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संत पापा फ्राँसिस संत पापा फ्राँसिस 

संत पेत्रुस व पौलुस हमें विश्वास में प्रतिदिन बढ़ने की शिक्षा देते हैं, संत पापा

संत पेत्रुस व संत पौलुस के पर्व पर संत पापा फ्राँसिस प्रेरितों के संघर्षों और उनके विश्वास में अपूर्णताओं पर चिंतन किया और कहा कि हम येसु के साथ निकटता में बढ़ने के हमारे संघर्षों को रोम के संरक्षकों को बता सकते हैं।

दिलीप संजय एक्का-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, बुधवार 29 जून 2022 (वाटिकन न्यूज) : संत पापा फ्रांसिस ने संत पेत्रुस और संत पौलुस के पर्व दिवस पर देवदूत प्रार्थना के पूर्व संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में जमा हुए सभी विश्वासियों और तीर्थयात्रियों को संबोधित कर कहा कि रोम के संरक्षक संतों के महापर्व हेतु लिये गये धर्मविधि के पाठ हमारे लिए पेत्रुस की घोषणा को प्रस्तुत करता है,“आप मसीह है, जीवंत ईश्वर के पुत्र।”  (मत्ती.16.16) यह विश्वास की अभिव्यक्ति है जिसे पेत्रुस अपनी मानवीय समझ के अनुरूप व्यक्त नहीं करते बल्कि ईश्वर की प्रेराणा से करते हैं।

विश्वास की शिक्षुता

संत पापा ने कहा कि मछुवारे के रुप में विख्यात पेत्रुस की यह एक यात्रा की शुरूआत थी, इन वचनों को घोषित करने के लिए उसे एक खास यात्रा करनी पड़ी जो उसके पूरे जीवन को सम्माहित करता है। यह विश्वास की एक शिक्षुता है जो पेत्रुस और पौलुस दोनों को अपने में सम्माहित करता है। हम भी यह विश्वास करते हैं कि येसु मसीह जीवित ईश्वर के पुत्र हैं लेकिन यह विश्वास हमारी सोच और कार्य के अनुरूप सुसमाचार से अपने को संयुक्त करने हेतु धैर्य और बहुत अधिक नम्रता की मांग करता है।

प्रेरित संत पेत्रुस को इसका अनुभव अति शीघ्र हुआ। येसु पर अपने विश्वास की घोषणा के ठीक तुरंत बाद, जब येसु उसे अपने दुःखभोग, ठुकराये जाने और मृत्यु की बात कहते तो वह उसे स्वीकार नहीं करता है जिससे वह मसीह के संग असंगत मानता है। इसके लिए वह अपने स्वामी को गाली भी देता है जिसके बदले वे उसे कहते हैं, “हट जाओ शैतान, तुम मेरे रास्ते में बाधा बन रहे हो। तुम ईश्वर की बातें नहीं मनुष्यों की बातें सोचते हो।”

परीक्षाओं में, पेत्रुस की तरह, क्या हमारा विश्वास डगमगाता है?

संत पापा ने उपस्थित विश्वासियों से कहा, “हम इसके बारे में विचार करें- क्या यह हमारे साथ घटित नहीं होता हैॽ हम अपने विश्वास की घोषणा करते हुए इसे धर्मसार में दुहराते हैं, लेकिन जीवन की कुछ मुसीबतों के बीच हम सभी चीजों को लड़खड़ाता हुआ पाते हैं। यह ईश्वर के संग हमारे विरोध को दिखलाता है जहाँ हम उन्हें कहते हैं कि यह उचित नहीं है, इसके सिवाय और कुछ दूसरा, कम थकान सीधा मार्ग होना चाहिए। हम अपने विश्वास को मजबूत नहीं पाते और कई परिस्थिति में हम यह अनुभव करते हैं कि उनका अनुसरण करना हमारे लिए कठिन है, इस भांति हम स्वामी के मार्ग का अनुसरण करने के बदले में दूसरे राहों की खोज करने लगते हैं। संत पेत्रुस अपने में इस अंतरद्वंद्व का अनुभव करता है उसे प्रौढ़ होने हेतु और समय की जरुरत हुई। शुरू में उसे क्रूस के बार में सोच कर भय का अनुभव हुआ लेकिन अपने जीवन के अंत में उन्होंने साहस के साथ क्रूसित होने तक, जैसे हम प्रचलन के अनुसार जानते हैं कि उसे क्रूस पर सिर नीचे और पैर ऊपर कर येसु का साक्ष्य देना पड़ा।

संत पौलुस का संदेह और हृदय परिवर्तन

संत पापा ने कहा कि पौलुस भी धीरे से अपने विश्वास में सुदृढ़ हुआ उनके जीवन में अनिश्चितता और संदेह के क्षण आये। पुनर्जीवित प्रभु उन्हें दमिश्क की राह में दिखाई दिये जिसके फलस्वरुप ख्रीस्तीयों के प्रताड़ित वाला स्वयं ख्रीस्तीय बना। यह पौलुस के लिए उस मार्ग की शुरूआत थी जहाँ उन्हें बहुत सारे मुसीबतों, असफलताओं और निरंतर प्रताड़ना का शिकार होना पड़ा जिसे वे अपने “शरीर में कांटों” की संज्ञा देते हैं। विश्वास का मार्ग वाटिका में चलने के समान नहीं होता है, बल्कि यह चुनौती पूर्ण होती है जो हमारे लिए कठिन होती है। पौलुस भी ख्रीस्तीय बनने के बाद धीरे-धीरे अपनी परीक्षा में सीखते हैं।

संत पौलुस और पेत्रुस के जीवन अनुभवों के आधार पर हम अपने आप से पूछें, जब मैं ईश्वर के पुत्र येसु में अपने विश्वास की घोषणा करता हूँ तो क्या मैं इस बात से वाकिफ होता हूँ कि यह सदैव एक सीखने की बात होती है या मैं यह सोचता हूँ “ मैंने सारी चीजों को पहले से समझता हूँ”ॽ इसके साथ ही क्या में कठिनाइयों और मुसीबतों की घड़ी में हताश हो जाता हूँ, क्या मैं शिकायतें करने लगता हूँ ॽ या क्या मैं उसे ईश्वर के विश्वास में बढ़ने हेतु एक अवसर की भांति लेता हूँॽ वास्तव में, पौलुस तिमथी को लिखते हैं- वे हमें सभी तरह की बुराइयों से मुक्त करते और सुरक्षित स्वर्ग की ओर लाते हैं (2 तिमथी.4.18)। माता मरियम प्रेरितों की रानी हमें उनका अनुसार करने की शिक्षा दे जिससे हम रोज दिन विश्वास के मार्ग में आगे बढ़ सकें।

इतना कहने के बाद संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।

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29 June 2022, 16:49