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माल्टा के जेस्विट पुरोहितों से मुलाकात करते संत पापा फ्रांँसिस माल्टा के जेस्विट पुरोहितों से मुलाकात करते संत पापा फ्रांँसिस 

माल्टा के जेस्विटों से पोप ˸ कलीसिया की बुलाहट है सुसमाचार प्रचार

माल्टा की हाल में हुई प्रेरितिक यात्रा के दौरान संत पापा फ्राँसिस ने भूमध्यसागरीय द्वीप माल्टा में कार्यरत येसु समाजियों से मुलाकात की तथा उनके साथ, जलवायु परिवर्तन, कलीसिया की सिनॉडल यात्रा और आप्रवासियों की चुनौतियों आदि कई विषयों पर चर्चा की।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

अपनी 36वीं प्रेरितिक यात्रा में संत पापा फ्राँसिस ने 2 -3 अप्रेल को भूमध्यसागरीय द्वीप माल्टा का दौरा किया था। दो दिवसीय यात्रा की विषयवस्तु थी, "उन्होंने हमें असाधारण दयालुता दिखायी।" यात्रा ने भूमध्यसागर पार करनेवाले आप्रवासियों की दुर्दशा की ओर ध्यान खींचा तथा देश में सुसमाचार के प्रचार को प्रोत्साहन दिया।   

पोप की यात्रा के दौरान विभिन्न कार्यक्रमों में माल्टा के येसु समाजियों से मुलाकात भी शामिल थी जो 3 अप्रेल को प्रेरितिक राजदूतावास में जमा हुए थे। संत पापा ने उपस्थित 38 जेस्विटों के साथ बातचीत की एवं कलीसिया और दुनिया से संबंधित उनके सवालों का उत्तर दिया।

भविष्य की कलीसिया

संत पापा ने कलीसिया और सिनॉडल यात्रा पर एक सवाल का जवाब देते हुए कहा कि उनके पूर्वाधिकारी संत पापा बेनेडिक्ट 16वें इस कलीसिया के भविष्य के नबी थे। संत पापा ने एक ऐसी कलीसिया की ओर इंगित किया जो छोटी हो सकती है और कई विशेषाधिकारों को खो सकती है लेकिन अधिक विनीत, अधिक आध्यात्मिक एवं अधिक सच्ची हो सकती है।   

संत पापा ने बुलाहट की चुनौतियों पर गौर किया, खासकर, यूरोप में युवाओं की घटती संख्या के आलोक में, जिसके कारण बिना पर्याप्त आत्मपरख के बुलाहटों की खोज करने का खतरा हो सकता है। इसका सामना करने के लिए संत पापा ने कहा कि कलीसिया को बुजूर्ग यूरोप को देखने का आदी होना होगा और उसे विनम्रता, सेवा एवं प्रामाणिकता के गुणों को सुनिश्चित करते हुए, रचनात्मक रूप से किया जा सकता है।

सिनॉडल कलीसिया के संबंध में संत पापा ने सिनॉडालिटी के ईशशास्त्र पर चिंतन करने के महत्व पर प्रकाश डाला ताकि सिनॉडल कलीसिया की ओर आगे बढ़ा जा सके। उन्होंने गौर किया कि कलीसिया सिनॉड (एक साथ चलना) में बोलना और लिखना सीख रही है। उन्होंने जोर दिया कि कलीसिया की बुलाहट इसकी संख्या नहीं बल्कि कलीसिया का आनन्द है सुसमचार प्रचार।

तीसरी सदी के लिए आध्यात्मिक निर्देशक और पुरोहित

संत पापा ने सेमिनरी के छात्रों को प्रोत्साहन दिया कि वे "सामान्य व्यक्ति" के समान अपने जीवन का निर्णय करने में सक्षम बनें।  

उन्होंने सामान्य सुपीरियर बनने के महत्व पर भी जोर दिया जो ढोंगी नहीं होते, सरकार के साधन के समान पाखंडी नहीं होते हैं, जो बेचैन, समस्याओं और छिपे पापों को दूर करने के लिए मदद नहीं करते।

उन्होंने एक-दूसरे को भरोसे एवं स्पष्टता से साथ देने की आवश्यकता पर भी जोर दिया, इस बात पर गौर करते हुए कि सुपीरियर ऐसे काम करें कि उनपर तथा उनकी प्रतिष्ठा पर भरोसा किया जा सके। साथ ही सुपीरियर को कुछ "नटखट बच्चों" या नियम के विरूद्ध चलनेवाले बच्चों के लिए भी तैयार होना चाहिए तथा उन्हें धीरज पूर्वक सुधारने की कोशिश करना चाहिए।

आप्रवासी

अपनी भौगोलिक स्थिति के कारण माल्टा, भूमध्यसागर पार करनेवाले कई आप्रवासियों का मुख्य पड़ाव है। संत पापा से यूरोप में आप्रवासियों की चुनौतियों एवं उन देशों में यूक्रेन से भागनेवाले शरणार्थियों के स्वागत पर भी सवाल पूछे गये।

संत पापा ने यूरोप में आप्रवासियों की समस्याओं को स्वीकार किया, खासकर, इटली, साइप्रस, माल्टा, ग्रीस और स्पेन में।

उन्होंने आप्रवासियों द्वारा सामना की जा रही चुनौतियों के खतरे की ओर भी इशारा किया जो सागर पार करने के लिए खतरनाक यात्रा चुनते हैं। उन्होंने कहा कि इसके सामने यूरोप को मानव अधिकार की रक्षा हेतु प्रयास करना चाहिए ताकि फेंकने की संस्कृति को दूर किया जा सके एवं सक्षम अधिकारियों की मिलीभगत को वैधता देने से बचा जा सके।   

जलवायु परिवर्तन एवं सुसमाचार प्रचार

सुसमाचार प्रचार एवं जलवायु परिवर्तन के बीच संबंध पर सवाल के जवाब में संत पापा ने इस बात को रेखांकित किया कि जलवायु पर ध्यान नहीं देना ईश्वर की सृष्टि के वरदान के खिलाफ एक पाप है। संत पापा ने कहा कि सृष्टि की देखभाल न करना, इसे एक मूर्ति में बदलने जैसा है, उसे सृष्टि के उपहार से अलग करना है।

इस अर्थ में, आमघर की देखभाल भी सुसमाचार प्रचार है। संत पापा ने भावी पीढ़ी के खातिर इस संबंध में अनिवार्य कदम उठाने पर जोर दिया।

माल्टा में येसु समाजियों के साथ मुलाकात के पूरे लेख को "ला चिविल्ता कत्तोलिका" में प्रकाशित किया गया है।

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14 April 2022, 15:16