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इताली किशोरों से पोप ˸ अपने डर को बाटें और वे गायब हो जायेंगे

संत पापा फ्रांसिस ने इटली के हजारों किशोर तीर्थयात्रियों के साथ संत पेत्रुस महागिरजाघर में सोमवार को जागरण प्रार्थना की तथा उनसे आग्रह किया कि वे अपने हर प्रकार के भय को दूर करें एवं अपने पूरे हृदय से येसु को खोजें।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, मंगलवार, 19 अप्रैल 2022 (रेई)˸ पास्का सोमवार की शाम को संत पापा फ्रांसिस ने इटली के करीब 80,000 किशोर तीर्थयात्रियों के साथ जागरण प्रार्थना की जो "मेरा अनुसरण करो" बैनर तले एकत्रित हुए थे।

कोरोना महामारी के कारण दो साल बाद पहली बार संत पेत्रुस महागिरजागर में ख्रीस्तयाग के अलावा इस तरह के बड़े कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। युवाओं के लिए जागरण प्रार्थना का आयोजन इताली काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन ने किया था जहाँ कई किशोरों ने अपने विश्वास एवं परेशानियों को साझा किया तथा संत पापा से मुलाकात करते हुए उनका आशीर्वाद लिया।

80,000 किशोरों के बीच में से एक एलिस ने अपने दुःख के बारे बतलाया जिसको उसने अपनी दादी की मृत्यु में अनुभव किया था तथा वह समझी कि किस तरह खुद के दुःख को किस तरह दूसरों के लिए उपहार में बदलना है।

सोफिया नाम की दूसरी लड़की ने कोविड-19 के लॉकडाऊन के दौरान अपने अकेलेपन को साझा किया तथा बतलाया कि इस दौरान उसकी दोस्त ने उसे किस तरह जीवन को आशा एवं आनन्द के दूसरे नजरिये से देखना सिखाया।

संत पापा फ्राँसिस ने इटली के विभिन्न हिस्सों से तीर्थयात्रा पर रोम आये किशोर- किशोरियों का वाटिकन के संत पेत्रुस महागिरजाघर में स्वागत किया।

युवा युद्ध की कीमत चुकाते हैं

संत पापा फ्रांसिस ने उन्हें सम्बोधित कर कहा, "यह प्रांगण आप से, आपके चेहरे एवं उत्साह से भर जाने के लिए लम्बे समय से इंतजार कर रहा था। दो साल पहले 27 मार्च को, मैं प्रभु से महामारी से प्रभावित दुनिया के लिए प्रार्थना करने हेतु यहाँ अकेला आया था। उस शाम शायद आप भी अपने घरों में अपने परिवारों के साथ टेलीविजन के सामने प्रार्थना किये होंगे। आज ईश्वर को धन्यवाद कि आप यहाँ हैं, पूरी इटली से पास्का के आनन्द में एक साथ यहाँ उपस्थित हुए हैं।"

संत पापा ने कहा, "कल हमने जी उठे येसु के प्रकाश का स्वागत किया, जिन्होंने मौत के अंधकार पर विजय पायी है। दुर्भाग्य से, बादल जो हमारे समय को अंधकारमय बना रहा है वह अब भी गहरा है। महामारी के साथ-साथ, यूरोप को युद्ध के भयंकर अनुभव से गुजरना पड़ रहा है जबकि पृथ्वी के विभिन्न भागों में अन्याय और हिंसा जारी है जो मानवजाति एवं ग्रह को नष्ट कर रहा है। अक्सर इसके लिए आप जैसे लोगों को ऊँची कीमत चुकानी पड़ रही है। न केवल उनके अस्तित्व को छेड़छाड़ एवं असुरक्षित करने के द्वारा बल्कि उनके भविष्य का सपना भी कुचल दिया जा रहा है। अनेक भाई बहने अब भी पास्का के प्रकाश की प्रतीक्षा में हैं।

निराशा में प्रभु हमारी बीच होते हैं

सुसमाचार की कहानी गहरी अंधेरी रात में शुरू होती है। पेत्रुस और दूसरे शिष्य नाव लेकर मछली मारने जाते हैं। अंधकार मछली मारने के लिए उपयुक्त समय होना चाहिए लेकिन उस रात वे कुछ नहीं पकड़ते हैं। कितनी अधिक निराशा होती है, जब हम अपने सपनों को साकार करने के लिए बहुत अधिक मेहनत करते हैं किन्तु खुद को खाली जाल के साथ पाते हैं।

किन्तु आश्चर्यजनक घटना घटती है ˸ जब सुबह होता है, तट पर एक व्यक्ति दिखाई पड़ता है और उन्हें बुलाता है। शिष्य उन्हें नहीं पहचानते हैं, उस समय पूरी तरह उजाला नहीं हुआ था और शायद उनकी आँखें निराशा के कारण धुंधली थीं। पुनर्जीवित प्रभु तट पर उपस्थित थे लेकिन वे इसपर गौर नहीं कर सके थे, वे अकेले और हारे हुए महसूस कर रहे थे। वे उन्हें जानते थे, उनसे कहीँ अधिक उन्हें जानते थे। उनकी निराशा को समझते हैं किन्तु आगे जाने के लिए चुनौती देते हैं कि वे पुनः जाल डालें। वे उनकी बात मानते हैं और इसी के साथ सब कुछ बदल जाता है। जाल फुलना शुरू करता है वह मछलियों से भर जाता है इतना अधिक कि वे उसे बाहर खींच नहीं सकते हैं। जब सब व्यस्त थे और अपनी आँखों पर उन्हें विश्वास नहीं हो रहा था, तब योहन जो अपने को येसु का प्रिय शिष्य करता है, उस व्यक्ति को गौर से देखता है एवं पहचान लेता है कि वे येसु है तथा जोर से कहता है, "वे तो प्रभु ही हैं।"

