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पास्का जागरण की धर्मविधि संत पेत्रुस महागिरजाघर में पास्का जागरण की धर्मविधि संत पेत्रुस महागिरजाघर में 

पास्का जागरण ˸ हम देख, सुन और घोषणा कर सकें कि येसु जी उठे हैं

संत पापा फ्राँसिस ने संत पेत्रुस महागिरजाघर में पास्का जागरण की धर्मविधि में भाग लिया तथा उपदेश में सुसमाचार की उन महिलाओं की ओर ध्यान आकृष्ट किया जिन्होंने हमारी दुनिया के अंधकार में ईश्वर के जीवन के सबेरे की प्रथम किरण के प्रकाश को देखने में मदद की तथा हमें प्रभु के पास्का, मौत से जीवन की ओर पार होने को देखने, सुनने और उनकी घोषणा करना सिखाया।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, रविवार, 17 अप्रेल 2022 (रेई)- संत पापा फ्रांसिस ने 16 अप्रेल को शाम 7.30 बजे संत पेत्रुस महागिरजाघर में पास्का जागरण के समारोही ख्रीस्तयाग में भाग लिया, उनके साथ करीब 5,500 विश्वासियों ने भी समारोह में भाग लिया।

कार्डिनल मंडल के डीन कार्डिनल जोवन्नी बत्तिस्ता रे ने पास्का जागरण की धर्मविधि का अनुष्ठान किया, जबकि संत पापा फ्रांसिस ने उपदेश दिया एवं सात नये ख्रीस्तियों को बपतिस्मा संस्कार प्रदान किया। पोप फ्रांसिस पिछले कुछ महीनों से घुटनों के दर्द से पीड़ित हैं।

नये ख्रीस्तीयों को बपतिस्मा देते संत पापा फ्राँसिस
नये ख्रीस्तीयों को बपतिस्मा देते संत पापा फ्राँसिस

यूक्रेन के प्रति सामीप्य

समारोह में यूक्रेन का एक छोटा प्रतिनिधिमंडल भी उपस्थित था, जिनसे संत पापा ने धर्मविधि के पहले मुलाकात की।  

प्रतिनिधि मंडल में मेलीतोपोल के महापौर इवन फेदेरोव भी उपस्थित थे जो इस समय निर्वासन में हैं। समारोह के दौरान संत पापा ने उनका विशेष रूप से अभिवादन करते हुए कहा, "इस अंधकारमय समय, युद्ध, क्रूरता के कारण घोर अंधकार में जब आप श्री महापौर, सांसद जी रहे हैं, हम सभी आपके लिए प्रार्थना कर रहे हैं, इस रात आपके साथ और आपके लिए विन्ती कर रहे हैं। हम सभी पीड़ित लोगों के लिए प्रार्थना कर रहे हैं। हम आपको केवल साथ दे सकते हैं। हमारी प्रार्थना और शुभकामनाएँ आपके लिए है, 'हिम्मत रखें, हम आपके साथ हैं।' हम आपको आज इस बड़े दिन की शुभकामनाएँ देते हुए कहते हैं, 'ख्रीस्त जी उठे हैं।'

यूक्रेन के प्रतिनिधि मंडल से मुलाकात करते संत पापा फ्राँसिस
यूक्रेन के प्रतिनिधि मंडल से मुलाकात करते संत पापा फ्राँसिस

विस्मय से आनंद तक

संत पापा ने उपदेश में कहा कि कई लेखकों ने तारों से जगमगाती रातों की सुंदरता को उकेरा है। हालांकि, युद्ध के समय में चमकते प्रकाश मौत का संकेत देते हैं। इस रात हम सुसमाचार की महिलाओं को हमारा हाथ पकड़कर हमें अपने साथ लेने दें ताकि हम उनके साथ, हमारी दुनिया के अंधेरे में ईश्वर के जीवन से प्रस्फूटिक होती किरण को देख सकेंगे।

जब रात की छाया, चुपचाप निकलती ज्योति के सामने से भाग गई, तब महिलाएँ कब्र के पास जाने के लिए निकलीं ताकि येसु के शरीर पर तेल का विलेपन कर सकें। वहाँ उन्हें घबराहट का अनुभव हुआ। सर्वप्रथम उन्होंने कब्र को खाली पाया, उसके बाद दो व्यक्तियों को उजले वस्त्रों में देखा, जो बतला रहे थे कि येसु जी उठे हैं। यह सुनकर वे शीघ्र शिष्यों को इसकी खबर देने के लिए दौड़ीं। (लूक. 24,1-10) उन्होंने देखा, सुना और घोषणा की। संत पापा ने कहा कि इन तीन शब्दों के साथ हम भी प्रभु के पास्का में, मृत्यु से जीवन में प्रवेश करें।     

