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संत पापाः बुजुर्गगण भावी पीढ़ी के संरक्षक

संत पापा फ्रांसिस ने बुजुर्गावस्था पर अपनी धर्मशिक्षा माला को आगे बढ़ाते हुए वृद्धावस्था को मानवता हेतु ईश्वरीय आशीष का स्रोत बतलाया।

दिलीप संजय एक्का-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, बुधवार, 16 मार्च 2022 (रेई) संत पापा फ्रांसिस ने बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर संत पापा पौल षष्ठम के सभागार में उपस्थित सभी विश्वासियों और तीर्थयात्रियों का अभिवादन करते हुए कहा, प्रिय भाइयो एवं बहनों, सुप्रभात।

धर्मग्रंथ प्रतीकात्मक भाषा में हमारे लिए कुछ चौंकाने वाली बातों का जिक्र करता है। ईश्वर मानव के दुष्टतापूर्ण कार्य को देखकर इतने उब गये, जो एक सामान्य जीवन शैली बन गई थी, उन्हें यह अनुभव किया कि मानव की सृष्टि कर उन्होंने एक गलती की अतः वे उनका सर्वनाश करने की सोचते हैं। यह एक मौलिक समाधान लगता है। न रहे मानव, न रहे इतिहास, न न्याय और न ही उनको सजा। न रहे बांस और न बजे बांसुरी। इस भांति भ्रष्टाचार, हिंसा, अन्याय और अन्य सारी चीजें सदा के लिए अपने में समाप्त हो जायेंगी। 

संत पापा ने कहा कि क्या ऐसी बातें हमारे साथ घटित नहीं होती है- जहाँ बुराई के विरूध अपने को शक्तिहीन पाना हममें यह एहसास लाता है कि बेहतर होता कि हम जन्म ही न लिये होते। क्या हमें वर्तमान के कुछ सिद्धांतों को श्रेय देना चाहिए, जो मानव जाति को इस ग्रह पर विकासवादी नुकसान स्वरूप देखते और उसकी निंदा करते हैंॽ

तनाव का प्रभाव

वास्तव में, हम अपने को तनाव में पाते हैं जो हमें विरोधभाव स्थिति में भ्रमित कर देता है। वहीं दूसरी ओर, हम एक अनंत युवा आशावाद को पाते हैं, जो प्रौद्योगिकी की अद्वितीय प्रगति से प्रज्वलित है, जो हमसे अधिक कुशल और अधिक बुद्धिमान मशीनों से भरे भविष्य के बारे में कहती, जो हमारी बीमारियों को ठीक करेगा और हमारे लिए उत्तम समाधान तैयार करेगा ताकि हम न मरें। इसके साथ ही हमारी कल्पना एक अंतिम विपत्ति पर केंद्रित होती जान पड़ती है जो हमें नष्ट कर देगी। यह परमाणु युद्ध की स्थिति को हमारे लिए लाता है। ऐसा होने के बाद यदि हममें से कोई बच भी जाता तो उसे सारी चीजों को शून्य से फिर शुरू करना होगा। संत पापा ने कहा कि मैं निश्चित रूप से प्रगति को तुच्छ रूप में नहीं देखता हूँ। लेकिन ऐसा लगता है कि प्रलय का प्रतीक हमारे अचेतन मन में उमड़ रहा है। इसके अलावे, वर्तमान महामारी, जीवन और उसके लिए महत्वपूर्ण बातों में हम अपनी ओर से एक तरह की लापरवाही के भाव व्यक्त होता पाते हैं।

बुजुर्ग नूह का चुनाव

धर्मग्रंथ की कहानी में, जब जीवन को पृथ्वी के भ्रष्टाचार और जलप्रलय से सुरक्षित रखने की बात आयी, तो ईश्वर सबसे बुजुर्ग अपने विश्वासी “धर्मी” सेवक नूह का चुनाव करते हैं। क्या बुजुर्गावस्था दुनिया को सुरक्षित रखेगीॽ संत पापा ने पूछा कि किस अर्थ मेंॽ और कैसेॽ इसका परिदृश्य क्या होगाॽ मृत्यु के उपरांत जीवन या जलप्रलय तक जीवन की सुरक्षाॽ

