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आमदर्शन समारोह में लोगों के साथ संत पापा फ्राँसिस आमदर्शन समारोह में लोगों के साथ संत पापा फ्राँसिस 

आमदर्शन ˸ बुजूर्गों की प्रतिभा और करिश्मा को मनाया जाना चाहिए

साप्ताहिक आमदर्शन समारोह में बुजूर्ग अवस्था पर अपनी धर्मशिक्षा माला जारी रखते हुए संत पापा फ्राँसिस ने बाईबिल की साहसी महिला यूदीत की सराहना की एवं सलाह दी कि वह हमारी आदर्श बन सकती है ताकि हम ईश्वर के वरदान का प्रयोग सही तरीके से कर सकें।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, बुधवार, 11 मई 2022 (रेई) ˸ संत पापा फ्राँसिस ने अपने बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रागंण में एकत्रित सभी विश्वासियों और तीर्थयात्रियों को संबोधित करते हुए कहा, प्रिय भाइयो एवं बहनो सुप्रभात।

आज हम यूदीत के बारे बात करेंगे, जो बाईबिल की एक नायिका हैं। ग्रंथ जिसमें उनका नाम है – हमने उसमें से एक पाठ सुना है – जो इस महिला के जीवन के अंतिम भाग का सार प्रस्तुत करता है जिसने इस्राएल को शत्रुओं से बचाया। यूदीत एक युवा और धर्मी यहूदी विधवा हैं जो अपने विश्वास, सुन्दरता एवं चतुराई से बेथुलिया शहर एवं होलोफरनिस की घेराबंदी से यूदा के लोगों को, अस्सूरियों के राजा नबूकदनेस्सर के सेनापति, ईश्वर के एक घमण्डी और तिरस्कारपूर्ण शत्रु से बचा लेती है।

एक महान साहसिक कार्य के बाद यूदीत अपने शहर बेथूलिया लौट आती है जहाँ वह बुढ़ापे की उम्र तक 105 साल तक जीती है। जैसा कि कुछ लोगों के लिए होता है जब वे गहन परिश्रम, साहसिक काम अथवा महान समर्पण को पूरा करते हैं। साहसिक कार्य केवल महान घटनाओं द्वारा प्रकट नहीं होता, बल्कि यह अक्सर एक मुश्किल परिवार में और एक खतरेवाले समुदाय की ओर से डाले गए प्यार के तप में पाया जाता है।

सेवानिवृत्ति परेशान कर सकती है, इसका अधिकतम लाभ कैसे उठाएं

सेवानिवृत्ति के बाद क्या करना चाहिए इसपर प्रकाश डालते हुए संत पापा ने कहा, "यूदीत ने सौ से अधिक साल जीया जो एक विशेष आशीर्वाद था। किन्तु आज भी सेवानिवृत्ति के बाद लम्बे समय तक जीना असामान्य बात नहीं है। हम इस अवधि की व्याख्या कैसे करते हैं, हम इस समय का अधिकतम लाभ कैसे उठाते हैं? जब मैं सेवानिवृत्त हो जाता और इसके बाद कई साल रह जाते हैं तब इन सालों में मैं क्या कर सकता हूँ? किस तरह बढ़ सकता हूँ – उम्र बढ़ता जाता है, लेकिन मैं अधिकार, पवित्रता एवं प्रज्ञा में कैसे बढ़ सकता हूँ? 

सेवानिवृत्ति की संभावना कई लोगों के लिए मांग और थकाऊ गतिविधियों से एक आवश्यक और वांछित आराम के रूप में है। पर कई बार ऐसा भी होता है कि नौकरी का अंत चिंता का विषय बन जाता और इसके कारण पहले ही घबराहट होने लगती है कि अब मैं क्या करूँगा जब मेरा जीवन पूरी तरह खाली हो जाएगा?

दैनिक कार्य का अर्थ यह भी है कि इसमें संबंध बने रहते हैं, जीविका अर्जित करने की संतुष्टि मिलती है, एक भूमिका होने का अनुभव होता, एक अच्छी पहचान होती है, एक पूरी नौकरी जिसमें समय से अधिक काम करना पड़ता है।

बुजूर्गों का परिवार पर प्रभाव

बुजूर्गों का परिवार में प्रभाव पर गौर करते हुए उन्होंने कहा कि निश्चय ही, पोते-पोतियों को देखने में परिश्रम, आनन्द और थकान होता है, किन्तु आज नाना- नानी का परिवार में एक बड़ी जिम्मेदारी है कि वे पोते-पोतियों को बढ़ने में मदद दें। "लेकिन हम यह भी जानते हैं कि आज बच्चे कम जन्म लेते हैं। और माता-पिता बहुधा दूर में रहते एवं प्रतिकूल काम और आवास की स्थिति के साथ, जगह बदलते रहते हैं।"

कई बार माता-पिता अपने बच्चों की शिक्षा के लिए दादा-दादी को स्थान देने में अनिच्छुक होते हैं और केवल उनकी आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं। शिक्षा और पारिवारिक रिश्ता के क्षेत्र में आज नई मांगें हैं जो पीढ़ियों के बीच के संबंध को पुनः आकार देने की मांग करते हैं।  

