क्रिज्म मिस्सा में पोप ˸ पुरोहित अपनी नजरें येसु पर केंद्रित रखें
उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी
संत पापा ने पुण्य बृहस्पतिवार को क्रिज्म मिस्सा के दौरान कहा कि पुरोहित होना एक महान कृपा है तथा याद दिलाया कि यह कृपा खुद पुरोहितों के लिए होने से पहले ख्रीस्तीय विश्वासियों की भलाई के लिए है।
संत पापा ने कहा, "हमारे लोग (विश्वासी) पुरोहितों के द्वारा साफ अंतःकरण से सेवा पाने के योग्य हैं और उन्हें इसकी आवश्यकता है।" उन्होंने पुरोहितों का आह्वान किया कि वे ईश्वर के प्रति निष्ठावान रहें, उन्हें प्यार करने दें और उनके द्वारा क्षमा किये जाएँ।
येसु पर अपनी नजर रखें
क्रिज्म मिस्सा के दौरान अपने उपदेश में संत पापा ने संत लूकस रचित सुसमाचार से लिए गये पाठ के उस पद पर चिंतन किया, जहाँ कहा गया है, "सभी लोगों की नजरें उनपर टिकी हुई थीं।"
उन्होंने कहा, "जब येसु अंत में पुनः आयेंगे तो सबकी निगाहें क्रूसित एवं पुनर्जीवित प्रभु पर टिकी होंगी, हम उन्हें पहचानेंगे और उनकी पूजा करेंगे। हम उन्हें पहचानेंगे और खुद को भी सच्चे रूप में पहचानेंगे।"
संत पापा ने कहा कि आज भी पुरोहितों को अपनी नजर ख्रीस्त पर केंद्रित रखना है, ईश्वर को उनकी कृपाओं के लिए धन्यवाद देना है किन्तु उन्हें उन प्रलोभनों को भी दिखाना है जिनका सामना हमें करना पड़ता है ताकि हम उनपर जीत पा सकें।
छिपी देवमूर्तियों को पहचानना
संत पापा ने पुरोहितों को तीन "छिपी देवमूर्तियों" से सावधान रहने की चेतावनी दी जो पुरोहितीय बुलाहट को कमजोर बनाते तथा बुराई के लिए हृदय को खोल देते हैं।
पहला, आध्यात्मिक दुनियादारी, पार होने की संस्कृति है और "क्रूस के बिना" विजयीवाद में प्रकट होता है। एक दुनियावी सोच रखनेवाला पुरोहित, कुछ नहीं बल्कि एक "याजकीयकृत मूर्तिपूजक" (क्लेरिकालाईज्ड पेगन) है।
दूसरा प्रलोभन है संख्याओं की एक देवमूर्ति बनाने का, यह उन पुरोहितों में दिखाई पड़ता है जिनमें आंकड़ों का धुन सवार है। हालांकि, लोगों को केवल संख्या ही तक सीमित नहीं किया जा सकता और ईश्वर के उपहार को सिर्फ इस क्षेणी में नहीं रखा जा सकता।
अंत में, तीसरी देवमूर्ति है, जो दूसरी से जुड़ी हुई है। यह एक व्यावहारिकतावाद के समान है जिसमें सिर्फ प्रभाव पर ध्यान दिया जाता है और रहस्य के लिए कोई स्थान नहीं होता। व्यावहारिकतावादी पुरोहित अपने कार्यक्रम के प्रभाव पर ही अधिक चिंतित होते हैं।
देवमूर्तियों को उखाड़ फेंकना
संत पापा ने कहा कि ख्रीस्त ही पुरोहितों के लिए उन देवमूर्तियों को प्रकट कर सकते हैं, जिन्हें पुरोहितों को अपनी ओर से अपनी देवमूर्तियों को दिखाना है, उन्हें अपने जीवन से उखाड़ फेंकने और नष्ट करने देना है।
संत पापा ने अपने उपदेश के अंत में संत जोसेफ से प्रार्थना की, "हे शुद्ध पिता, छिपे देवमूर्तियों से मुक्त, पुरोहितों को अधिकार की भावना से बचा तथा देवमूर्तियों की परख करने की कृपा प्रदान कर।"
संत पापा ने कहा, "इस तरह, हम हृदय की महानता के साथ, नियमों द्वारा सीखी गई बातों को उदारता द्वारा प्रकट करने में सक्षम हो सकेंगे।"
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