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2022.03.12 पवित्र मिस्सा  में संत पापा फ्रांसिस 2022.03.12 पवित्र मिस्सा में संत पापा फ्रांसिस 

'प्रार्थना दुनिया को बदल देती है,'संत पापा फ्राँसिस

संत पापा फ्राँसिस ने लोयोला के संत इग्नासियुस, संत फ्रांसिस जेवियर, येसु की संत तेरेसा, किसान संत इसिदोर और संत फिलिप नेरी के संत घोषणा की 400 वीं वर्षगांठ पर रोम स्थित येसु संघियों के प्रसिद्ध येसु गिरजाघर में पवित्र मिस्सा समारोह में भाग लिया।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

रोम, रविवार 13 मार्च 2022 (वाटिकन न्यूज) : संत पापा फ्राँसिस ने शनिवार शाम को रोम में येसु समाजियों के  ‘येसु’ गिरजाघर गए, जहाँ उन्होंने येसु संघियों के संस्थापक के संत घोषणा की 400 वीं वर्षगांठ पर मिस्सा समारोह में भाग लिया, जिसके मुख्य अनुष्ठाता येसु समाजियों के जनरल फादर अर्तूरो सोसा थे। मिस्सा के दौरान संत पापा ने प्रवचन दिया।

12 मार्च, 1622 को लोयोला के संत इग्नासियुस साथी जेसुइट फ्रांसिस जेवियर, येसु की संत तेरेसा,  किसान संत इसदोर और संत फिलिप नेरी संत घोषणा किये गये थे। संत फिलिप नेरी रोम के दूसरे प्रेरित के रूप में जाने जाते हैं।

संत पापा फ्राँसिस ने अपने प्रवचन में चालीसा के दूसरे रविवार के लिए चयनित सुसमाचार पाठ ‘प्रभु के रूपान्तरण’ पर चिंतन किया। संत पापा ने येसु के चार कार्यों पर ध्यान केंद्रित किया: येसु अपने शिष्यों को अपने साथ "ले लिया"; वह पहाड़ पर "ऊपर" गया; उसने प्रार्थना की और वह "रह गया।"

‘येसु’ गिरजाघर में पवित्र मिस्सा समारोह
‘येसु’ गिरजाघर में पवित्र मिस्सा समारोह

अपने साथ लेना

संत पापा ने कहा, येसु अपने शिष्यों को चुनते हैं, जिनमें हम भी शामिल हैं और हमें अपने पवित्र पर्वत पर ले जाते हैं ताकि उनके प्रेम से हमारा रूपान्तरण हो सके। संत पापा ने उल्लेख किया कि येसु ने शिष्यों को एक समुदाय के रूप में लिया। हम उस समुदाय, उस कलीसिया के सदस्य हैं, जहाँ वे हमें एकता बनाने और बढ़ावा देने के लिए बुला रहे हैं।

संत पापा फ्राँसिस ने उल्लेख किया कि आज हम जिन संतों की जयंती मना रहे हैं, वे "एकता के स्तंभ" थे और हम सभी को "येसु द्वारा एक साथ लाए जाने की सुंदरता को संजोने" के लिए आमंत्रित करते हैं।

‘येसु’ गिरजाघर में पवित्र मिस्सा समारोह
‘येसु’ गिरजाघर में पवित्र मिस्सा समारोह

ऊपर जाना

संत पापा ने कहा, दूसरी क्रिया "ऊपर जाना" है। येसु का मार्ग, "आरोहण का है, अवतरण का नहीं।"  यह एक आसान रास्ता नहीं है, बल्कि एक कठिन यात्रा है। इसका अर्थ है चरम पर जाना, पृथ्वी के छोर तक चलते जाना और स्थिर नहीं रहना।

संत पापा फ्राँसिस ने कहा कि येसु के शिष्यों के लिए, "अब सोने का समय नहीं है, और न ही आज की उपभोक्तावादी और व्यक्तिवादी संस्कृति में प्रवेश करने का समय है।" इसके बजाय, जैसा कि हम अविला की संत तेरेसा से सीखते हैं, हमें खुद से परे जाना है ताकि हम हमारे भाइयों और बहनों के संघर्षों के माध्यम से ईश्वर को पहचान सकें।

