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विमान में संत पापा फ्राँसिस पत्रकारों के साथ साक्षात्कार में विमान में संत पापा फ्राँसिस पत्रकारों के साथ साक्षात्कार में 

'हम कभी नहीं सीखते, हम युद्ध और काइन की भावना के प्रति आसक्त हैं', संत पापा

संत पापा फ्राँसिस ने अपनी 36वीं प्रेरितिक यात्रा के समापन पर माल्टा से रोम की छोटी उड़ान के दौरान अपने स्वास्थ्य, यूक्रेन में युद्ध और कीव की यात्रा की संभावना के बारे में सवालों के जवाब दिए।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

विमान, सोमवार 4 अप्रैल 2022 (वाटिकन न्यूज) : माल्टा से रोम वापसी के दौरान विमान में पत्रकारों से बात करते हुए,संत  पापा फ्रांसिस ने द्वीप वासियों द्वारा किये गये स्वागत और यूक्रेन में युद्ध के बारे में बातें की (यहां नीचे संत पापा की विमान में प्रेस कॉन्फ्रेंस का अनौपचारिक अनुवाद है)

प्रश्न: माल्टा में आपकी उपस्थिति के लिए धन्यवाद। मेरा प्रश्न प्रार्थनालय में आज सुबह के आश्चर्य के बारे में है जहां [संत जॉर्ज प्रेका] की कब्र है... माल्टावासियों को आश्चर्य कराने के लिए आपको किस बात ने प्रेरित किया और माल्टा की इस यात्रा के बारे में आप क्या याद रखेंगे?  और आपका स्वास्थ्य कैसा है? इस बहुत ही व्यस्त यात्रा के दौरान हमने आपको देखा है। हम कह सकते हैं कि यह अच्छा चला। आपका बहुत बहुत धन्यवाद। (टीवीएम के एंड्रिया रॉसिटो)

मेरा स्वास्थ्य थोड़ा अस्थिर है, मेरे घुटने में समस्या है जिसके कारण चलने-फिरने में तकलीफ होती है। यह थोड़ा कष्टप्रद है, लेकिन सुधार हो रहा है और अब कम से कम मैं बाहर निकल सकता हूँ। दो हफ्ते पहले, मैं कुछ नहीं कर सकता था। यह धीमी प्रक्रिया है, हम देखेंगे कि कितना ठीक हो पाता है, लेकिन इसमें संदेह है कि इस उम्र में आप नहीं जानते कि खेल कैसे समाप्त होगा। आइए, आशा करते हैं कि यह ठीक हो जाए।

और फिर माल्टा के बारे में: मैं इस यात्रा से खुश था: मैंने माल्टा की वास्तविकताओं को देखा; मैंने गोजो और माल्टा, वलेट्टा और अन्य जगहों पर लोगों का प्रभावशाली उत्साह देखा। सड़कों पर भी बड़ा उत्साह देखकर मैं हैरान था। पर यह यात्रा थोड़ा छोटा था।

मैंने जो समस्या देखी, उनमें से एक समस्या प्रवासन है। प्रवासियों की समस्या गंभीर है क्योंकि अफ्रीका और मध्य पूर्व के सबसे करीबी देश ग्रीस, साइप्रस, माल्टा, इटली, स्पेन हैं और प्रवासी यहां पहुंचते हैं, वे यहां उतरते हैं... प्रवासियों का हमेशा स्वागत किया जाना चाहिए! समस्या यह है कि प्रत्येक सरकार को यह बताना होता है कि वे वहां रहने के लिए सामान्य रूप से कितने प्रवासियों को स्वीकार कर सकते हैं। इसके लिए यूरोप के देशों के साथ एक समझौते की आवश्यकता है और उनमें से सभी देश प्रवासियों को प्राप्त करने के इच्छुक नहीं हैं। हम भूल जाते हैं कि यूरोप प्रवासियों द्वारा बनाया गया था, है ना? लेकिन कम से कम इन पड़ोसी देशों पर सारा बोझ ना छोड़ें जो इतने उदार हैं, और माल्टा उनमें से एक है।

