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अफगानिस्तान में स्कूलों में बम हमले अफगानिस्तान में स्कूलों में बम हमले 

अफगानिस्तान के स्कूलों में बम हमले की यूएन द्वारा निंदा

यूएन के अधिकारियों ने काबुल के दो स्कूलों पर मंगलवार को हुए घातक विस्फोटों की कड़ी निंदा की है, यह कहते हुए कि अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून के तहत हमले पूरी तरह निषिद्ध हैं।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

संयुक्त राष्ट्र ने अफगानिस्तान की राजधानी काबुल के दो शैक्षणिक संस्थानों में मंगलवार को हुए बम हमले की निंदा की है जिसमें करीब 6 लोगों की मौत हो गई  और लगभग 20 लोग घायल हैं। हमले अब्दुल रहीम शाहिद बालक उच्च विद्यालय और मुमताज शैक्षणिक केंद्र में हुए।  

अफगानिस्तान के यूएन अधिकारियों के अनुसार अब्दुल रहीम शाहिद बालक उच्च विद्यालय में हमला उस समय हुआ जब विद्यार्थी सुबह के क्लास के बाद बाहर निकल रहे थे। जबकि मुमताज शिक्षा केंद्र में हमला उसके कुछ देरी बाद हुआ।

अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून के खिलाफ

संयुक्त राष्ट्र के महासचिव अंतोनियो गुटेर्रेस ने बम हमले की निंदा की है। यूएन के प्रवक्ता स्टेफन दूजारिक ने मंगलवार को न्यूयॉर्क के पत्रकारों से कहा, "अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून के तहत नागरिकों पर एवं नागरिकों के आधारभूत संरचनाओं जैसे स्कूल आदि पर हमले पूरी तरह निषिद्ध हैं।"

अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र सहायता मिशन ने ट्वीट के माध्यम से "जघन्य" हमलों की स्पष्ट निंदा की है। मिशन प्रमुख डेबोरा लियोन ने पीड़ितों के परिवारों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त की है और घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की है, अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र सहायता मिशन ने कहा, "स्कूल और बच्चों को निशाना बनाये जाने के अपराध के लिए जिम्मेदार लोगों पर कानूनी कारर्वाई की जानी चाहिए।"

शरणार्थियों के लिए यूएन के हाई कमीशनर फिलीपो ग्रांदी ने भी शोकित परिवारों के प्रति दुःख प्रकट किया है। ग्रांदी ने ट्वीट में लिखा है कि "“अफगानिस्तान की जातीय, धार्मिक और भाषाई विविधता बहुत अधिक खतरे में है। इसका सम्मान किया जाना चाहिए और इसे सुरक्षित रखा जाना चाहिए।"

सुरक्षा की चिंता

अगस्त में तालिबान द्वारा अमेरिका समर्थित अफगान सरकार को सत्ता से बेदखल करने के बाद से संघर्षग्रस्त देश में बम विस्फोटों की संख्या में काफी गिरावट आई है, लेकिन जिहादी इस्लामिक स्टेट (आईएस) समूह जो अभी भी अफगानिस्तान में काम कर रहा है, उसने कई हमलों का दावा किया है। मंगलवार के हमले की जिम्मेदारी किसी दल ने नहीं ली है।

काबुल के पुलिस प्रवक्ता खालिद जाद्रन ने एएफपी को बतलाया कि बम हमले विस्फोट तात्कालिक विस्फोटक उपकरणों के कारण हुए थे। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार विस्फोट उस समय हुआ जब विद्यार्थी सुबह के क्लास के बाद बाहर निकल रहे थे। सोशल मीडिया नेटवर्क पर पोस्ट की गई भयावह तस्वीरों में लड़कों के स्कूल के गेट और परिसर में कई शव पड़े दिखाई दे रहे हैं। तस्वीरों में परिसर में बिखरे खून के धब्बे, जली हुई किताबें और स्कूल बैग दिखाई दे रहे हैं। तथाकथित इस्लामिक स्टेट ने देश के तालिबान शासकों के सामने सबसे बड़ी सुरक्षा चुनौती पेश की है।

अधिकारों का गंभीर उलंघन

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) की प्रमुख कैथरीन रसेल ने भी काबुल के स्कूलों पर हुए हमलों की निंदा की और आशंका व्यक्त की कि मरनेवालों की संख्या बढ़ सकती है।

उन्होंने दलों से अपील की है कि बच्चे-बच्चियों की हर समय सुरक्षा की जानी चाहिए। उन्होंने एक बयान में कहा कि बच्चों एवं शिक्षण संस्थानों पर हमला अधिकारों का गंभीर उलंघन है। "स्कूल सीखने की जगह से बढ़कर है, उन्हें सुरक्षा एवं शांति का स्थान होना चाहिए।" देश में संयुक्त राष्ट्र के मानवीय समन्वयक रमिज़ अलकबरोव ने "भयानक" हमलों की कड़ी निंदा की। उन्होंने एक बयान में कहा, “स्कूलों में या उसके आसपास हिंसा कभी भी स्वीकार्य नहीं है। अफगानिस्तान के लोगों के लिए, जो पहले से ही चालीस साल के युद्ध से जूझ रहे हैं, स्कूल सुरक्षित ठिकाने होने चाहिए, और ऐसे स्थान होने चाहिए जहां बच्चे सीख सकें और फल-फूल सकें"।

सेव द चिल्ड्रन इन अफगानिस्तान ने भी एक बयान जारी कर हमले की "कड़ी निंदा" की और कहा कि "किसी भी स्कूल को जानबूझकर निशाना नहीं बनाया जाना चाहिए, और किसी भी बच्चे को स्कूल जाते समय या रास्ते में शारीरिक नुकसान का डर नहीं होना चाहिए।"

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21 April 2022, 15:33