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यूआईएसजी के सम्मेलन में भाग ले रहे सुपीरियर जेनेरलों से मुलाकात करते संत पापा फ्रांँसिस यूआईएसजी के सम्मेलन में भाग ले रहे सुपीरियर जेनेरलों से मुलाकात करते संत पापा फ्रांँसिस 

यूआईएसजी से पोप ˸ अपनी और दूसरों की दुर्बलता को पहचानें

धर्मसमाजों की सुपीरियर जेनेरलों के विश्व संघ (यूआईएसजी) को सम्बोधित करते हुए संत पापा फ्राँसिस ने धर्मसमाजियों को संत पेत्रुस एवं मरिया मगदलेना पर चिंतन करने के लिए प्रेरित किया तथा उन्हें दूसरों की सेवा करने एवं खुद की सिनॉडल यात्रा में बढ़ने का प्रोत्साहन दिया।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 5 मई 2022 (रेई) ˸ संत पापा फ्राँसिस ने बृहस्पतिवार 5 मई को वाटिकन के पौल षष्ठम सभागार में यूआईएसजी (धर्मसमाजों की सुपीरियर जेनेरलों के विश्व संघ) के सम्मेलन में भाग ले रहे सभी सुपीरियर जेनेरलों से मुलाकात की।

सम्मेलन की विषयवस्तु की याद दिलाते हुए संत पापा ने उसके आधार पर उन्हें कुछ बिन्दु प्रदान किये जिनसे उन्हें आत्मपरख करने में मदद मिल सके।

यूआईएसजी के सम्मेलन की विषयवस्तु है, सिनॉडल यात्रा में दुर्बलता को अपनाना।"

संत पापा ने कहा कि दुर्बलता को अपनाने के विषय पर चिंतन करते हुए मन में सुसमाचार के दो दृश्य उभरते हैं। पहला, अंतिम व्यारी के समय येसु ने शिष्यों के पाँव धोये थे। इसपर चिंतन करते हुए हम पेत्रुस की दुर्बलता को पाते हैं। यद्यपि येसु ने उसे अपना समझते हुए उससे मिलने गये, पेत्रुस यह स्वीकार करने में कठिनाई महसूस किया कि उसके मन को बदलने की आवश्यकता है, उसके हृदय में परिवर्तन होना है और उसके पैर को धोया जाना है ताकि वह अपने भाई बहनों के साथ भी वैसा ही कर सके। पेत्रुस से मुलाकात करने के लिए ईश्वर का पुत्र खुद को छोटा बनाता है, एक सेवक बनता है। पेत्रुस के साथ-साथ कलीसिया प्रभु से सीखती है कि जीवन अर्पित करने के लिए उसे दूसरों की सेवा करनी है। उसे अपनी कमजोरियों को पहचानना और स्वीकारना है तथा दूसरे की कमजोरियों के सामने झुकना है।

दुर्बलता और सेवा

संत पापा ने कहा, "मैं आप सभी को निमंत्रण देता हूँ जिन्हें अपने धर्मसमाज को चलाने का विशेष मिशन प्राप्त है और जो अपने समुदायों में निर्णय लेती हैं, पैर धोने के दृश्य में प्रवेश करें, कलीसिया के इस रास्ते को पुनः अपनायें और अपनी जिम्मेदारी को सेवा के रूप में निभायें।"  

धर्मसमाजी जीवन भी आज अपनी कमजोरी को पहचानती है हालांकि कई बार यह इसे कठिनाई से स्वीकार करती है। हमें अपनी संख्या और अपने कार्यों के लिए महत्वपूर्ण होने; सामाजिक रूप से प्रासंगिक होने और ध्यान दिये जाने की आदत हो गई है। इस संकट ने हमें कमजोर होने का एहसास दिया हैं। ये सारी चीजें हमें उस मनोभाव की खोज करने का निमंत्रण दे रहे हैं जो मनोभाव ईश्वर के बेटे का अपने पिता एवं मानवता के प्रति था, अर्थात् "सेवक बनने का मनोभाव"। यह दासता नहीं है। अपने आपको झुकाने का अर्थ अपने घावों और विसंगतियों को त्याग देना नहीं है बल्कि सबंधों के लिए खुला होना है, एक-दूसरे से आदान –प्रदान करना है जो हमें योग्य बनाता एवं हमें चंगाई प्रदान करता है।

"पेत्रुस के समान और पेत्रुस के साथ हम भी अपनी दुर्बलताओं को पहचानने के लिए बुलाये गये हैं, अपने आप से पूछने के लिए कि हमारे सामने कौन-कौन सी नई दुर्बलताएँ हैं जिनके सामने हम समर्पित स्त्री और पुरूष आज झुकने के लिए बुलाये गये हैं।"  

उन्होंने उन्हें घायल मानवता के पैरों तक पहुँचने और अपने समुदाय की धर्मबहनों से शुरू करने की सलाह दी।

सुसमाचार के दूसरे दृश्य में मरिया मगदलेना मुख्य पात्र है। वह अच्छी तरह जानती है कि अस्त-व्यस्त एवं असहाय जीवन से येसु पर केंद्रित जीवन की ओर बढ़ने का अर्थ क्या है।  

सिनॉडल रास्ता

सिनॉडल रास्ते की ओर अपना ध्यान केंद्रित करते हुए, संत पापा ने विचार व्यक्त किया कि कलीसिया की सिनॉडल यात्रा में समर्पित जीवन से कलीसिया किस योगदान की अपेक्षा करती है।

उन्होंने कहा कि "यदि सिनॉड सुनने और आत्मपरख का एक महत्वपूर्ण क्षण है, तो आपका सबसे महत्वपूर्ण योगदान होगा कि आप चिंतन करने एवं आत्मपरख करने में भाग लें।"  

"इस पूरे सिनॉडल प्रक्रिया में आप एकता निर्माता बनें, येसु के जीवन एवं मिशन की याद करें।" उन्होंने खुद धर्मसमाज की सिनॉडल यात्रा के महत्व पर जोर दिया।

संत पापा ने कहा कि उन्हें धर्मबहनों पर भरोसा है कि इस धर्मसभा प्रक्रिया में एकता के निर्माण में, सुनने और आत्मपरख को बढ़ावा देने में वे ईश्वर की पवित्र प्रजा का साथ देंगे।  

उन्होंने आशा व्यक्त की कि सिनॉडल प्रक्रिया हमारी संस्थाओं में भी हो सकती है जहाँ युवा और बुजूर्ग समर्पित जीवन की अपनी प्रज्ञा और दर्शन को साझा करते हैं।

संत पापा ने धर्मसमाजों में बुलाहट की कमी के कारण चिंता पर गौर करते हुए कहा कि यह चिंता का विषय है किन्तु महत्वपूर्ण चीज है प्रभु को एक निष्ठापूर्ण एवं रचनात्मक प्रत्युत्तर दे पाना। हम जिस समय में जी रहे हैं उसे प्रभु के वरदान के रूप में स्वीकार करें।

अंत में, संत पापा ने सभी सुपीरियर जेनेरलों, उनके समुदायों, खासकर, सबसे कमजोर सदस्यों, साथ ही उनके मिशन से लाभ प्राप्त करनेवालों लोगों को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।

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05 May 2022, 17:00