आज मैं प्रवासी स्वागत केंद्र में था और वहां जो बातें मैंने सुनीं, वे भयानक हैं, इन लोगों के यहां पहुंचने की पीड़ा... और फिर शिविर, वहां शिविर हैं, जो लीबिया के तट पर हैं, जब उन्हें वापस भेजा जाता है। यह आपराधिक लगता है, है ना? इसलिए मुझे लगता है कि यह एक ऐसी समस्या है जो हर किसी के दिल को छू जाती है। जिस तरह यूरोप दरवाजे पर दस्तक देने वाले यूक्रेनियन के लिए इतनी उदारता से जगह बना रहा है, उसी तरह भूमध्यसागर से आने वाले अन्य लोगों के लिए भी जगह देना चाहिए।

यह एक ऐसा मुद्दा है जिसके साथ मैंने यात्रा समाप्त की और इसने मेरे दिल को छुआ, क्योंकि मैंने  उनकी गवाही, पीड़ा सुनी और कमोबेश उन लोगों की तरह हैं जो मुझे लगता है स्पानी भाषा में प्रकाशित हुई उस छोटी सी किताब, " हरमनिटो", "छोटा भाई" में है, जो इन सभी लोगों का विया क्रूचिस [क्रॉस का मार्ग] है। आज अपनी गवाही देने वालों में से एक को यात्रा के लिए चार बार भुगतान करना पड़ा! आप भी जरा इस बारे में सोचिए।

प्रश्न: उस फ्लाइट में जो हमें माल्टा ले गई, आपने मेरे एक साथी से कहा कि कीव की यात्रा "टेबल पर है"। माल्टा में रहते हुए आपने यूक्रेनी लोगों के साथ अपनी निकटता का उल्लेख किया और शुक्रवार को रोम में, पोलिश राष्ट्रपति ने पोलिश सीमा की संभावित यात्रा के लिए द्वार खोल दिया। आज हम रूसी सेना द्वारा छोड़े गए कीव के पास एक गांव बुका से आ रही छवियों से प्रभावित हुए, जहां यूक्रेनियन ने सड़कों पर दर्जनों शव पाए, कुछ के हाथ बंधे हुए थे, जैसे कि उन्हें "निष्पादित" किया गया था। ऐसा लगता है, आज, वहाँ आपकी उपस्थिति अति आवश्यक है। क्या आपको लगता है कि ऐसी यात्रा संभव है? और वहां जाने के योग्य होने के लिए आपके लिए क्या शर्तें होनी चाहिए? (आरएनए के जॉर्ज अंतेलो बार्सिया)

