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संत पापा फ्राँसिस संत पापा फ्राँसिस  

पोप ˸ सच्चा प्यार दबाता नहीं बल्कि स्वतंत्र करता है

संत पापा फ्राँसिस ने प्रभु के स्वर्गारोहन पर्व के अवसर पर स्वर्ग की रानी प्रार्थना का पाठ किया तथा येसु के मुक्त प्रेम पर चिंतन किया जो पिता के पास जाते हुए हमें अकेला नहीं छोड़ते।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, रविवार, 28 मई 2022 (रेई) – वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में रविवार 29 मई को येसु के स्वर्गारोहन पर्व के अवसर पर संत पापा फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ स्वर्ग की रानी प्रार्थना का पाठ किया जिसके पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा, प्रिय भाइयो एवं बहनो सुप्रभात।

आज इटली एवं कई अन्य देशों में प्रभु के स्वर्गारोहन का पर्व मनाया जाता है, अर्थात् येसु अपने पिता के पास लौटते हैं। धर्मविधिक पाठ में संत लूकस रचित सुसमाचार पाठ पुनर्जीवित प्रभु का, शिष्यों को अंतिम दर्शन के बारे बतलाता है। (लूक 24,46-53) पृथ्वी पर येसु के जीवन का अंत स्वर्गारोहण से होता है जिसको हम प्रेरितों के धर्मसार में भी व्यक्त करते हैं। "स्वर्ग चढ़े, सर्वशक्तिमान पिता ईश्वर की दाहिनी ओर बैठे हैं।"    

पवित्र आत्मा का वरदान

इस घटना का क्या अर्थ है? हमें इसे किस तरह समझना है? इस सवाल का उत्तर देने के लिए हम येसु के दो कार्यों पर चिंतन करें जिसको उन्होंने स्वर्ग चढ़ने के पहले किया ˸ वे पवित्र आत्मा के वरदान की घोषणा करते हैं और उसके बाद शिष्यों को आशीष प्रदान करते हैं।

येसु अपने मित्रों से पहली बात कहते हैं ˸ "देखो मेरे पिता ने जिस वरदान की प्रतिज्ञा की है उसे मैं तुम्हारे पास भेजूँगा।" (49) वे पवित्र आत्मा के बारे बोल रहे हैं, सांत्वना दाता, जो साथ देगा, रास्ता दिखायेगा, मिशन में सहयोग देगा, आध्यात्मिक संघर्ष में हमारी रक्षा करेगा। अतः हम एक महत्वपूर्ण बात को समझें ˸ येसु शिष्यों को नहीं छोड़ रहे हैं। वे स्वर्ग चढ़ रहे हैं किन्तु उन्हें अकेला नहीं छोड़ रहे हैं। बल्कि पिता के पास जा रहे हैं जिन्होंने अपनी आत्मा भेजने की प्रतिज्ञा की है। एक-दूसरे अवसर पर येसु ने कहा था, "फिर भी मैं तुम लोगों से सच कहता हूँ – तुम्हारा कल्याण इसमें है कि मैं चला जाऊँ, यदि मैं नहीं जाऊँगा तो सहायक तुम्हारे पास नहीं आयेगा। (यो.16,7) इसमें हमारे प्रति येसु का प्रेम झलकता है। उनकी उपस्थिति से वे हमारी स्वतंत्रता को सीमित करना नहीं चाहते हैं। इसके विपरीत, हमारे लिए स्थान बनाते हैं क्योंकि सच्चा प्रेम हमेशा एक नजदीकी उत्पन्न करता है जो कुचलता नहीं बल्कि नायक बनाता है। इसलिए ख्रीस्त आश्वासन देते हैं, मैं पिता के पास जाऊँगा और तुम ऊपर की शक्ति से सम्पन्न किये जाओगे। मैं तुम्हें अपनी आत्मा एवं उसकी शक्ति प्रदान करूँगा, तुम दुनिया में मेरा काम जारी रखोगे। अतः स्वर्ग चढ़कर येसु, अपने शरीर के साथ थोड़े लोगों के बीच रहने के बदले, पवित्र आत्मा के द्वारा सभी लोगों के निकट आ जाते हैं। पवित्र आत्मा येसु को हमारे लिए समय और जगह की सीमा के परे उपस्थित करते हैं, हमें दुनिया में उनके साक्षी बनाते हैं।

ईश्वर की आशीष   

उसके तुरन्त बाद ख्रीस्त अपना हाथ उठाते और प्रेरितों को आशीष देते हैं।(50) संत पापा ने कहा कि यह दूसरा भाव है जो एक पुरोहित का है। ईश्वर ने अरूण के समय से ही पुरोहितों को लोगों को आशीष प्रदान करने की जिम्मेदारी दी है। (गणना ग्रंथ 6˸ 36) सुसमाचार बतलाता है कि येसु हमारे जीवन के एक महान पुरोहित हैं। येसु स्वर्ग चढ़ते हैं ताकि हमारी ओर से पिता के पास हमारी मानवता को प्रस्तुत करने में मध्यस्थता कर सकें। अतः पिता की नजरों के सामने, येसु की मानवता के साथ, हमारा जीवन, हमारी आशा और हमारे घाव सदा उनके पास रहेंगे। इस प्रकार, स्वर्ग की ओर अपना "निर्गमन" पूरा करते हुए ख्रीस्त ने हमारे लिए एक स्थान तैयार किया और उसी समय से वे हमारे लिए मध्यस्थ का काम करते हैं, ताकि हम पिता के द्वारा हमेशा साथ और आशीष दिए जा सकेंगे।

दूसरों से प्रेम करना एवं उनके लिए प्रार्थना करना

संत पापा ने विश्वासियों को पवित्र आत्मा के वरदानों पर चिंतन करने का आह्वान किया जिसको हमने येसु से प्राप्त किया है ताकि सुसमाचार के साक्षी बन सकें। आइये हम अपने आप से पूछें, क्या हम दूसरों को प्यार कर सकते हैं, उन्हें स्वतंत्र छोड़कर और उनके लिए स्थान बना कर? क्या हम दूसरों के लिए मध्यस्थ बन सकते हैं, क्या हम दूसरों के लिए प्रार्थना करना और उनके जीवन को आशीर्वाद देना जानते हैं अथवा क्या दूसरों की सेवा अपने फायदे के लिए करते हैं? हम इस मध्यस्थ प्रार्थना को सीखें, दुनिया के दुःख तकलीफों के बीच आशा और शांति लाने के लिए। जिनसे हमारी मुलाकात हर दिन होती है उन्हें हम अपनी नजरों एवं शब्दों से आशीर्वाद प्रदान करें।

स्वर्ग की रानी प्रार्थना - 29 मई 2022

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29 May 2022, 14:05