प्रार्थना करना

संत पापा फ्राँसिस ने कहा कि रूपान्तरण प्रार्थना से पैदा हुआ एक अनुभव था: येसु प्रार्थना करने के लिए पहाड़ पर गए। आज, हम अपने आप से पूछें कि क्या हम केवल आदत के तहत प्रार्थना करते हैं? या क्या हम मानते हैं कि प्रार्थना वास्तव में दुनिया को बदल देती है। संत पापा ने कहा, "प्रार्थना करना वास्तविकता को बदलना है।" यह "एक सक्रिय मिशन है, एक निरंतर मध्यस्थ...प्रार्थना, जो दुनिया से दूर नहीं है, लेकिन दुनिया को बदल देती है।"

संत पापा ने हमें स्वयं से पूछने के लिए आमंत्रित किया, "क्या प्रार्थना हमें इस परिवर्तन के लिए सक्रिय बनाती है? क्या यह हमारी स्थितियों को बदल देती है?” उन्होंने कहा, "प्रार्थना, मिशन की आग को और प्रज्वलित करता है, हमारे आनंद को फिर से जगाता है" और हमें उन लोगों के लिए "चिंतिंत" होने के लिए प्रेरित करता है जो पीड़ित हैं। विशेष रूप से, "आइए, हम खुद से भी पूछें कि हम वर्तमान युद्ध को अपनी प्रार्थनाओं में कैसे ला रहे हैं।"

फिर संत पापा ने संत फिलिप नेरी का उदाहरण दिया, जिसकी प्रार्थना ने उसे रोम के बच्चों की मदद करने के लिए प्रेरित किया। संत इसिदोर ने अपने खेत के काम को प्रार्थना में लाया।

‘येसु’ गिरजाघर में पवित्र मिस्सा समारोह
‘येसु’ गिरजाघर में पवित्र मिस्सा समारोह

बने रहना

येसु के पहले तीन कार्यों का सारांश निकालते हुए, संत पापा ने कहा कि, "हर दिन अपनी व्यक्तिगत बुलाहट और हमारे सामुदायिक जीवन को नए सिरे से लेना; फिर उन ऊँचाइयों की ओर जाना जहाँ ईश्वर हमें दिखाते हैं और इस दुनिया को बदलने के लिए प्रार्थना करना, जहाँ हम रहते हैं।”

संत पापा ने कहा, हालाँकि, सुसमाचार में एक चौथी क्रिया भी है: बने रहना। रूपांतरण के अंत में, येसु वहीं रहे। हम अक्सर क्षणिक चीजों पर ध्यान केंद्रित करते हैं, जो बीत रहा है और जो रह गया है उसे भूल जाते हैं। संत पापा ने कहा कि हमें अपने जीवन के लिए आवश्यक चीजों और सांसारिक चीजों के बीच के अंतर को समझने और उचित निर्णय लेने हेतु प्रार्थना में बने रहने की आवश्यकता है। उन्होंने प्रार्थना के साथ अपने प्रवचन का समापन किया, "संत इग्नासियुस हमें कलीसिया और दुनिया के लिए एक खजाने के रूप में ‘आत्मपरख’ को संरक्षित करने में मदद करें - एक ऐसा खजाना जो हमें मसीह में सभी चीजों को नए सिरे से देखने की अनुमति देता है।"

पवित्र मिस्सा का समापन निम्नलिखित प्रार्थना के साथ किया गया:

हे प्रभु, अपने संतों इसिदोर किसान, लोयोला के इग्नासियुस, फ्रांसिस जेवियर, येसु की तेरेसा और फिलिप नेरी की मध्यस्ता से हमें विनम्रता का साहस प्रदान कर। भरोसा करने वालों की हिम्मत, आत्मा में गरीबों की सादगी और निहत्थे सैनिकों का जुनून दे, ताकि हम आपको विजयी होने दें तथा अनुग्रह और शांति के नए पिन्तेकोस्त में सहभागी होने के लिए कलीसिया और दुनिया का मार्गदर्शन कर सकें। इस महामारी के समय में, युद्ध के समय में, आशा के साथ, जैसा आप चाहते हैं, हमें पवित्र बना। हम में से प्रत्येक में आपकी पवित्र इच्छा पूरी हो। आमेन

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13 March 2022, 16:43