मानव में भ्रष्टाचार

येसु के एक शब्द, “नूह के दिनों में”, हमें धर्मग्रंथ के पदों को और अधिक गहराई से समझने में मदद करते हैं। येसु हमें प्रलय के दिनों के बारे में कहते हैं, “जो नूह के दिनों में हुआ था, वही मानव पुत्र के दिनों में भी होगा। नूह के जहाज पर चढ़ने के दिन तक लोग खाते-पीते और शादी-ब्याह करते रहे। तब जलप्रलय आया और उसने सब को नष्ट कर दिया” (लूक.17.26-27)। वास्तव में, खाना-पीना, शादी-ब्याह करना अपने में सामान्य चीजें हैं और ये भ्रष्टाचार के उदाहरण नहीं लगते हैं। भ्रष्टाचार कहाँ होता हैॽ सही अर्थ में येसु मनुष्यों पर जोर देते हैं, जब वे अपने को केवल मौज-मस्ती के जीवन तक ही सीमित कर लेते हैं, जब वे भ्रष्टाचार की धारण को भी भूल जाते हैं जो मानवीय सम्मान को खत्म करते हुए जीवन के अर्थ को जहरीला बना देता है। इस तरह वे जीवन में भ्रष्टाचार के प्रति बेफ्रिक होकर जीते हैं मानों यह जन-जीवन का सामान्य रूप हो। संत पापा ने दुनिया की वर्तमान परिस्थिति का संदर्भ प्रस्तुत करते हुए कहा कि आज जब आप कुछ काम कराने जाते हैं तो इसकी प्रक्रिया धीमी हो जाती है। कितनी बार हमने लोगों को यह कहते सुना है, “कुछ दो तो कार्य में तीव्रता आयेगी”। हम इन बातों से अवगत हैं। भ्रष्टाचार का यह रुप मानव जीवन में सामान्य हो गया है जो अपने में बुरा है। जीवन में चीजों का उपयोग और उनका आनंद, जीवन में आध्यात्मिक गुणों का एहसास किये बिना हो रहा है, जहाँ हम अपने सामान्य निवास की कोई चिंता नहीं पाते हैं। हम सारी चीजों का दोहन होता देखते हैं। हम मानव को बिना किसी वैराग्य और मुश्किलों में पड़े लोगों की चिंता किये बिना विलासिता में जीते देखते हैं, वे न ही उस बुराई की चिंता करते जो समुदायों को जहरीला बना रही है। जब तक हमारा जीवन “आबाद” है हम उन बातों की चिंता करना नहीं चाहते जो न्याय और प्रेम को खोखला बना देती है। संत पापा ने कहा कि मेरा तो सब ठीक चल रहा है। मैं क्यों तकलीफों, युद्धों, मानवीय त्रासदियों, गरीबी और दुनिया की बुराइयों के बारे में चिंता करूँॽ नहीं, मैं तो ठीक हूँ। मैं दूसरों की चिंता क्यों करूं। यह हम सभों की अचेतना भरी स्थिति है जो हमें भ्रष्टता की स्थिति में ले चलती है।

मानव की लापरवाही

उन्होंने कहा, “क्या भ्रष्टाचार हमारे लिए सामान्य हो सकता हैॽ दुर्भाग्यवश हां। हम ऑक्सीजन के रुप में भ्रष्टाचार की हवा को सांस स्वरुप लेते हैं। “यदि आप चाहते हैं कि आप का काम जल्दी हो, तो कितना देंगेॽ यह हमारे लिए आज एक सामान्य बात हो गई है, जो एक बुरी बात है”। और हमें इस राह में क्या अग्रसर करता हैॽ हमारा बेफ्रिक होना जहाँ हम केवल अपनी ही चिंता में डूबे हैं, यह वह मार्ग बनता जो हमारे जीवन को भ्रष्टता में डूबो देता है। मेरे जीवन में सारी चीजें ठीक चल रही हैं, मैं दूसरों की चिंता क्यों करूँ, यह सोच हमारी लापरवाही है, इस अधर्मी लापरवाही से भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलता है: हमारे बेफ्रिक जीवन से भ्रष्टचार को बढ़वा मिलता है, यह हमारे विवेक को कमजोर करता है और हम अनजाने ही–अपराधियों के सहयोगी बन जाते हैं।

