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पोप ने यूक्रेन एवं रूस को समर्पित किया

संत पापा फ्राँसिस ने 25 मार्च, संत मरियम को स्वर्गदूत के संदेश के महापर्व के दिन सारी मानव जाति, खासकर, यूक्रेन एवं रूस को कुँवारी मरियम के निष्कलंक हृदय को समर्पित किया तथा कहा कि यह समर्पण यूक्रेन में "क्रूर एवं अनर्थक" युद्ध के बीच कुँवारी मरियम पर पूर्ण भरोसा की अभिव्यक्ति है।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, शनिवार, 26 मार्च 2022 (रेई) ˸संत पापा फ्राँसिस ने शुक्रवार को संत पेत्रुस महागिरजाघर में, चालीसा काल के दौरान वार्षिक रूप से मनाये जानेवाले "प्रभु के लिए 24 घंटे" की धर्मविधि सम्पन्न की।

धर्मविधि के अंत में उन्होंने सारी मानवजाति खासकर, रूस और यूक्रेन को कुँवारी मरियम के निष्कलंक हृदय को समर्पण की प्रार्थना की।

यह प्रार्थना उन्होंने विश्वभर के सभी काथलिक धर्माध्यक्षों के साथ मिल कर की, जब पोप के परोपकार कार्यालय के अध्यक्ष कार्डिनल कॉनराड क्रायेस्की ने पुर्तगाल में फातिमा की माता मरियम के तीर्थस्थल पर उपस्थित होकर समर्पण की धर्मविधि सम्पन्न की।

संत पापा ने माता मरियम के पवित्र हृदय को समर्पण की यह प्रार्थना, यूक्रेन में युद्ध और 13 जुलाई 1917 को फातिमा में दिव्यदर्शन में कहे गये धन्य कुँवारी मरियम के आग्रह पर की।

भरोसे का आध्यात्मिक कार्य

प्रायश्चित के दौरान अपने उपदेश में संत पापा ने मानवता के लिए ईश्वर की क्षमाशीलता की आवश्यकता एवं समर्पण के अर्थ पर चिंतन किया।

उन्होंने कहा कि समर्पण की धर्मविधि को दुहराये जाने का अर्थ है कलीसिया एवं पूरी मानव जाति को माता मरियम के निष्कलंक हृदय को समर्पित किया जाना, खासकर, रूस एवं यूक्रेन को।  

उन्होंने कहा, "यह कोई जादूमंत्रर नहीं बल्कि आध्यात्मिक क्रिया है। यह एक बच्चे का पूर्ण भरोसे के साथ समर्पण है जो दुनिया को भयभीत करनेवाली इस क्रूर एवं मूर्खतापूर्ण युद्ध की विपत्ति में, अपनी माँ के पास आकर, अपने हृदय में हर भय एवं दर्द से विश्राम पाना एवं उनपर अपना सबकुछ छोड़ देना चाहता है।"

संत पापा ने कहा कि हम उनके शुद्ध और पवित्र हृदय में अपना सब कुछ समर्पित करते हैं जहाँ ईश्वर प्रतिबिम्बित होते।  

शातिर युद्ध के सामने असहाय

संत पापा ने खेद प्रकट किया कि यूक्रेन में शातिर युद्ध ने बहुतों को मारा और भारी पीड़ा उत्पन्न की है।

उन्होंने कहा, "इन दिनों, मौत की खबरें एवं दृश्य हमारे घरों में मिलना जारी हैं, यहाँ तक कि यूक्रेन के हमारे बहुत सारे असहाय भाइयों एवं बहनों के घर बमों द्वारा ध्वस्त किये जा रहे हैं।"

संत पापा ने कहा, "युद्ध हमारी लाचारी और हमारी अपर्याप्तता की याद दिलाती है, साथ ही साथ, ईश्वर के निकट आने की आवश्यकता एवं उनकी क्षमाशीलता की निश्चितता को दर्शाता है।"

सिर्फ ईश्वर बुराई को दूर, नाराजगी को वश में एवं हमारे हृदयों में शांति बहाल कर सकते हैं।

संत पापा ने याद किया कि ईश्वर ने कुँवारी मरियम को चुना ताकि मुक्ति और शांति की नई कहानी से इतिहास बदले। "यदि हम दुनिया बदलना चाहते हैं तो सबसे पहले अपना हृदय बदलना होगा।"  

संत पापा ने स्वर्गदूत के कुँवारी मरियम के संदेश पर चिंतन की, जिसमें ईश्वर उन्हें ईश्वर के पुत्र की माता होने का निमंत्रण देते हैं।  

"प्रभु आपके साथ हैं" कहकर गाब्रिएल दूत ने कुँवारी मरियम को आनन्द का सच्चा समाचार दिया।

संत पापा ने कहा कि मेल-मिलाप संस्कार में ख्रीस्तीय भी यही अनुभव करते हैं चूँकि ईश्वर हमारे निकट आते जब हम दीनता पूर्वक अपने पश्चातापी हृदय उनके सामने रखते हैं।

पापस्वीकार एक आनन्द का संस्कार है, प्रभु हमारे घरों में प्रवेश करते हैं जैसा कि उन्होंने नाजरेथ की मरियम के घर में प्रवेश किया था तथा हमारे लिए अनापेक्षित आश्चर्य एवं आनन्द लाते हैं।

संत पापा ने पुरोहितों से भी अपील की कि वे पापस्वीकार संस्कार में ईश्वर की क्षमाशीलता व्यक्त करें और अपनी कठोरता एवं निष्ठुरता कभी न दिखायें।

उन्होंने कहा, "यदि एक पुरोहित अपने मन में उचित विचारों के साथ ऐसा मनोभाव नहीं रखता, तो उसके लिए अच्छा होगा कि वह पापमोचक के रूप में कार्य न करे।"

स्वर्गदूत गाब्रिएल ने मरियम से यह भी कहा, "डरिये नहीं।" संत पापा ने कहा, "ईश्वर हमारी कमजोरियों एवं गलतियों को पहले से जानते हैं, फिर भी, जब हम मेल-मिलाप संस्कार ग्रहण करते हैं, तब वे हमें अपने पाँव याजक के सामने रखने के लिए आमंत्रित करते हैं। इस तरह हमारी कमजोरियाँ पुनरूत्थान के अवसर बनते हैं।

कुँवारी मरियम हमें हमारे जीवन के स्रोत प्रभु की ओर लौटने के लिए निमंत्रण देती हैं जो भय एवं जीवन के खालीपन के खिलाफ आखरी दवाई हैं।

संत पापा ने अपने उपदेश के अंत में गौर किया कि ईश्वर को मरियम का प्रत्युत्तर, ईश्वर के प्रति आज्ञापालन की जीवंत चाह है।

उन्होंने माता मरियम की मध्यस्थता द्वारा प्रार्थना की कि" वे हमारी यात्रा को अपने हाथों में लें तथा तीखे और कठिन रास्ते को, संवाद एवं भाईचारा के रास्ते में बदल कर शांति के रास्ते पर हमारा मार्गदर्शन करें।"

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26 March 2022, 14:34