किन्तु हम अपने आप से पूछें, क्या हम पुनः आकार देने का प्रयास कर रहे हैं? अथवा क्या हम सामग्री और आर्थिक स्थितियों की जड़ता से परेशान हैं? पीढ़ियों की उपस्थिति वास्तव में बल प्रदान करनेवाली है। क्या हम आधुनिक समाज की नई परिस्थितियों को एक साथ अधिक मानवीय, अधिक स्नेहपूर्ण और न्यायसंगत बनाने की कोशिश करते हैं। दादा-दादी के लिए उनकी बुलाहट का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है अपने बेटे और बेटियों की मदद उनके बच्चों को बढ़ाने में करना चाहिए। उनसे बच्चे कोमलता की शक्ति एवं दुर्बलों के प्रति सम्मान सीखते हैं जो एक आवश्यक सीख है जिसको दादा - दादी आसानी से हस्तंतरित कर सकते हैं। दूसरी ओर दादा-दादी सीखते हैं कि कोमलता एवं दुर्बलता ही अंत की ओर बढ़ने का चिन्ह नहीं है क्योंकि यह युवाओं के लिए एक ऐसी स्थिति हैं जो उनके भविष्य को मानवीय बनाता है।

यूदीत जल्द ही विधवा हो गई थी और उनके बच्चे नहीं थे किन्तु एक बुजूर्ग महिला के रूप में वह पूर्णता और शांत स्थिति को जी पाती है यह जानते हुए कि ईश्वर की योजना को उसने पूर्णता से जीया है। यह उनके लिए प्रज्ञा, कोमलता और परिवार एवं समुदाय के उपहार को एक अच्छी विरासत के रूप में छोड़ देने का समय था ˸ एक अच्छी विरासत को और केवल संसाधनों को नहीं।

वृद्धावस्था के साथ अंतःदृष्टि

बुढ़ापे की स्थिति में ही यूदीत ने अपने पसंदीदा दासी को मुक्त किया। यह उनके लिए जो उनके नजदीक हैं ध्यान एवं मानवीय पहुँच का चिन्ह है। जब हम बूढ़े हो जाते हैं तब ठीक से देख नहीं पाते किन्तु हमारी आंतरिक दृष्टि अधिक तेज हो जाती है। हम उन चीजों को देख सकते हैं जिन्हें पहले नहीं देख पाते थे। यह सच है कि ईश्वर अपनी कृपा केवल युवाओं और मजबूत लोगों को प्रदान नहीं करते। वे सभी लोगों को अपनी कृपा देते हैं। हमारे समुदायों में बुजूर्गों की क्षमताओं एवं उनकी विशिष्टताओं को पहचाना जाना चाहिए जो सेवानिवृत्त हैं बल्कि एक समृद्ध खजाने हैं जिन्हें संभालकर रखा जाना चाहिए। इसके लिए खुद बुजूर्गों को एक रचनात्मक और नये आकर्षण के लिए उदार होना होगा। इससे सक्रिय जीवन के कौशल, उदारता के संसाधन बन जाते हैं: जैसे – शिक्षा देना, सलाह देना, निर्माण करना, देखभाल करना, सुनना आदि ... खासकर, वंचितों लोगों के लिए, जो सीखने का खर्च नहीं उठा सकते या जो अपने अकेले छोड़ दिए जाते हैं।

यूदीत अपनी सेविका को मुक्त करती और सबका ध्यान अपनी ओर खींचती है। एक युवती के रूप में वह अपने साहस द्वारा समुदाय का सम्मान जीत लेती है। एक बुजूर्ग के रूप में वह कोमलता प्राप्त करती है जिसके द्वारा वह स्वतंत्रता एवं स्नेह को समृद्ध करती है। यूदीत एक ऐसी सेवानिवृत्त व्यक्ति नहीं थी जिसने अपने खालीपन को उदासी के साथ जीया: वह एक उत्साही परिपक्व महिला थीं जिसने उस काल को ईश्वर से मिले उपहारों से भर दिया।

यूदीत के समान जीवन के हर मौसम में फल लाते रहें

संत पापा ने बुजूर्गों को सलाह देते हुए कहा, "मैं सलाह देता हूँ कि आज कल किसी दिन यूदीत के ग्रंथ को लेकर पढ़ें। यह छोटा है और इसे पढ़ सकते हैं ...इसमें अधिक नहीं सिर्फ 10 पृष्ट हैं। एक साहसी महिला की इस कहानी को पढ़ें जो कोमलता, उदारता एवं सम्मान की महिला थीं।" संत पापा ने सभी दादा-दादियों को उनके समान साहसी और बुद्धिमान बनने के लिए प्रोत्साहित किया कि वे आनेवाली पीढ़ी के लिए धन न छोड़ें बल्कि अपने पोते-पोतियों में बोयी गई प्रज्ञा की विरासत छोड़ सकें। इतना कहने के बाद संत पापा ने अपनी धर्मशिक्षा माला समाप्त की तथा सभी को आशीर्वाद देते हुए हे हमारे पिता प्रार्थना का पाठ किया।       

11 मई 2022 के आमदर्शन समारोह का वीडियो देखें

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11 May 2022, 15:30