आज की यह खबर देने के लिए धन्यवाद कि मुझे अभी तक इसकी जानकारी नहीं थी। युद्ध हमेशा क्रूरता का कार्य होता है, एक अमानवीय चीज, जो मानव आत्मा के खिलाफ जाती है, मैं ख्रीस्तीय नहीं कहता, मैं मानवीय कहता हूँ। यह कैन की आत्मा है, "कैनिस्ट" की भावना ... मुझे जो कुछ भी करने की जरूरत है, वह करने को तैयार हूँ और परमधर्मपीठ, विशेष रूप से राजनयिक पक्ष, कार्डिनल पारोलिन और महाधर्माध्यक्ष गलाघेर, सब कुछ कर रहे हैं ... लेकिन वे जो कुछ भी करते हैं, हम उसे सार्वजनिक नहीं कर सकते, लेकिन हम अपने काम की को आगे बढ़ा रहे हैं। संभावनाओं के बीच यात्रा है; दो संभावित यात्राएं हैं: पोलैंड के राष्ट्रपति ने एक यात्रा का प्रस्ताव दिया जब उन्होंने मुझे कार्डिनल क्रेजेवस्की को यूक्रेन की यात्रा करने हेतु भेजने के लिए कहा, जिनका पोलैंड में स्वागत किया गया।  वे पहले ही दो बार वहाँ जा चुके हैं -उनहोंने दो एम्बुलेंस पहुँचाया और वे कुछ समय के लिए उनके साथ थे, और वे फिर से वहाँ जाने को तैयार है। दूसरा विकल्प, जिस यात्रा के बारे में आप में से कुछ ने पूछा है, मैंने ईमानदारी से उत्तर दिया कि मैं जाने की योजना बना रहा था,  मेरी उपलब्धता स्थिर है। कोई "नहीं" नहीं है: मैं उपलब्ध हूँ। यह सवाल था: "हमने सुना है कि आप यूक्रेन की यात्रा के बारे में सोच रहे थे", मैंने कहा कि यह मेज पर है। मुझे नहीं पता कि यह हो सकता है या नहीं। यदि यह सर्वोत्तम के लिए होगा या यदि इसे करने के लिए उपयुक्त है, क्या मुझे जाना चाहिए ... यह सब हवा में है। कुछ समय से प्राधिधर्माध्यक्ष किरिल के साथ एक बैठक के बारे में विचार किया गया है, इस पर काम किया जा रहा है, इस तरह की बैठक के लिए मध्य पूर्व के स्थान के रूप में संभावना है। फिलहाल इस तरह मुद्दों पर विचार किया जा रहा है।

प्रश्न: इस यात्रा के दौरान आपने कई बार युद्ध के बारे में बात की है। हर कोई यह सवाल पूछ रहा है कि क्या आपने युद्ध की शुरुआत से ही राष्ट्रपति पुतिन से बात की है और अगर नहीं तो आज आप उनसे क्या कहेंगे? (अमेरिका पत्रिका के गेरी ओ'कोनेल)

जो बातें मैंने सभी पक्षों के अधिकारियों से कही हैं, वे सार्वजनिक हैं। मैंने जो भी बातें कही हैं उनमें से कोई भी गोपनीय नहीं है। जब मैंने प्राधिधर्माध्यक्ष से बात की, तो उन्होंने एक अच्छा बयान जारी किया जो हमने एक दूसरे से कहा था। मैंने पिछले साल के अंत में रूस के राष्ट्रपति से बात की थी जब उन्होंने मुझे जन्मदिन की बधाई देने के लिए फोन किया था। मैंने यूक्रेन के राष्ट्रपति से दो बार बात की है। फिर, युद्ध के पहले दिन, मुझे लगा कि मुझे राजदूत से बात करने के लिए रूसी दूतावास जाना है और  मैंने उनसे प्रश्न पूछा और स्थिति के बारे में अपना प्रस्ताव प्रस्तुत किया। ये मेरे आधिकारिक संपर्क हैं। रूस के साथ मैंने इसे दूतावास के माध्यम से किया। इसके अलावा, मैंने कीव के प्रधान महाधर्माध्यक्ष शेवचुक से बातें की है। मैंने भी नियमित रूप से - हर दो या तीन दिन पर एलिसबेत पिके के साथ बात की है जो लवीव में रहती थी और अब ओडेसा में है। वह मुझे बताती है कि चीजें कैसी हैं। मैंने सेमिनरी के रेक्टर से भी बात की है। लेकिन जैसा कि मैंने कहा, मैं भी आप में से एक के संपर्क में था जिनकी मृत्यु हो गई। मैं आपको अपने उन सहयोगियों के लिए संवेदना देना चाहता हूं जो मारे गये हैं। वे किसी भी पक्ष में हों, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। हालाँकि, आपका काम सामान्य भलाई के लिए है, और वे लोगों की भलाई के लिए सूचना की सेवा देते हुए  मारे गये। आप उन्हें ना भूलें। वे बहादुर थे और मैं उनके लिए प्रार्थना करता हूँ कि ईश्वर उन्हें उनके काम का इनाम देगा। ये मेरे अब तक के संपर्क रहे हैं।

प्रश्न: लेकिन अगर आपको (उनसे बात करने का) मौका मिले तो पुतिन के लिए आपका क्या संदेश होगा?