महिलाओं ने देखा

सुसमाचार की पहली घोषणा कोई बयान नहीं था जिसको खोला जाता बल्कि चिन्ह था जिसपर चिंतन किया जाना था। कब्रस्थान पर कब्र के निकट एक स्थान था जहाँ सबकुछ व्यवस्थित एवं शांत था, महिलाओं ने कब्र के पत्थर को एक ओर लुढ़काया हुआ पाया लेकिन जब वे अंदर गईं, उन्होंने शव को नहीं पाया। संत पापा ने कहा, "पास्का की शुरूआत हमारी उम्मीदों को परेशान करने के साथ होती है। यह आशा के वरदान के साथ आती है जो विस्मित और आश्चर्यचकित करती। फिर भी उस वरदान का स्वागत करना आसान नहीं है।" कभी-कभी इस आशा को हमारे हृदयों में स्थान नहीं मिलता। सुसमाचार की उन महिलाओं के समान, हम सवालों एवं संदेहों के घेरे में होते हैं तथा अनापेक्षित चिन्ह के सामने हमारी प्रतिक्रया होती है, भय की। वे भयभीत थे और अपना चेहरा ढंक लिया। (पद. 5)

कई बार हम जीवन और वास्तविकता को उदास नजरों से देखते हैं, हम अपनी नजरें सिर्फ गुजरते दिनों पर टिकाये रखते हैं। भविष्य पर ध्यान दिए बिना हम सिर्फ अपने आपकी एवं अपनी जरूरतों की चिंता करते हैं, असंवेदनशीलता के घेरे में रहकर शिकायत करते रहते हैं कि चीजें कभी नहीं बदलेंगी। इस तरह हम त्याग देने और भाग्यवाद की कब्र के सामने रुक जाते हैं; और जीने के आनन्द को दफना देते हैं। फिर भी इस रात प्रभु हमें अलग नजरिया देना चाहते हैं, आशा से भरी नजर कि भय, दर्द और मौत ही हमारे लिए अंतिम शब्द नहीं हैं। येसु के पास्का रहस्य के द्वारा हम शून्यता से जीवन की ओर आगे बढ़ सकते हैं। मौत अब हमारे जीवन को नहीं ले सकती क्योंकि अब जीवन पूरी तरह एवं अनन्त रूप से ईश्वर के असीम प्रेम द्वारा आलिंगन किया जा चुका है। यह सच है कि मौत हमें आतंकित कर सकती है, यह हमें अपंग बना सकती है, लेकिन प्रभु जी उठे हैं, आइये हम अपनी नजर उठायें, उदासी और दुःख के पर्दे को हमारी आखों से हटा लें और ईश्वर द्वारा लाये गये आशा के लिए अपना हृदय खोलें।

पास्का जागरण की धर्मविधि में भाग लेते संत पापा फ्राँसिस
पास्का जागरण की धर्मविधि में भाग लेते संत पापा फ्राँसिस

महिलाएँ सुनीं

खाली कब्रों को देखने के बाद, उजले वस्त्र पहले दो पुरूषों ने कहा, "जीवितों को मृतकों के बीच क्यों खोजते हो? वे यहाँ नहीं हैं बल्कि जी उठे हैं।” (पद 5-6) हम उन शब्दों को अच्छी तरह नहीं सुनते और नहीं दुहराते कि वे यहाँ नहीं हैं। जब कभी हम सोचते हैं कि हमने सब कुछ समझ लिया है, हमें ईश्वर के बारे अधिक जानने की आवश्यकता है, उन्हें अपने विचारों एवं श्रेणियों में जगह देना है। आइये हम इसे दुहरायें, वे यहाँ नहीं हैं। जब कभी हम परेशानी और आवश्यकता की घड़ी में उन्हें खोजते किन्तु बाकी समय में उन्हें दरकिनार करते अथवा अपने दैनिक जीवन एंव निर्णयों में उन्हें भूल जाते हैं तो दुहरायें, वे यहां नहीं हैं। जब कभी हम सोचते हैं कि हम उन्हें अपने शब्दों विचारों एवं कार्यों में कैद कर सकते हैं तथा जीवन के सबसे अंधकारमय कोने में नहीं खोजते हैं। जहाँ लोग रोते, संघर्ष करते दुख सहते एवं उम्मीद करते हैं आइये हम कहें, "वे यहाँ नहीं हैं।"  

हम महिलाओं को पूछे गये सवालों को सुनें :  जीवित को मृतकों के बीच क्यों खोजते हो? हम पास्का नहीं मना सकेंगे, यदि हम मरे रहेंगे, अतीत के गुलाम बने रहेंगे, ईश्वर द्वारा क्षमा किये जाने का साहस नहीं करेंगे, परिवर्तन नहीं लायेंगे, बुराई के कामों को नहीं छोड़ेंगे और येसु एवं उनके प्रेम को नहीं चुनेंगे। यदि हम विश्वास को एक ताबीज के समान सीमित कर देंगे, आज ईश्वर से एक जीवित ईश्वर के रूप में मुलाकात करने के बजाय उनको अतीत की एक सुखद यादगार मात्र बना देंगे, जो हमें और हमारी दुनिया को बदलना चाहते हैं।

