संत पापा ने 'आपस में और सृजन के साथ' बंधुता का आह्वान किया
माग्रेट सनीता मिंज-वाटिकन सिटी
वाटिकन सिटी, शनिवार 21मई 2022 (वाटिकन न्यूज) : संत पाप फ्राँसिस ने वाटिकन के संत क्लेमेंटीन सभागार में जैव विविधता के संरक्षण पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के प्रतिभागियों से मुलाकात की। "मन में प्रकृतिः जैव विविधता के संरक्षण के लिए प्रकृति की एक नई संस्कृति" विषय पर सम्मेलन, काराबिनियरी के नेतृत्व में आयोजित की गई है।
संत पापा फ्राँसिस ने कमांडर जनरल को उनके परिचय भाषण और इस पहल के लिए अपना आभार व्यक्त किया, जो हमारे आम घर को एक साथ बचाने के लिए सहयोग करने की इच्छा को प्रदर्शित करता है। संत पापा ने कहा कि उनकी प्रतिबद्धता ग्रह के भविष्य पर तत्काल और जिम्मेदार संवाद को मजबूत करने में योगदान देती है, "क्योंकि हम जिस पर्यावरणीय चुनौती का सामना कर रहे हैं, उसकी मानवीय जड़ें हमें चिंतित करती हैं और हम सभी को प्रभावित करती हैं।" (लौदातो सी, 137)।
ईश्वर, मनुष्य और सृष्टि
संत पापा ने संत बोनावेतुरा दा बानोरेजो को याद किया जो उन्हें प्रकृति की सुंदरता पर चिंतन के माध्यम से पारलौकिकता की खोज करने के लिए आमंत्रित करते हैं। यह मन और आत्मा के लिए एक प्रारंभिक यात्रा है। जब हम आकाश और तारों या क्रिस्टलीय जल धारा को विस्मय से देखते हैं, तो हम ऐसी सुंदरता को बनाने वाले पर अनायास ही विचार करने लगते हैं। यह मानव जाति को एक उपहार के रूप में दिया गया है और इसे विकसित करने और इसकी रक्षा करने के लिए हम सभी बुलाये गये हैं। पवित्र शास्त्रों में सुंदर और अच्छाई अविभाज्य है।
संत पापा ने कहा कि ईश्वर ने अपनी रचना को मनुष्यों के अधीन रखा है, साथ ही मनुष्य को अपने स्वार्थ पर विजय पाने और "साझा सौंदर्य" का आनंद लेने का पूर्ण ज्ञान भी दिया है। सृष्टिकर्ता, मानव प्राणी और अन्य प्राणियों के बीच यह गतिशील बंधन एक ऐसा गठबंधन है जिसे अपूर्णीय क्षति के बिना तोड़ा नहीं जा सकता है। हमें अपने आप को भ्रमित नहीं करना चाहिए "कि हम एक अपरिवर्तनीय और अमूल्य सुंदरता को हमारे द्वारा बनाई गई किसी अन्य के साथ बदल सकते हैं।" (लौदातो सी, 34)। प्रोमेथियस का मिथक, शायद अन्य युगों के लिए उपयुक्त था, पर अब हमारे लिए ऐसा नहीं है। हमें एक टाइटानिक वीरता की नहीं, बल्कि हमारे और सृष्टि के बीच कोमल और धैर्यवान भाईचारे की जरूरत है। वास्तव में, जीवन और इतिहास दिखाता है कि हम एक दूसरे से जुड़े रह कर ही अपने अस्थित्व को बचा पायेंगे। अतः शैक्षिक प्रक्रियाओं में बढ़ावा देने के लिए नए शैक्षणिक प्रतिमानों की पहचान करना आवश्यक है, उनका लक्ष्य ज्ञान के बीच संवाद और देखभाल की संस्कृति के विकास में योगदान देना है।
देखभाल की संस्कृति का निर्माण
संत पापा ने आगे कहा कि संवाद और देखभाल की संस्कृति, वास्तव में एक समावेशी शिक्षा से निकटता से जुड़ी हुई है जो अभिन्न पारिस्थितिकी के स्तंभों पर टिकी हुई है। प्राकृतिक दुनिया की समृद्धि और जटिलता का सामना करते हुए, प्रत्येक शैक्षिक परियोजना मनुष्य और पर्यावरण के बीच आपसी संबंधों की समझ का एक परिप्रेक्ष्य प्रदान करती है। वास्तव में सतत विकास को बढ़ावा देने के लिए, रचनात्मकता के साथ साझा यात्रा कार्यक्रमों को शुरु करना आवश्यक है। इस तरह हर कोई शैक्षिक समझौते में योगदान देने की आवश्यकता को महसूस करता है। यह लोगों को परिपक्व बनाता है, जो विखंडन और विरोधाभासों पर काबू पाने में सक्षम हैं। हमारे साझा घर की देखभाल और सुरक्षा के पक्ष में एक शैक्षिक प्रक्रिया द्वारा सहायता और समर्थन नहीं मिलने पर कोई भी उपाय अप्रभावी होगा।
देखभाल का एक वैश्विक गांव
संत पापा ने कहा, "हम सभी 'देखभाल के वैश्विक गांव' का निर्माण करने के लिए बुलाये गये हैं। मानव संबंधों का एक नेटवर्क बनाने के लिए जो सभी प्रकार के भेदभाव, हिंसा और पूर्वाग्रह को अस्वीकार करता है।" संत पापा ने कहा, "हमारे इस 'गांव' में, शिक्षा भाईचारे की वाहक और लोगों के बीच शांति के साथ-साथ धर्मों के बीच संवाद का वाहक बन जाती है।"
संत पापा फ्राँसिस ने सम्मेलन में भाग लेने वालों की "दैनिक प्रतिबद्धता" के लिए अपनी प्रशंसा व्यक्त की और "साहस के साथ" उस प्रतिबद्धता को जारी रखने का प्रोत्साहित देते हुए अपने संदेश को समाप्त किया।
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