अपने भय को बाटें

कई ऐसे क्षण होते हैं जब जीवन हमें परीक्षा में डालता है हमें अपनी दुर्बलता का एहसास कराता है और हम नंगे, असहाय एवं अकेलापन महसूस करते हैं। इन दिनों कितनी बार आपने अकेलापन महसूस किया, अपने मित्रों से दूर होने का अनुभव किया? कितनी बार आपको डर लगा? मैं भयभीत हूँ, कहने से नहीं डरें। अंधकार सभी को प्रभावित करता है, जब हम छोटे थे बत्ती में अथवा माता-पिता के साथ सोना चाहते थे।

अंधकार हमें संकट में डालता है, खासकर, जब हम जाल खींचते हैं और वह खाली होता है। तब हम नहीं समझते और अपने आपसे पूछते हैं, क्यों...किन्तु रात के बाद हमेशा दिन आता है। और जब हम उम्मीद नहीं किये होते हैं तभी जीवन हमें विस्मित करता है। तब हमारा अनुभव एक मुफ्त उपहार प्राप्त करता है, एक अप्रत्याशित विजय, एक आलोकित मुलाकात, दिल की खुशी का अनुभव...जब आप अपनी उम्मीद से अधिक साथियों को पाते हैं, जब अपने दिनों को पार होते हुए पाते हैं तो इसे रोकने की कोशिश ने करें। जमीन पर देखें, इसे आकाश की ओर उठायें तब आप पुनर्जीवित प्रभु को जीवित और उपस्थित पायेंगे।

प्यारे युवक-युवतियो, आपको वयस्कों के समान अनुभव नहीं है लेकिन आपको प्रिय शिष्य के समान ज्ञान है। आप में उन लोगों की चेतना है जो नहीं त्यागते एवं खुद को मुलाकात के आश्चर्य के लिए खोलते हैं। जीवन के हर उपहार के पीछे आप उन्हें पहचान सकते हैं जो सब कुछ देते हैं। येसु के चेहरे को देखें और हम वयस्कों की भी मदद करें, जिसने अपनी सुंदरता की खोज में अक्सर समस्याओं की ओर रुख किया है।

जैसे ही योहन कहता है कि यह तो प्रभु ही हैं, पेत्रुस कपड़ा पहनता और समुद्र में कूद पड़ता है। इसका प्रभाव तुरन्त सबसे बुजूर्ग प्रेरित पर पड़ता है जिसने सुसमाचार में कई बुरे छाप दिये। उस डुबकी में उसका पूरा उदार प्रेम है। जब येसु दुखभोग रहे थे तब उसने अपने आपको बचाने की कोशिश की थी, अपने स्वामी को अकेला छोड़ दिया था। अब वह उस डुबकी में अपने बारे नहीं सोचता बल्कि सिर्फ प्रभु को सोचता है और उनका आलिंगन करना चाहता है।  

आशा कभी न खोयें

संत पापा ने पुनरूत्थान के बाद गलीलिया झील के तट पर येसु का अपने शिष्यों को दर्शन पर चिंतन किया। (यो. 21,1-19)

उन्होंने कहा कि पुण्य शुक्रवार को येसु की मृत्यु के बाद शिष्य हताश-निराश हो गये थे तथा अपने सपनों को बिखरते हुए महसूस कर रहे थे।  

फिर भी, जब सुबह हुआ और वे अपने नाव पर बैठे तब शिष्यों ने एक व्यक्ति को तट पर चलते देखा। योहन - "शिष्य जिसको ईसा प्यार करते थे" उसने पुनर्जीवित प्रभु को पहचान लिया।

संत पापा ने युवाओं से अपील की कि वे आशा कभी न खोयें, उस समय भी जब उनके सपने बिखर जायें और लगे कि अब सब कुछ खो चुका है।

"कुछ समय ऐसे आते हैं जब जीवन हमारी परीक्षा लेता है तथा हमारी दुर्बलता के भार का अनुभव दिलाता है तब भी हमें यह कहने से नहीं डरना चाहिए ˸ मैं अंधकार से भयभीत नहीं हूँ।"

संत पापा ने कहा, "कभी-कभी सब कोई डरते हैं ऐसे समय में हमें अपने भय को उन लोगों के साथ बांटना चाहिए जिनपर हम भरोसा रखते हैं।"

"जब हमारा डर – जो अंधकार में होता है – प्रकाश में आता, सच्चाई बाहर निकलती तब भी हम हताश न हों। यदि आप भयभीत हैं तो इसे प्रकाश में लायें और यह आपके लिए अच्छा होगा।"

संत पापा ने सभी किशोरों को याद दिलाया कि वे प्रभु और सच्चाई को खोज सकते हैं। "क्या आप डरे हुए हैं? अपने डर को बाहर निकालें; किसी को बतलायें। क्या आप निराश हैं? इसे साहस के साथ पार करें, किसी ऐसे व्यक्ति के साथ जो हाथ पकड़कर आपका साथ दे।"

संत पापा ने अंत में कहा कि कठिनाई के समय में हम माता मरियम की ओर मुड़ें। वे आपको विश्वास का प्रत्युत्तर देने में मदद दें, "प्रभु मैं प्रस्तुत हूँ।"

संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में युवा

 

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19 April 2022, 14:09