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ख्रीस्तीय स्कूल के ब्रादरों की महासभा के प्रतिभागियों से मुलाकात करते हुए संत पापा फ्राँसिस ख्रीस्तीय स्कूल के ब्रादरों की महासभा के प्रतिभागियों से मुलाकात करते हुए संत पापा फ्राँसिस 

दी ला साले ब्रदरों से पोप ˸ दुनिया को एक नए शिक्षा समझौते की जरूरत है

संत पापा फ्राँसिस ने ख्रीस्तीय स्कूल के धर्मबंधुओं की 46वीं महासभा के प्रतिभागियों से वाटिकन में मुलाकात की एवं उन्हें शिक्षा के नये रास्तों के माध्यम से व्यक्ति को ख्रीस्त में बढ़ने हेतु मदद देने का प्रोत्साहन दिया।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, शनिवार, 21 मई 2022 (रेई) ˸ ख्रीस्तीय स्कूल के ब्रदरों की महासभा के प्रतिभागियों से मुलाकात करते हुए संत पापा ने नये सुपीरियर जेनेरल एवं उनकी समिति को शुभकामनाएँ दीं। महासभा की विषयवस्तु थी, "जीवन बदलने के लिए नये रास्तों का निर्माण"।

जीवन बदलने के लिए नये रास्तों का निर्माण

संत पापा ने कहा कि इस तरह महासभा को नए रास्तों के निर्माण स्थल के रूप में समझना अच्छा है, जो भाइयों से मुलाकात की ओर ले जाते हैं। किन्तु हम जानते है कि मार्ग, सच्चा नया रास्ता येसु ख्रीस्त हैं। उनका अनुसरण करने और उनके साथ चलने से हमारा जीवन बदल जाता है और हम खमीर, नमक एवं ज्योति बन जाते हैं।

शिक्षा एक वरदान है

संत पापा ने कहा कि संत जॉन बपटिस्ट दे ला साले के कारिज्म के अनुसार नये रास्ते हैं, शैक्षणिक रास्ते, जिसपर स्कूलों, कॉलेजों, विश्वविद्यालयों के माध्यम से चला जा सकता है। संत पापा ने याद किया कि धर्मसमाज करीब सौ देशों में शैक्षणिक कार्यों में संलग्न है। उन्होंने कहा कि यह एक बड़ी जिम्मेदारी है। यह एक बड़ा वरदान है, एक पेशा जो बहुत अधिक मांग करता है। कठिनाइयों एवं समस्याओं के बावजूद शिक्षकों, अभिभावकों एवं खासकर, बच्चों और युवाओं से लगातार संबंध बनाये रखना मानवता का एक जीवित स्रोत है।  

इस संबंध में, अपने साथ यात्रा में आगे लेते हुए वे उन्हें अपने समृद्ध शैक्षणिक परम्परा के मूल्यों को प्रदान करते हैं ˸ जिम्मेदारी, रचनात्मकता, सहअस्तित्व, न्याय, शांति के साथ शिक्षा देना; आंतरिक जीवन की शिक्षा देना; ईश्वर के प्रति खुला होना; जीवन एवं सृष्टि के रहस्य के सामने विस्मय एवं चिंतन की भावना रखना आदि।

व्यक्ति कलीसिया का रास्ता है

संत पापा ने संत जॉन पौल द्वितीय के आदर्शवाक्य, "व्यक्ति कलीसिया का रास्ता है" का समरण दिलाते हुए कहा कि आप इस आदर्शवाक्य को शैक्षणिक मिशन में लागू करते हैं। यह संत पौलुस के अनुसार खुद में "मसीह के स्वरूप" को पहचानना है। (गला. 4:19) संत पापा ने कहा कि सुसमाचार प्रचार में उनका एक विशेष योगदान है कि वे मानवता को ख्रीस्त के अनुसार बढ़ने में मदद देते हैं। यही कारण है कि उनका स्कूल "ख्रीस्तीय" है।  

 शिक्षा के क्षेत्र में चुनौतियाँ

संत पापा ने शिक्षा के क्षेत्र में चुनौतियों पर गौर करते हुए कहा कि दुनिया शैक्षणिक आपातकाल का अनुभव कर रही है जिसको महामारी ने अधिक गंभीर बना दिया है। हमारे समय की दो बड़ी चुनौतियाँ हैं ˸ भाईचारा की चुनौती एवं आमघर की देखभाल करने की चुनौती, जिसका उत्तर शिक्षा के बिना नहीं दिया जा सकता। ये दोनों ही शैक्षणिक चुनौतियाँ हैं। संत पापा ने खुशी जाहिर की कि ख्रीस्तीय समुदाय इसके प्रति जागरूक है एवं इसपर काम करने के लिए प्रतिबद्ध भी। कुछ समय से यह जीवन में बदलाव के नये रास्तों का निर्माण करने की कोशिश कर रही है।

शिक्षा के द्वारा सुसमाचार प्रचार

संत पापा ने धर्मबंधुओं से कहा कि वे इस निर्माण के अंग हैं, जिसमें बंद दुनिया से खुली दुनिया की ओर, फेंकने की संस्कृति से देखभाल की संस्कृति, व्यक्तिगत लाभ से आमहित की खोज की ओर बढ़ने की शिक्षा दी जाती है। शिक्षकों के रूप में आप जानते हैं कि परिवर्तन अंतःकरण से शुरू होता है, और इस कार्य को अकेला नहीं किया जा सकता बल्कि परिवारों, समुदायों और कलीसियाई समुदाय के सहयोग की जरूरत होती है।  

संत पापा ने उन्हें एक अच्छे कर्मी बनने का प्रोत्साहन दिया, साथ ही साथ, खुद को भी दरकिनार नहीं करने की सलाह दी क्योंकि वे विद्यार्थियों को वही दे सकते हैं जो उनके पास है। ख्रीस्त के स्कूल में ख्रीस्तीय शिक्षक सबसे बढ़कर एक साक्षी है।

संत पापा ने उनके कार्यों के लिए धन्यवाद देते हुए उन्हें शिक्षा के माध्यम से सुसमाचार प्रचार करने का प्रोत्साहन दिया।

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21 May 2022, 14:29