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जर्मनी के स्टूटगार्ट में 102वें काथलिक दिवस जर्मनी के स्टूटगार्ट में 102वें काथलिक दिवस  

पोप ˸ शांति के लिए प्रार्थना करें और एकात्मता में एक साथ आगे बढ़ें

संत पापा फ्राँसिस ने जर्मनी के स्टूटगार्ट में 102वें काथलिक दिवस मनानेवालों को प्रेषित संदेश में, सभी काथलिकों का हार्दिक अभिवादन किया है तथा उन्हें शांति हेतु प्रार्थना करने एवं यह जानने का निमंत्रण दिया है कि हम केवल एक साथ आगे बढ़ सकते हैं जिसे कि सभी लोग समृद्ध एवं अधिक सुन्दर बन सकें।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

संत पापा फ्राँसिस ने 102वें काथलिक दिवस में भाग लेनेवाले प्रतिभागियों को संदेश भेजा है जिसकी शुरूआत बुधवार को जर्मनी के स्टूटगार्ट शहर में हुई और जो रविवार तक जारी रहेगा। 

संत पापा ने उत्सव के इन दिनों में लोगों को शुभकामनाएँ दी हैं जब वे ईश्वर के सम्मान में एक साथ एकत्रित हुए हैं और सुसमाचार के आनन्द का एक साथ साक्ष्य दे रहे हैं।

जीवन को साझा करना

काथलिक दिवस के आदर्शवाक्य के संदर्भ में संत पापा ने गौर किया कि ईश्वर ने मानव में अपनी सांस फूंक दी है तथा येसु में अपना जीवन साझा किया है यह उनकी पराकाष्ठा है जिसमें उन्होंने पृथ्वी पर हमारे जीवन को ईश्वरीय जीवन में सहभागी होने के योग्य बनाया है।  

अतः हम भी येसु के उदाहरणों पर चलकर गरीबों एवं पीड़ितों की सेवा करने के लिए बुलाये गये हैं जैसा कि आज हम यूक्रेन के लोगों और हिंसा से भयभीत जनता के निकट हैं। संत पापा ने सभी लोगों से ईश्वर की शांति हेतु प्रार्थना करने की याचना की।  

अपने जीवन को ईश्वर एवं पड़ोसियों को अर्पित करना

संत पापा ने कहा कि हम अपने जीवन को ईश्वर एवं पड़ोसियों के लिए कई तरह से अर्पित कर सकते हैं, चाहे एक समर्पित माता और पिता के रूप में अपने बच्चों का लालन –पालन करते हुए या कलीसिया की सेवा में अपना समय देकर अथवा उदारता के कार्यों में सहभागी होकर। संत पापा ने रेखांकित किया कि कोई भी अकेला बच नहीं सकता और हम सभी एक ही नाव पर सवार हैं, अतः यह अनिवार्य है कि हम इस बारे में जागरूकता विकसित करें कि हम सभी "एक पिता के बच्चे हैं और आपस में भाई-बहन हैं" जिन्हें एक दूसरे के साथ एकजुट होकर रहना चाहिए।"

"सिर्फ एक साथ हम आगे बढ़ सकते हैं। यदि हरेक व्यक्ति वही देगा जो उसे देना है तो सबका जीवन समृद्ध और खूबसूरत होगा। ईश्वर हमें जो देते हैं उसे हमेशा प्रदान करते हैं ताकि हम उसे दूसरों के लिए बाटें और दूसरों के लिए उसे फलप्रद बनायें।

संत मार्टिन का प्रज्वलित उदाहरण

संत पापा ने रोटेनबर्ग- स्टूटगार्ट धर्मप्रांत के संरक्षक संत मार्टिन की याद करते हुए कहा कि अनुसरण करने के लिए एक प्रज्वलित उदाहरण जिसने अपना कपड़ा गरीब व्यक्ति के साथ बांटा जो ठंढ़ से परेशान था, उसने उसे न केवल मदद दी बल्कि उसके साथ इज्जत एवं चिंता से व्यवहार किया।     

संत पापा ने कहा, "जो लोग येसु ख्रीस्त के नाम को धारण करते हैं वे संत के उदाहरणों पर चलते हुए जरूतमंद लोगों के बीच चीजों एवं संभवनाओं को बांटने के लिए बुलाये जाते हैं। यदि हम सचेत रहेंगे तो जल्द ही पायेंगे कि हमारी जरूरत कहाँ है।"  

उपहार देना और लेना

अंततः संत पापा ने गौर किया कि सबसे गरीब लोग भी दूसरों को कुछ दे सकते हैं और धनी लोगों के पास भी कुछ चीज की कमी हो सकती है और उन्हें दूसरों के उपहार की आवश्यकता होती है। कभी-कभी हमें उपहार स्वीकार करने में कठिनाई होती है, क्योंकि हम अपनी अपूर्णता और जरूरतों को स्वीकार नहीं कर सकते हैं, और आत्मनिर्भर महसूस करते हैं। संत पापा ने कहा कि हम ईश्वर से प्रार्थना करें ताकि हम दूसरों से कुछ ग्रहण करने के लिए अपने आपको दीन बना सकें। 

अंत में, संत पापा ने धन्य कुँवारी मरियम का उदाहरण प्रस्तुत किया जो ईश्वर के प्रति विनम्र रहीँ। उन्होंने कहा कि हमारा भी यही मनोभाव होना चाहिए। उन्होंने प्रेरितों के बीच पवित्र आत्मा की याचना की और उसके लिए प्रतीक्षा भी की एवं आज वे हमारी ओर से इस वरदान की याचना करती हैं।  

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26 May 2022, 16:33