवल एक चिन्ह मात्र है अथवा क्या यह मेरे बोलने, मुलाकात करने, जवाब देने, न्याय करने और क्षमा करने के तरीके को प्रभावित करता है?

संत पापा ने माता मरियम से प्रार्था करने का आह्वान करते हुए कहा, "माता मरियम, पिता की पुत्री, पुत्र की माता और पवित्र आत्मा की दुल्हिन, हमें ईश्वरीय प्रेम के रहस्य का अपने जीवन में स्वागत करने एवं उसका साक्ष्य देने में मदद करे।"

इतना कहने के बाद संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।

देवदूत प्रार्थना में संत पापा का संदेश

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12 June 2022, 16:34