एक ख्रीस्तीयता जो प्रभु को अतीत के खंडहरों में खोजती एवं आदत की कब्रों में बंद करती है वह पास्का के बिना ख्रीस्तीय है। प्रभु जी उठे हैं। हम उन्हें कब्रों में न खोजें बल्कि जीवितों के बीच उनकी खोज करें। हम उन्हें अपने भाई-बहनों के चेहरों में खोजने से न डरें, उन लोगों की कहानियों में जो आशा करते एवं स्वप्न देखते हैं, उन लोगों के दर्द में जो दुःख सहते हैं, उनसे कहें, ईश्वर यहाँ हैं।

पास्का जागरण की धर्मविधि में भाग लेते संत पापा फ्राँसिस
पास्का जागरण की धर्मविधि में भाग लेते संत पापा फ्राँसिस

महिलाएँ घोषित करती हैं

संत पापा ने कहा, "उन्होंने किस चीज की घोषणा की? पुनरूत्थान के आनन्द की। पास्का केवल उनके लिए नहीं है जो येसु की मृत्यु पर शोक मनाते बल्कि उनके लिए जो बुराई एवं मौत पर ईश्वर के विजय के असाधारण संदेश के लिए अपना हृदय खोलते हैं।" पुनरूत्थान का आनन्द सिर्फ महिलाओं के आनन्द मनाने के लिए नहीं था बल्कि मिशनरी शिष्य उत्पन्न करने के लिए था, जो कब्र से लौटती है ताकि सभी के लिए पुनर्जीवित ख्रीस्त का सुसमाचार सुना सके। यही कारण है कि देखने और सुनने के बाद महिलाएँ पुनरूत्थान के आनन्द की घोषणा करने के लिए शिष्यों के पास दौड़ीं। वे जानती थीं कि दूसरे उन्हें पागल समझ सकते हैं, निश्चय ही, सुसमाचार कहता है कि उनकी बातें बेकार की कहानी के समान लगी। किन्तु वे अपनी इज्जत की परवाह नहीं कीं। (पद11)

संत पापा ने कहा कि वह कलीसिया कितनी सुन्दर है जो बिना किसी भय, बिना छल और बिना योजना के इस तरह दुनिया की सड़कों पर दौड़ती है, सभी को सुसमाचार के आनन्द की ओर लेना चाहती है। इसी के लिए हम सभी बुलाये गये हैं। पुनर्जीवित प्रभु का अनुभव करने और उस अनुभव को दूसरों को बांटने के लिए, कब्र से पत्थर को हटाने के लिए जहाँ हम प्रभु से मुलाकात कर सकें ताकि हम उनके आनन्द को दुनिया को बांट सकें।

आइये हम प्रभु को, जीवित रूप में देखें, उन सभी कब्रों से पुनर्जीवित जिनमें हमने उन्हें बंद कर दिया था। हम उन्हें संकरे कमरों से मुक्त करें जहाँ बहुधा हम उन्हें बंद कर लेते हैं। आइये हम अपने शांतिपूर्ण नींद से जागें और उन्हें परेशान करने दें। हम उन्हें अपने दैनिक जीवन में लायें, इन दिनों की शांति के द्वारा जो युद्ध के आतंक से प्रभावित है, टूटे रिश्तों के बीच मेलमिलाप के द्वारा, जरूरतमंदों के प्रति सहानुभूति रखते हुए, असमानता के बीच न्याय के कार्यों द्वारा, झूठ के बीच सच द्वारा और सबसे बढ़कर प्रेम एवं भाईचारा के कार्यों द्वारा।

सुसमाचार का आनन्द

भाइयो एवं बहनो, हमारी आशा का एक नाम है, येसु। वे हमारे पापों की कब्रों में घुसे, उस गहराई में उतरे जहाँ हम सबसे अधिक खोये हुए महसूस करते हैं, उन्होंने हमारे डर की उलझनों के बीच अपना रास्ता बनाया, हमारे बोझ का भार उठाया और मौत की अंधेरी खाई से हमारे जीवन को बचा लिया और हमारे शोक को आनंद में बदल दिया।  

आशा का एक नाम है ˸ वह नाम है येसु

हम ख्रीस्त के साथ पास्का महापर्व मनायें। वे जी उठे हैं। आज भी वे हमारे बीच चलते हैं, हमें बदलते और मुक्त करते हैं। बुराई की शक्ति कमजोर हो गई है, असफलता हमें नई शुरूआत करने से नहीं रोक सकती। मृत्यु नए जीवन की ओर बढ़ने का मार्ग बन गई है क्योंकि पुनर्जीवित प्रभु के साथ, कोई भी रात हमेशा बनी नहीं रह सकती और सबसे अंधकारपूर्ण रात के बाद भोर का तारा अवश्य चमकेगा।

पास्का जागरण की धर्मविधि

 

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17 April 2022, 15:13