कैंसर पीड़ितों के करीब रहें, उनके परिवारों का समर्थन करें, संत पापा
माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी
वाटिकन सिटी, शनिवार 5 मार्च 2022 (वाटिकन न्यूज) : ट्यूमर के खिलाफ लड़ाई के लिए इतालवी लीग के सदस्यों के साथ बैठक करते हुए, संत पापा फ्राँसिस ने कैंसर से जूझ रहे लोगों के साथ-साथ उनकी देखभाल करने वाले परिवारों की सेवा करने में उनके सदियों पुराने इतिहास को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने नोट किया कि कैसे उन्होंने समाज और स्वास्थ्य प्रणालियों में बदलते समय को अनुकूलित किया है और आधुनिक समय की उपशामक देखभाल के अग्रदूत के रूप में कार्य किया है। संत पापा ने रोगियों और उनकी देखभाल करने वालों के साथ बीमारी के खिलाफ लड़ाई लड़ने और उदासीनता की संस्कृति के सामने एक पड़ोसी होने का चयन करने हेतु उनकी प्रशंसा की।
प्रतिबद्धता के गवाह
संत पापा ने याद किया कि महामारी ने भारी स्वास्थ्य प्रणालियों के कारण कैंसर से जूझ रहे लोगों की दुर्दशा को और अधिक कठिन बना दिया है, संत पापा फ्राँसिस ने कहा कि यह न केवल कैंसर रोगियों के लिए अधिक से अधिक समर्थन की मांग करता है, जो जीवन रक्षक निवारक और उपशामक देखभाल प्राप्त करने में देरी कर रहे हैं, बल्कि तनावग्रस्त परिवारों के लिए भी। अन्य सार्वजनिक और निजी संगठनों के साथ एक सामाजिक उदारता के रूप में इन चुनौतियों को संबोधित करना समाज में पाई जाने वाली उदासीनता के सामने एक महत्वपूर्ण साक्ष्य प्रस्तुत करता है। एसा समाज जो सबसे कमजोर, विशेष रूप से बीमार और बुजुर्गों को दरकिनार करता है, या जो केवल मानव व्यक्ति के उत्पादक मूल्य की सराहना करता है।
संत पापा ने कहा,"याद रखें कि सभी के लिए देखभाल और उपचार के अधिकार को हमेशा प्राथमिकता दी जानी चाहिए, ताकि सबसे कमजोर, विशेष रूप से बुजुर्ग और बीमार, कभी भी परित्क्त न हों। जीवन एक अधिकार है, मृत्यु नहीं, जिसका स्वागत किया जाना चाहिए, प्रशासित नहीं। और यह नैतिक सिद्धांत सभी से संबंधित है, न कि केवल ख्रीस्तियों या विश्वासियों से।"
दुख में भी उनकी गरिमा
संत जॉन पॉल द्वितीय ने अपने प्रेरितिक पत्र साल्विफिसी दोलोरिस के शब्दों को याद करते हुए कहा, "पीड़ा और बीमारी में भी हम पूरी तरह से पुरुष और महिलाएं हैं, बिना किसी ह्रास के।"
संत पापा ने कहा, "यदि कोई मसीह के कष्टों में भागीदार बन जाता है, तो ऐसा इसलिए होता है क्योंकि मसीह ने अपने दुखों को मनुष्य के लिए खोल दिया है, क्योंकि एक निश्चित अर्थ में वह स्वयं अपने मुक्तिदायी कष्ट में, सभी मानवीय कष्टों में भागीदार बन गये हैं। मनुष्य, विश्वास के द्वारा मसीह के मुक्तिदायी पीड़ा को खोजता है, उसमें अपने स्वयं के कष्टों को भी खोजता है, विश्वास के माध्यम से नए अर्थ के साथ वह उन्हें फिर से खोजता है।”
अंत में, संत पापा फ्राँसिस ने लीग के सदस्यों को दूसरों की सेवा में लगे रहने के लिए प्रोत्साहित किया और प्रार्थना की कि कैंसर रोगियों के संरक्षक संत लियोपोल्ड मांडिक स्वर्ग से उनका साथ दें।
Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here