मैंने सभी अधिकारियों को जो संदेश दिए हैं, वे वही हैं जो मैंने सार्वजनिक रूप से किए हैं। मैं डबल-स्पीच नहीं करता। मैं हमेशा वही बोलता हूँ। मुझे लगता है कि आपके प्रश्न में न्यायसंगत और अन्यायपूर्ण युद्धों के बारे में भी संदेह है। हर युद्ध हमेशा अन्याय से उपजा है, क्योंकि यही युद्ध का स्वरुप है। यह शांति के लिए एक स्वरुप नहीं है। उदाहरण के लिए, हथियार खरीदने के लिए निवेश करना। कुछ लोग कहते हैं: 'लेकिन हमें अपनी रक्षा के लिए उनकी ज़रूरत है।' यह युद्ध का स्वरुप है। जब द्वितीय विश्व युद्ध समाप्त हुआ तो सभी ने "कभी युद्ध नहीं" और शांति की सांस ली। हिरोशिमा और नागासाकी के बाद उस समय शांति की ओर से हथियार, परमाणु हथियार न रखने की सद्भावना के साथ शांति के लिए काम की एक लहर शुरू हुई। एक महान सद्भावना मौजूद थी।

सत्तर साल बाद हम वह सब भूल गए हैं। इस तरह युद्ध का स्वरुप खुद को लागू करता है। तब संयुक्त राष्ट्र के काम में इतनी उम्मीद थी। लेकिन युद्ध के स्वरुप ने खुद को फिर से लागू कर दिया है। हम दूसरे स्वरुप की छवि नहीं बना सकते। हम अब शांति के स्वरुप के बारे में सोचने के अभ्यस्त नहीं हैं। गाँधी जी जैसे और अन्य महान लोग हुए हैं जिनका उल्लेख मैं विश्वपत्र ‘फ्रतेल्ली तुत्ती’ में किया है, जिन्होंने शांति के स्वरुप पर दांव लगाया है। लेकिन मानवता के रूप में हम जिद्दी हैं। हमें युद्धों से, काइन की भावना से प्रेम है। यह संयोग से नहीं है कि बाइबिल की शुरुआत में यह समस्या प्रस्तुत की गई है: शांति की भावना के बजाय हत्या की "कानिस्ट" भावना।

मैं आपको कुछ व्यक्तिगत अनुभव बताऊंगा: 2014 में, जब मैं रेडिपुग्लिया में था वहाँ मैंने मृतकों के नाम देखे और मैं रोया था। मैं सचमुच कड़वाहट से रोया था। फिर, एक या दो साल बाद, मैं मृतकों के दिन के लिए एंजियो में मस्सा समारोह मनाने गया और वहां मरने वाले लोगों के नाम देखे। वे सब जवान लोग थे, और मैं वहां भी रोया। हमें कब्रों पर रोना चाहिए। कुछ ऐसा है जिसका मैं सम्मान करता हूँ क्योंकि एक राजनीतिक समस्या है। जब नॉर्मंडी लैंडिंग का स्मरणोत्सव हुआ, तो कई सरकार के प्रमुख इसे मनाने के लिए एक साथ आए। हालाँकि, मुझे याद नहीं है कि कोई 30,000 युवा लड़कों के बारे में बात कर रहा था जो समुद्र तटों पर छोड़ दिए गए थे। यौवन कोई मायने नहीं रखता। इससे मुझे आश्चर्य होता है। मुझे दुख है। हम कभी नहीं सीखते। प्रभु हम सब पर, हम सब पर कृपा करें। हम में से हर एक दोषी है!

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04 April 2022, 16:24