बुजुर्ग आशीष के स्रोत

संत पापा ने कहा कि बुजुर्गावस्था वह सही समय है जहां धोखे के इस जनसामान्य जीवन की समझ हमें आती है, जहाँ हम मौज-मस्ती के जीवन और आंतरिक खालीपन से वाकिफ होते हैं- कैसे हमने अपने जीवन को दूसरों की चिंता किये बिना, त्यागहीन, सुंदरता के बिना, सच्चाईविहीन, न्यायहीन और प्रेमहीन जीया हैं- यह हमारे जीवन की भ्रष्टता है। बुजुर्गावस्था में ध्यान, विचार और स्नेह की विशेष संवेदनशीलता जो हमें मानव बनाती है, पुनः हमारे लिए और बहुतों के लिए जीवन जीने का स्वरूप होना चाहिए। यह बुजुर्गों की ओर से नयी पीढ़ियों के लिए प्रेम का एक चुनाव होगा। ईश्वर की आशीष बुजुर्गावस्था का चुनाव करती है, इसके द्वारा हम पूर्ण मानव बनते और दूसरों को मानवीय होने में मदद करते हैं। संत पापा ने कहा कि हम बुर्जुगजन दूसरों को सचेत कर सकेंगे, “सावधान, यह भ्रष्टाचार है यह हमें कहीं का नहीं छोड़ता”। बुढ़ापे का ज्ञान अपने में भ्रष्टाचार के विरूध नहीं जाता है। नई पीढ़ी हमसे इस बात की मांग करती है कि हम उनके लिए भविष्यवाणी करें जो भ्रष्टाचार की दुनिया में उनके लिए नये द्वारों को खोलती है।

बुजुर्गों की भविष्यवाणी

बुढ़ापे का अर्थ हमारे लिए क्या हैॽ हर बुजुर्गजन इसे अपने लिए पूछ सकता है। क्या हम भ्रष्टाचार की भविष्यवाणी करते हैं,“ठहरो, मैं इस मार्ग में चलते हुए कहीं का नहीं रहा। मैं तुम्हें अपने अनुभव से रूबरु करा रहा हूँ”। संत पापा ने कहा कि बुजुर्गों को नूह की भांति भ्रष्टाचार की भविष्यवाणी करनी है क्योंकि केवल वही एक था जिनपर ईश्वर ने विश्वास किया। क्या मेरा हृदय वर्तमान समय के भ्रष्टाचार हेतु खुला हैॽ यह अपने में बुरी बात हैं जब बुजुर्ग अपने को परिपक्व नहीं होते, जो बुजुर्गावस्था में भी युवाओं की भांति भ्रष्टाचार की बातों में पड़े रहते हैं। संत पापा ने धर्मग्रंथ में सुसाना के न्यायधीशों की चर्चा की जो अपनी बुजुर्गावस्था में भी भ्रष्टाचार के शिकार हुए। यदि हम उन बुजुर्गों की तरह होते तो हम युवा पीढ़ियों के लिए नबी नहीं बन सकेंगे।

अच्छी अंगूरी बनें

नूह हमारे लिए बुढ़ापे की अवस्था का वह उदाहरण है, वे प्रवचन नहीं देते, शिकायत नहीं करते, आरोप नहीं लगाते, बल्कि वे भावी पीढ़ी की चिंता करते हैं जिनका जीवन खतरे में पड़ा था। हमें भी अपने युवाओं, बच्चों की चिंता करने की जरुरत है जो जोखिम में पड़े हैं। नूह ने जहाज का निर्माण करते हुए लोगों और जनवरों सभों को उसमें प्रवेश करने दिया। जीवन की चिंता करते हुए उन्होंने सभी रुपों में ईश्वर की आज्ञा मानी, जो नई सृष्टि हेतु आशीर्वाद बना। उनका जीवन हमारे लिए सदैव एक आदर्श है। हमारे बुजुर्ग सदैव हमारे लिए निवेदन करें। संत पापा ने कहा कि हम सभी चाहे हम किसी भी उम्र के क्यों न हों, हम इस बात को न भूलें कि हम सभों में विवेक है और हम दूसरों को कह सकते हैं, “देखो, वह रास्ता भ्रष्टाचार की ओर ले चलता है।” हमें अच्छी अंगूरी बनने की जरुरत है।  

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16 March 2022, 15:49